सी के युद्ध के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी के साम्राज्यवादी विस्तार और सुदृढ़ीकरण की नीतियां:
UPSC HINDI NOTES घेरे (रिंग फेन्स) की नीतिः
इस नीति का उद्देश्य बफर ज़ोन बनाकर कंपनी की सीमाओं की रक्षा करना था। इन नीति में ‘रिंग फेन्स’ के भीतर शामिल किये गए राज्यों को, उनके स्वयं के खर्चों पर, बाहरी आक्रमण के विरूद्ध सैन्य मदद देने का भरोसा दिया गया था।
1757 में प्लासी के युद्ध में जीत के बाद, ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1857 की क्रांति तक भारत में अपने शासन का विस्तार और सुदृढ़ीकरण करने के लिए विभिन्न नीतियों का इस्तेमाल किया। इनमें से कुछ प्रमुख नीतियां निम्नलिखित थीं:
UPSC HINDI NOTES 1. सहायक गठबंधन प्रणाली:
- कंपनी ने भारतीय राजाओं और नवाबों के साथ संधियां कीं, जिनके तहत वे कंपनी के अधीनस्थ हो गए और अपनी सेनाओं को कंपनी के नियंत्रण में रखने के लिए बाध्य थे।
- बदले में, कंपनी उन्हें अपनी रियासतों पर शासन करने की अनुमति देती थी और उन्हें बाहरी हमलों से सुरक्षा प्रदान करती थी।
- इस प्रणाली ने कंपनी को अपेक्षाकृत कम सैन्य संसाधनों के साथ अपने नियंत्रण का विस्तार करने में मदद की।
2. दोहरी शासन प्रणाली:
- कंपनी ने धीरे-धीरे प्रशासन का प्रत्यक्ष नियंत्रण लेना शुरू कर दिया, जिसे “दोहरी शासन” प्रणाली के रूप में जाना जाता है।
- इस प्रणाली के तहत, कंपनी ने भारतीय अधिकारियों को नियुक्त किया, जिन्होंने कंपनी के निर्देशों का पालन करते हुए पारंपरिक कानूनों और रीति-रिवाजों के अनुसार शासन किया।
- यह प्रणाली कंपनी को स्थानीय आबादी को शांत करने और अपने शासन को वैधता प्रदान करने में मदद करती थी।
3. राजस्व वसूली:
- कंपनी ने भारी कर लगाकर और जमींदारी प्रणाली का उपयोग करके भारतीयों से भारी राजस्व वसूला।
- इस राजस्व का उपयोग कंपनी के व्यापारिक कार्यों, प्रशासनिक खर्चों और ब्रिटेन में धन भेजने के लिए किया जाता था।
- अत्यधिक कराधान और भूमि हड़पने से भारतीय किसानों और आम जनता में भारी नाराजगी पैदा हुई।
4. व्यापारिक एकाधिकार:
- कंपनी को भारत में व्यापार करने का विशेष अधिकार प्राप्त था, जिसे “व्यापारिक एकाधिकार” के रूप में जाना जाता था।
- इस एकाधिकार ने कंपनी को भारतीय बाजारों पर नियंत्रण रखने और भारी मुनाफा कमाने की अनुमति दी।
- इसने भारतीय व्यापारियों और शिल्पकारों को नुकसान पहुंचाया, जिनकी आजीविका कंपनी के व्यापारिक हितों से प्रभावित हुई।
5. शिक्षा और सामाजिक सुधार:
- कंपनी ने शिक्षा और सामाजिक सुधारों के क्षेत्र में कुछ पहल कीं, जैसे कि पाठशालाओं और कॉलेजों की स्थापना, और सती प्रथा का उन्मूलन।
- इन सुधारों का उद्देश्य भारतीय समाज को “सभ्य” बनाना था, और साथ ही साथ कंपनी के लिए प्रशासनिक और व्यावसायिक कर्मचारियों को तैयार करना भी था।
- हालांकि, इन सुधारों को अक्सर पश्चिमीकरण और सांस्कृतिक हस्तक्षेप के रूप में देखा जाता था, और उन्होंने भारतीय समाज के कुछ वर्गों में विरोध भी पैदा किया।
निष्कर्ष:
प्लासी के युद्ध के बाद, ईस्ट इंडिया कंपनी ने विभिन्न नीतियों का उपयोग करके भारत में अपने साम्राज्य का विस्तार और सुदृढ़ीकरण किया। इन नीतियों ने कंपनी को भारी धन और शक्ति प्राप्त करने में मदद की, लेकिन साथ ही साथ भारतीयों के जीवन पर भी गहरा प्रभाव डाला। इन नीतियों के परिणामस्वरूप सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन हुए, जिन्होंने अंततः 1857 की क्रांति में योगदान दिया।