द्वितीय राष्ट्रीय जल पुरस्कार
हाल ही में जल शक्ति मंत्रालय द्वारा वर्ष 2019 के लिये राष्ट्रीय जल पुरस्कार प्रदान करने की घोषणा की गई है।
- यह मंत्रालय द्वारा प्रदान किया जाने वाला द्वितीय राष्ट्रीय जल पुरस्कार है।
- पुरस्कार वितरण वर्चुअल तरीके से किया जाएगा।
- यह पुरस्कार जल संसाधन संरक्षण और प्रबंधन के क्षेत्र में सराहनीय कार्य करने वाले व्यक्तियों/संगठनों को प्रोत्साहित करने के लिये दिया जाता है।
- साथ ही इसके माध्यम से लोगों में जल के महत्त्व के संबंध में जागरूकता पैदा करने और उन्हें जल के इस्तेमाल के बेहतरीन तरीके अपनाने के लिये प्रेरित करने का प्रयास किया जाता है।
- विभिन्न श्रेणियों में दिये जाने वाले इस पुरस्कार के तहत विजेताओं को एक प्रशस्ति पत्र, ट्रॉफी और नकद राशि प्रदान की जाती है।
- राष्ट्रीय जल पुरस्कार का उद्देश्य जल संरक्षण के क्षेत्र में देश भर में व्यक्तियों और संगठनों द्वारा किये जा रहे अच्छे कार्यों तथा प्रयासों के साथ भारत सरकार के जल समृद्ध दृष्टिकोण पर मुख्य रूप से ध्यान केंद्रित करना है।
- इसके अलावा पुरस्कार समारोह जल क्षेत्र से जुड़े विषयों पर स्टार्टअप के साथ-साथ अग्रणी संगठनों को जुड़ने और विचार व्यक्त करने का एक अच्छा अवसर प्रदान करता है।
- यह आयोजन सभी लोगों और संगठनों की एक मज़बूत साझेदारी को आगे बढ़ाने तथा जल संसाधन संरक्षण एवं प्रबंधन गतिविधियों में हितधारकों को जोड़ने के लिये एक बेहतर मौका देता है।
आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच शांति समझौता हुआ
- रूस ने अर्मेनिया और अजरबैजान के बीच एक नई शांति समझौते की दलाली की।
- दोनों देश दक्षिण काकेशस में नागोर्नो-करबाख के विवादित क्षेत्र पर छह सप्ताह से सैन्य संघर्ष में हैं।
- नए शांति समझौते के अनुसार, दोनों पक्ष अब उन क्षेत्रों में स्थिति बनाए रखेंगे, जो वर्तमान में उनके पास हैं।
- इसका अर्थ है अजरबैजान के लिए एक महत्वपूर्ण लाभ, क्योंकि यह हाल के संघर्ष के दौरान अपने खोए हुए क्षेत्र के 15-20% से अधिक प्राप्त किया है।
इसके अलावा, इस समझौते के तहत, सभी सैन्य अभियान निलंबित हैं।
रूसी शांति सैनिकों को नागोर्नो-करबाख में संपर्क की रेखा के साथ और लाचिन गलियारे के साथ तैनात किया जाएगा जो इस क्षेत्र को आर्मेनिया से जोड़ता है।
सामूहिक सुरक्षा संधि संगठन (CSTO)
- संघर्ष में रूस की भूमिका कुछ हद तक अपारदर्शी है क्योंकि यह दोनों देशों को हथियारों की आपूर्ति करता है और आर्मेनिया के साथ सामूहिक सुरक्षा संधि संगठन (सीएसटीओ) नामक एक सैन्य गठबंधन में है।
- CSTO एक अंतरसरकारी सैन्य गठबंधन है जिसे 15 मई 1992 को हस्ताक्षरित किया गया था।
- 1992 में, स्वतंत्र राज्यों के राष्ट्रमंडल से संबंधित छह पोस्ट-सोवियत राज्यों ने सामूहिक सुरक्षा संधि (जिसे “ताशकंद संधि” या “ताशकंद संधि” भी कहा जाता है) पर हस्ताक्षर किए।
सदस्य: आर्मेनिया, बेलारूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस और ताजिकिस्तान
मुख्यालय: मास्को, रूस।
थर्टी मीटर टेलीस्कोप प्रोजेक्ट
ब्रह्मांड के गूढ़ रहस्यों का पता लगाने के उद्देश्य से हवाई द्वीप के मौना किया (Mauna Kea) में थर्टी मीटर टेलीस्कोप प्रोजेक्ट (TMT) की स्थापना की जा रही है।
- इस अंतर्राष्ट्रीय परियोजना में दूरबीन से जुड़े उपकरणों के संबंध में भौतिक विज्ञान के 2020 के नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर एंड्रिया घेज़ ने भारतीय खगोलविदों के साथ काफी सक्रियता से कार्य किया है।
- हमारी आकाशगंगा के केंद्र में स्थित एक विशालकाय ठोस वस्तु का पता लगाने के लिये प्रोफेसर घेज़ को प्रोफेसर रोजर पेनरोस और प्रोफेसर रिनहार्ड गेंजेल के साथ संयुक्त रूप से यह पुरस्कार दिया गया है।
- प्रोफेसर घेज़ ने दूरबीन परियोजना में इस्तेमाल किये जाने वाले बैक एंड उपकरणों और परियोजना की वैज्ञानिक संभावनाओं से जुड़े तकनीकी पहलुओं के विकास में अहम भूमिका निभाई है।
- इसमें हमारे सौरमंडल से संबंधित डेटा सिम्युलेटर, ऊर्जावान क्षणिक वस्तुओं, आकाशगंगाओं की सक्रिय नाभिक और गुरुत्वाकर्षण-लेंस वाली आकाशगंगाओं का अध्ययन किया गया।
- MT परियोजना एक अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी वाली परियोजना है जिसमें कैल टेक, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, कनाडा, जापान, चीन और भारत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग तथा परमाणु ऊर्जा विभाग के माध्यम से सहयोग कर रहे हैं
- इसके अलावा इसमें हमारी आकाशगंगा के केंद्र में सुपरमैसिव कॉम्पैक्ट ऑब्जेक्ट की प्रकृति तथा इससे संबंधित अज्ञात चीज़ों की खोज करने के लिये कई और नए पहलुओं को समझने हेतु निकट भविष्य में आईआरआईएस/टीएमटी (Infrared Imaging Spectrograph- IRIS/ TMT) की क्षमता को दिखाया गया है।
- वैज्ञानिकों ने एक उन्नत डेटा प्रबंधन प्रणाली और डेटा कटौती की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला है।