कृषि एवं किसानों की दशा सुधारने के संबंध में सुझाव देने हेतु वर्ष 2004 में डॉक्टर एम एस स्वामीनाथन की अध्यक्षता में राष्ट्रीय किसान आयोग का गठन किया गया इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है |
किसान आयोग अपने अनुसार पैदावार की लागत तय करता है फिर उसके आधार पर मुनाफा निर्धारण करता है। इस समय किसानों की लागत आंकने के जो तरीके हैं उनमें जमीन का किराया, बीज से लेकर उपज तक के खर्च तथा परिवार के श्रम का मोटा- मोटा आकलन किया जाता है, जिसमें मुनाफा होता ही नहीं है। हालांकि किसानों की पैदावार के मूल्य जितने बढ़ते हैं, खाद्यान्न महंगाई भी उसी तुलना में बढ़ती है।
आयोग द्वारा दिए गए सुझाव
आयोग ने अपनी जांच रिपोर्ट सरकार को सौंपी आयोग ने नई कृषि नीति के संबंध में निम्नलिखित सुझाव दिए हैं
- सभी कृषिगत उपजों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया जाना चाहिए |
- मूल्यों में उतार-चढ़ाव से किसानों की सुरक्षा के लिए मार्केट रिस्क स्टेबलाइजेशन फंड बनाया जाना चाहिए |
- सूखा एवं वर्षा संबंधी जोखिम के लिए एग्रीकल्चर रिफंड का गठन किया जाना चाहिए |
- सभी राज्यों में किसान आयोग का गठन किया जाना चाहिए |
- किसान बीमा योजना का विस्तार करना चाहिए |
- कृषि के संबंध में पंचायतों के अधिकार में वृद्धि करनी चाहिए |
- राज्यों द्वारा कृषि विकास के लिए अधिक संसाधनों का आवंटन करना चाहिए |
- केंद्र एवं राज्यों में कृषि मंत्रालय का नाम बदलकर कृषि एवं कृषक मंत्रालय करना चाहिए |
विश्व व्यापार संगठन
- विश्व व्यापार संगठन की स्थापना 1 जनवरी 1995 को की गई थी यह संगठन नए व्यापार समझौते में बदलाव और उन्हें लागू करता है |
- भारत विश्व व्यापार संगठन का एक सदस्य देश है ‘विश्व व्यापार संगठन’ को ‘जनरल एग्रीमेंट ऑन टेरिफ एंड ट्रेड’ (गैट) के स्थान पर बनाया गया था।
- ‘गैट’ की स्थापना 1948 में हुई थी इसमें 23 देशों ने कस्टम टैरिफ कम करने के लिए हस्ताक्षर किए थे इसका स्वरूप बहुत बड़ा है |
- विश्व व्यापार संगठन के अंतर्गत विभिन्न समझौतों में कृषि समझौता का सर्वाधिक विवादास्पद रहा है, विश्व व्यापार संगठन में कृषि समझौते के अंतर्गत तीन बातें शामिल है |
कृषि उत्पादों की बाजार पहुंच
इसका तात्पर्य है कृषि उत्पादों के व्यापार में गैर-प्रशुल्क बाधाओं को समाप्त करना इसके तहत कृषिगत व्यापार से मात्रात्मक प्रतिबंध, कोटा प्रणाली, आयात प्रतिबंध, आयात लाइसेंस व्यवस्था को समाप्त किया जाता है |
निर्यात सब्सिडी
- यह मुद्दा दोहा वार्ता के अंतर्गत सामने आया था | डब्ल्यूटीओ के अंतर्गत यह सर्वाधिक विवादास्पद मुद्दा है |
- पिछले दिनों विकासशील देशों द्वारा बनाए जा रहे दबाव के कारण विकसित देशों द्वारा अपने निर्यातकों को दी जा रही सब्सिडी में काफी कटौती की गई है किंतु अन्य रूपों में सब्सिडी दी जा रही है |
- इससे विकासशील देशों के कृषकों को दीर्घकालीन हित जुड़े होने के कारण विकासशील देश इस मुद्दे पर पीछे हटने के लिए तैयार नहीं है विकसित देशों द्वारा अपने कृषकों को दी जा रही सब्सिडी को तीन भागों में बांटा जाता है |
ग्रीन बॉक्स सब्सिडी
यह पर्यावरण संरक्षण, पशु संरक्षण, अनुसंधान कीट प्रबंधन, बीमारी नियंत्रण के तहत किए जा रहे उपायों के लिए किसानों को प्रदान किया जाता है |
ब्लू बॉक्स सब्सिडी
इसमें उत्पादन को सब्सिडी से जोड़ा जाता है और कोटा प्रणाली द्वारा उत्पादन को सीमित किया जाता है|
एंबर बॉक्स सब्सिडी
- यह अधिक उत्पादन को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से दी जाती है| इससे विकासशील एवं विकसित देशों के निर्यातकों के बीच अस्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलता है |