किसान क्रेडिट कार्ड योजना
- किसानों को कृषि साख उपलब्ध कराने के उद्देश्य से अगस्त 1998 में इस योजना की शुरुआत की गई| इसका कार्यान्वयन वाणिज्य बैंक, केंद्रीय सहकारी बैंक को और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के माध्यम से किया जाता है |
- इस स्कीम की व्यवस्था नाबार्ड द्वारा होती है, किसानों को उनकी भूमि के आधार पर दिया जाने वाला यह कार्ड ₹5000 अथवा उससे अधिक उत्पादन ऋण के लिए पात्र किसानों को दिया जाता है |
- प्राप्त ऋण का उपयोग किसान बीज उर्वरक कीटनाशक के अलावा अन्य आवश्यक वस्तुओं को खरीदने के लिए कर सकता है |
- कार्ड की वैधता 3 वर्ष की होती है तथा प्रत्येक आहरण के भुगतान की समय सीमा 12 माह निर्धारित की गई है |
- ऋण का निर्धारण जोत, फसल प्रारूप तथा वित्त की श्रेणी द्वारा निर्धारित होता है, प्राकृतिक आपदा अथवा अन्य कारणों से होने वाली फसल के नुकसान के मामले में ऋण का पुनर्निर्धारण भी किया जा सकता है |
- इसके अलावा कृषि लागत में वृद्धि होने पर ऋण की सीमा भी बढ़ाई जा सकती है इसमें विवाद में परिवर्तन भारतीय रिजर्व बैंक के मानदंडों के अनुसार होता है |
- जारी करने वाले बैंक अथवा उसके द्वारा नामित अन्य शाखाओं से बैंकिंग कार्य किए जाने का प्रावधान है इसके अलावा स्लिप और चेक के माध्यम से भी आहरण किया जा सकता है |
भारतीय खाद्य निगम के कार्य
भारतीय खाद्य निगम (Food Corporation of India)1 जनवरी 1965 को इसकी स्थापना 100 करोड़ रुपए की पूंजी के साथ की गई यह सरकार की एकमात्र एजेंसी है जो खाद्यान्नों के क्रय-विक्रय का कार्य करती है |
खाद्य सुरक्षा
- खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) के अनुसार “सभी व्यक्तियों को सभी समय पर उनके लिए आवश्यक बुनियादी भोजन के लिए भौतिक एवं आर्थिक दोनों रूप में उपलब्धि का आश्वसन मिलना, खाद्य सुरक्षा है |”
- अतिरिक्त खाद्य उत्पादन वाले देशों द्वारा इसका उपयोग एक हथियार के रूप में किया जा रहा है | भारत में खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए 1994-95 में सार्वजनिक वितरण प्रणाली तथा 1997 में लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली को आरंभ किया गया है |
- अमेरिका द्वारा पीएल-480 प्रोग्राम के तहत ही दी जाने वाली खाद्य सहायता में कटौती कर दी गई| इससे भारत में खाद्य संकट और बढ़ गया इसके बाद भारत में हरित क्रांति का आह्वान किया गया जिससे भारत खाद्य पदार्थों के मामले में आत्मनिर्भर हो सका |
मेगा फूड पार्क
- मेगा फूड पार्क योजना को सितंबर 2008 में शुरू किया गया था| इसके तहत देश के अलग-अलग स्थानों में 10 मेगा फूड पार्क स्थापित किए गए हैं ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना में 30 मेगा फूड पार्क स्थापित किए गए इस योजना का उद्देश्य निम्नलिखित है –
- कृषि उत्पादों के नुकसान को कम करना |
- स्थाई आपूर्ति व रखरखाव व्यवस्था |
- खाद्य पदार्थों का प्रसंस्करण करके उनका मूल्य संवर्धन |
- किसानों की आय बढ़ाना |
खाद्य सुरक्षा विधेयक की मुख्य बातें
- 22 दिसंबर 2011 को संसद में इसे प्रस्तुत किया गया |
- इसका उद्देश्य निर्धनों को कम मूल्य पर खाद्यान्न उपलब्ध करा कर उन्हें खाद्य सुरक्षा प्रदान करना है |
- इसमें देश की 62.5 प्रतिशत जनसंख्या को रियायती दर पर खाद्यान्न उपलब्ध कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है |
- ग्रामीण क्षेत्र की 75% तथा शहरी क्षेत्र की 50% जनसंख्या को इसके दायरे में लाया गया |
- प्राथमिकता वाले परिवार के प्रत्येक व्यक्ति को 7 किलोग्राम अनाज रियायती दर पर उपलब्ध कराया जाएगा |
- चावल की कीमत ₹3 प्रति किलोग्राम गेहूं की कीमत ₹2 प्रति किलोग्राम तथा मोटे अनाज की कीमत ₹1 प्रति किलोग्राम होगी |
- गैर-प्राथमिकता समूह वाले परिवार को न्यूनतम समर्थन मूल्य की 50% कीमत पर प्रति व्यक्ति प्रति माह 3 किलोग्राम अनाज उपलब्ध कराया जाएगा |
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद | उद्देश्य | कार्य
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद
- भारत सरकार के कृषि मंत्रालय के कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (डेयर) के अंतर्गत भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) एक स्वायत्तशासी संगठन है।
- इसका उद्देश्य कृषि अनुसंधान के क्षेत्र में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी कार्यक्रमों को प्रोत्साहन करना और उनके बारे में शिक्षित करना है |
- परिषद प्रत्यक्ष तौर पर कृषि क्षेत्र में संसाधनों के संरक्षण और प्रबंधन फसलों, पशुओं व मछली एवं संबंधित क्षेत्रों आदि से संबंधित समस्याओं को दूर करने के लिए पारंपरिक व सीमांत क्षेत्र में अनुसंधान की गतिविधियों में शामिल है |
- क्षेत्र में नई प्रौद्योगिकी विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है परिषद का मुख्यालय नई दिल्ली है |
- रॉयल कमीशन ऑन एग्रिकल्चर के प्रतिवेदन के अनुसरण में इसके पूर्व इंपीरियल कौंसिल ऑफ एग्रिकल्चर रिसर्च की संस्थापना 16 जुलाई 1929 को सोसाइटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1860 के तहत एक पंजीकृत सोसाइटी के रूप में हुई।
- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का मुख्यालय नई दिल्ली में है। बागवानी, मात्स्यिकी तथा पशु विज्ञान को सम्मिलित करते हुए संपूर्ण देश में कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा के समन्वयन, निर्देशन एवं प्रबंधन हेतु परिषद एक शीर्ष संगठन है।
- इसके अंतर्गत 103 आईसीएआर के संस्थान तथा 73 कृषि विश्वविद्यालय संपूर्ण देश में फैले हुए हैं और इस प्रकार यह विश्व की वृहत राष्ट्रीय कृषि प्रणालियों में से एक है।
- आईसीएआर ने अपने अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी विकास के माध्यम से भारत में हरित क्रांति लाने और उसके पश्चात के विकास में एक अग्रणी भूमिका निभाई है |
- जिससे 1951 से 2014 तक देश खाद्यान्न उत्पादन में 5 गुना, बागवानी फसलों में 9.5 गुना, मात्स्यिकी के क्षेत्र में 12.5 गुना , दूध उत्पादन में 7.8 गुना तथा अंडा उत्पादन में 39 गुना वृद्धि करने में समर्थ हुआ है और इस प्रकार राष्ट्रीय खाद्य एवं पोषणिक सुरक्षा में इसका एक स्पष्ट प्रभाव परिलक्षित होता है।
- परिषद ने कृषि में उच्च शिक्षा में उत्कृष्टता को प्रोन्नत करने में प्रमुख भूमिका निभाई है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विकास के नवोन्मेषी क्षेत्रों में कार्य करने में परिषद संलग्न रही है और इसके वैज्ञानिक अपने विषयों में अंतरराष्ट्रीय तौर पर जाने जाते हैं।