धारा 377 के बारे में सम्पूर्ण महत्वपूर्ण जानकारी
धारा 377 में क्या है ?
- धारा 377 की शुरुआत लॉर्ड मेकाले ने 1861 में की थी | इसके तहत समलैंगिकता अपराध की श्रेणी में था | धारा-377 भारत में अंग्रेजों ने 1862 में लागू किया था | इस कानून के तहत अप्राकृतिक यौन संबंध को गैरकानूनी ठहराया गया है |
- इंडियन पीनल कोड की धारा 377 के अनुसार “ किसी भी व्यक्ति , महिला या जानवर के साथ स्वैच्छिक रूप से संभोग करने वाले व्यक्ति को अपराधी माना जाएगी और उसे आजीवन कारावास की सजा या दस साल तक के कारावास की सजा हो सकती है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है |
- समलैंगिकता की इस श्रेणी को LGBTQ (लेस्बियन, गे, बाइसेक्सुअल, ट्रांसजेंडर और क्वीयर) के नाम से भी जाना जाता है| इसी समुदायों के लोग काफी लंबे समय से भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तहत इस धारा में बदलाव कराने और अपना हक पाने के लिए सालों से लड़ाई लड़ रहे थे |
भारत में धारा 377 पर विवाद कब हुआ ?
- गैर सरकारी संगठन ‘नाज फाउंडेशन’ ने धारा 377 के खिलाफ पहली बार मुद्दा उठाया था | नाज फाउंडेशन ने 2001 में दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी और अदालत ने समान लिंग के दो वयस्कों के बीच यौन संबंधों को अपराध घोषित करने वाले प्रावधान को ‘‘गैरकानूनी’’ बताया |
धारा 377 में क्या बदलाव हुआ है
- समलैंगिकता को अवैध बताने वाली IPC की धारा 377 (Section 377) की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया और कहा कि समलैंगिक संबंध अब से अपराध नहीं हैं|
- संविधान पीठ ने सहमति से दो वयस्कों के बीच बने समलैंगिक यौन संबंध को एक मत से अपराध के दायरे से बाहर कर दिया|
भारत से पहले किन देशों में समलैंगिकता अपराध नहीं है
- ऑस्ट्रेलिया, माल्टा, जर्मनी, फिनलैंड, कोलंबिया, आयरलैंड, अमेरिका, ग्रीनलैंड, स्कॉटलैंड, लक्जमबर्ग, इंग्लैंड और वेल्स, ब्राजील, फ्रांस, न्यूजीलैंड, उरुग्वे, डेनमार्क, अर्जेंटीना, पुर्तगाल, आइसलैंड, स्वीडन, नॉर्वे, दक्षिण अफ्रीका, स्पेन, कनाडा, बेल्जियम, नीदरलैंड जैसे 26 देशों ने समलैंगिक सेक्स को अपराध की श्रेणी से हटा दिया है |
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समलैंगिकता अब अपराध है या नहीं
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसले के बाद अब यह स्पष्ट हो चुका है. सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से यह फैसला सुनाया| साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के एक हिस्से को, जो सहमति से अप्राकृतिक यौन संबंध को अपराध बताता है, तर्कहीन, बचाव नहीं करने वाला और मनमाना करार दिया |
धारा 35A क्या है
क्या है अनुच्छेद 35A
- जम्मू-कश्मीर की विधान सभा को स्थाई नागरिक की परिभाषा तय करने का अधिकार देता है, जिसे कि राज्य में 14 मई 1954 को लागू किया गया था। यह अनुच्छेद संविधान की किताबों में देखने को नहीं मिलता है।
- दरअसल धारा 35A इस अनुच्छेद को लागू करने के लिए तत्कालीन सरकार ने धारा 370 के अंतर्गत प्राप्त शक्ति का इस्तेमाल किया था।
अनुच्छेद 35A को कब लागू किया गया
- इतिहास की माने तो इसे राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने 14 मई 1954 को लागू किया था। इस आदेश के राष्ट्रपति द्वारा पारित किए जाने के बाद भारत के संविधान में इसे जोड़ दिया गया। अनुच्छेद 35A धारा 370 का हिस्सा है।
क्या है अनुच्छेद 35A नियम
- इस धारा के तहत जम्मू-कश्मीर के अलावा भारत के किसी भी राज्य का नागरिक जम्मू-कश्मीर में कोई संपत्ति नहीं खरीद सकता इसके साथ ही वहां का नागरिक भी नहीं बन सकता।
- धरती की जन्नत (कश्मीर) नागरिक वो ही माना जाएगा जो कि 14 मई 1954 को राज्य का नागरिक रहा हो या उससे पहले के 10 वर्षों से राज्य में रह रहा हो या इससे पहले या इसके दौरान वहां पहले ही संपत्ति हासिल कर रखी हो।
- उदाहरण के तौर पर इसके साथ ही अगर जम्मू-कश्मीर की लड़की किसी बाहरी लड़के से शादी करती है तो उसके सारे अधिकार समाप्त हो जाएंगे। इसके साथ ही उसके बच्चों को भी किसी तरह के अधिकार नहीं मिलेंगे।
अनुच्छेद 35A को क्यों खत्म किया जा रहा है
- इसे खत्म करने की बात इसलिए हो रही है क्योंकि इस अनुच्छेद को संसद के जरिए लागू नहीं किया गया है|
- दूसरा कारण है कि इस अनुच्छेद के ही कारण पाकिस्तान से आए शरणार्थी आज भी राज्य के मौलिक अधिकार और अपनी पहचान से वंचित हैं।
संविधान दिवस कब मनाया जाता है
संविधान दिवस कब मनाया जाता है ?
- संविधान दिवस (26 नवम्बर) भारत गणराज्य का संविधान 26 नवम्बर 1949 को बनकर तैयार हुआ था।
- संविधान सभा के निर्मात्री समिति के अध्यक्ष डॉ॰ भीमराव आंबेडकर के 125वें जयंती वर्ष के रूप में 26 नवम्बर 2015 को संविधान दिवस मनाया गया।
- डॉ॰ भीमराव आंबेडकर जी ने भारत के महान संविधान को 2 वर्ष 11 माह 18 दिन में 26 नवम्बर 1949 को पूरा कर राष्ट्र को समर्पित किया।
- गणतंत्र भारत में 26 जनवरी 1950 से संविधान अमल में लाया गया।
- भारत सरकार द्वारा पहली बार 2015 से डॉ॰ भीमराव आंबेडकर के इस महान योगदान के रूप में 26 नवम्बर को “संविधान दिवस” मनाया गया।
- 26 नवंबर का दिन संविधान के महत्व का प्रसार करने और डॉ॰ भीमराव आंबेडकर के विचारों और अवधारणाओं का प्रसार करने के लिए चुना गया था।
भारतीय संविधान की विशेषताएं
- हमारा संविधान विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान है.
- देश का सर्वोच्च कानून हमारा संविधान 26 नवंबर, 1949 में अंगीकार किया गया था.
- संविधान सभा को इसे तैयार करने में दो साल, 11 महीने और 18 दिन का समय लगा.
- संविधान सभा पर अनुमानित खर्च 1 करोड़ रुपये आया था.
- मसौदा लिखने वाली समिति ने संविधान हिंदी, अंग्रेजी में हाथ से लिखकर कैलिग्राफ किया था और इसमें कोई टाइपिंग या प्रिंटिंग शामिल नहीं थी.
- संविधान सभा के सदस्य भारत के राज्यों की सभाओं के निर्वाचित सदस्यों के द्वारा चुने गए थे. जवाहरलाल नेहरू, डॉ भीमराव अम्बेडकर, डॉ राजेन्द्र प्रसाद, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद आदि इस सभा के प्रमुख सदस्य थे.
- 11 दिसंबर 1946 को संविधान सभा की बैठक में डॉ. राजेंद्र प्रसाद को स्थायी अध्यक्ष चुना गया, जो अंत तक इस पद पर बने रहें.
- इसमें अब 465 अनुच्छेद, तथा 12 अनुसूचियां हैं और ये 22 भागों में विभाजित है. इसके निर्माण के समय मूल संविधान में 395 अनुच्छेद, जो 22 भागों में विभाजित थे इसमें केवल 8 अनुसूचियां थीं.
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