उन प्रणालियों पर चर्चा कीजिये जिनके माध्यम से भारतीय संविधान द्वारा कार्यकारी, विधायी एवं न्यायिक शाखाओं के बीच शक्तियों के पृथक्करण की व्यवस्था की गई है। मूल्यांकन कीजिये कि यह पृथक्करण भारतीय संदर्भ में संसदीय संप्रभुता पर नियंत्रण के रूप में किस प्रकार कार्य करता है।

परिचय– वर्ष 1950 में अपनाया गया भारतीय संविधान कार्यकारी, विधायी और न्यायिक शाखाओं के बीच शक्तियों के पृथक्करण की नींव रखता है। शक्तियों के पृथक्करण […]

THE HINDU IN HINDI TODAY’S SUMMARY 11/OCT/2023

लैंगिक समानता की आवश्यकता और नेतृत्व की भूमिकाओं में महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियाँ। इस लेख को पढ़ने से लैंगिक समानता की वर्तमान स्थिति […]

संविधान की व्याख्या करने में और इसके उद्भव को निर्देशित करने में, विशेषकर ऐतिहासिक न्यायिक निर्णयों के संदर्भ में, प्रस्तावना की क्या भूमिका है?

संविधान की प्रस्तावना संविधान की व्याख्या करने और इसके विकास का मार्गदर्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह परिचयात्मक वक्तव्य के रूप में कार्य […]