UPSC NOTES:पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbances) एक प्रकार की मौसमीय घटना है जो मुख्य रूप से उत्तर भारत और पाकिस्तान के मौसम पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालती है। यह एक तरह का अस्थायी वायुमंडलीय विक्षोभ है, जो भूमध्य सागर, कैस्पियन सागर और अटलांटिक महासागर से उत्पन्न होकर भारतीय उपमहाद्वीप की ओर आता है। यह विक्षोभ पश्चिमी हवाओं के साथ आता है, और इसे ‘पश्चिमी विक्षोभ’ इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह पश्चिम दिशा से आता है।
पश्चिमी विक्षोभ के कारण उत्तरी भारत के मौसम में कई प्रकार के परिवर्तन देखे जाते हैं, विशेष रूप से सर्दियों के मौसम में। सर्दियों के महीनों में, जब यह विक्षोभ भारत में प्रवेश करता है, तो यह वर्षा, बर्फबारी, और बादलों के बनने का कारण बनता है। इसके आने से आमतौर पर जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और उत्तर भारतीय मैदानों में वर्षा और बर्फबारी होती है। इसके प्रभाव से उत्तरी भारत के मैदानी क्षेत्रों में तापमान में गिरावट आती है और ठंड बढ़ जाती है।
मौसम पर इसके प्रभाव की बात करें तो, सर्दियों में पश्चिमी विक्षोभ उत्तर भारत के राज्यों में खेती पर महत्वपूर्ण असर डालता है। विशेष रूप से रबी की फसलों, जैसे गेहूं और जौ, के लिए यह विक्षोभ अत्यधिक लाभकारी होता है, क्योंकि इससे होने वाली हल्की वर्षा फसल के लिए आवश्यक नमी प्रदान करती है। इसके अलावा, पश्चिमी विक्षोभ के कारण उत्तरी भारत में ठंडी हवाएँ चलने लगती हैं, जिससे तापमान में गिरावट आती है। कभी-कभी, यह विक्षोभ अत्यधिक वर्षा और बर्फबारी भी ला सकता है, जो सामान्य जीवन और यातायात को बाधित करता है।
गर्मियों में, पश्चिमी विक्षोभ कई बार उत्तरी भारत में धूल भरी आँधियाँ और बारिश भी ला सकता है, जिससे आंशिक रूप से गर्मी से राहत मिलती है। हालाँकि, मानसून के दौरान इसका प्रभाव कम होता है क्योंकि उस समय दक्षिण-पश्चिमी मानसून हवाएँ प्रभावी होती हैं।
कुल मिलाकर, पश्चिमी विक्षोभ का भारतीय उपमहाद्वीप के मौसम पर विशेष रूप से उत्तर भारत में सर्दियों के मौसम में महत्वपूर्ण प्रभाव होता है। यह विक्षोभ न केवल तापमान को नियंत्रित करता है बल्कि कृषि और पानी के स्रोतों को भी प्रभावित करता है, जो इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था और जनजीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।