- बीटिंग द रिट्रीट’ भारत में गणतंत्र दिवस के अवसर पर हुए आयोजनों का आधिकारिक रूप से समापन की घोषणा है।
- हर वर्ष 29 जनवरी की शाम को अर्थात गणतंत्र दिवस के तीसरे दिन बीटिंग द रिट्रीट का आयोजन किया जाता है, इसके लिए 26 से 29 जनवरी के बीच सभी महत्वपूर्ण सरकारी भवनों को रोशनी से सुंदरता पूर्वक सजाया जाता है।
कैसे मनाया जाता है
- ये आयोजन तीनों सेनाओं के एक साथ मिलकर सामूहिक बैंड वादन से शुरू होता है जो लोकप्रिय मार्चिंग धुनें बजाते हैं।
- ड्रमर्स भी एकल प्रदर्शन ( जिसे ड्रूमर्स कॉल कहते है) करते है । इस दौरान महात्मा गांधी जी की प्रिय धुन बजाई जाती है,और ट्यूबलर द्वारा चाइम्स बजाई जाती है ,इससे एक मनमोहक दृश्य बनता है ।
- इसके बाद रिट्रीट का बिगुल वादन होता है ,जब बैंड मास्टर राष्ट्रपति के समीप जाते है और बैंड वापिस ले जाने की अनुमति मांगते है ,तब सूचित किया जाता है कि ‘ समापन समारोह ‘ पूरा हो गया है ।
- बैंड मार्च वापस जाते समय लोकप्रिय धुन सारे जहां से अच्छा बजाते है। ठीक शाम 6 बजे बगलर्स रिट्रीट की धुन बजाते है और राष्ट्रीय ध्वज को उतार लिया जाता है तथा राष्ट्रगान बजाया जाता है और इस प्रकार गणतंत्र दिवस के आयोजन का औपचारिक समापन होता है।
- यह आवश्यक कार्यक्रम है क्यों कि भारतीय आर्मी का हर काम को करने का एक तरीका होता है । इसके माध्यम से सेनाएं राष्ट्रपति से आयोजन समाप्त करने की अनुमति लेती है क्योंकि राष्ट्रपति भारत की तीनों सेनाओं का अध्यक्ष होता है |
- यह समारोह सैनिकों की उस पुरानी परंपरा की भी याद दिलाता है जिसमें सैनिक दिन भर के युद्ध के बाद शाम के समय आराम करते थे, दरअसल यही वह समय होता था जब वे अपने कैंप में लौटते थे और ढलते सूरज के साथ शाम के समय जश्न मनाते थे इसके बाद वे फिर से युद्ध की तैयारी में जुट जाते थे |
कब और कैसे शुरू हुई ये परंपरा
- बीटिंग रिट्रीट ब्रिटेन की बहुत पुरानी परंपरा है, इसका असली नाम ‘वॉच सेटिंग’ है और यह सूर्य डूबने के समय मनाया जाता है | भारत में बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी की शुरुआत सन 1950 से हुई
- 1950 से अब तक भारत के गणतंत्र बनने के बाद बीटिंग द रिट्रीट कार्यक्रम को दो बार रद्द करना पड़ा है, पहला 26 जनवरी 2001 को गुजरात में आए भूकंप के कारण और दूसरी बार ऐसा 27 जनवरी 2009 को देश के आठवें राष्ट्रपति वेंकटरमन का लंबी बीमारी के बाद निधन हो जाने पर किया गया |
भारत, इंडिया या हिन्दुस्तान ? कैसे पड़े ये नाम ?
आपके मन में अवश्य ही ये विचार आता होगा कि हमारे देश के 3 नाम क्योंं हैं और ये कैसे पड़े? वैसे संविधान में लिखा है “इंडिया जो कि भारत है वह राज्यों का संघ होगा” मतलब संविधान में हमारे देश का नाम भारत ही है, अब चलिये आपको बताते हैं कि ये तीन नाम कैसे पड़े?
भारत नाम कैसे पड़ा
भगवान राम के पूर्वज सम्राट भरत, चक्रवर्ती सम्राट हुए हैं। इनका साम्राज्य कश्मीर से कन्याकुमारी तक फैला हुआ था। उनके नाम पर ही देश का नाम भारतवर्ष पड़ा।
हिंदुस्तान नाम कैसे पड़ा
हिमालय के पश्चिम में सिंधु नदी बहती है और एक बहुत बड़ा भू-भाग इससे घिरा है। इस भू-भाग को सिंधु घाटी कहते हैं। सिंधु घाटी सभ्यता बहुत प्रसिद्ध हुई है। मध्ययुग में जब तुर्किस्तान से कुछ विदेशी लुटेरे और ईरानी लोग देश में आये तो सर्वप्रथम उन्होंने सिंधु घाटी में प्रवेश किया। यहां के निवासियों को उन्होंने हिन्दू नाम दिया, जो सिंधु का ही एक अपभ्रंश है। हिन्दुओं के देश को उन्होंने हिन्दुस्तान के नाम से जाना और प्रचलित किया।
इंडिया नाम कैसे पड़ा
सिंधु नदी का दूसरा नाम इंडस वैली भी कहा जाता था। सिंधु घाटी की सभ्यता रोम की सभ्यता की तरह प्रसिद्ध थी और पूरे देश में फैली हुई थी। इंडस वैली के कारण ही देश का नाम इंडिया पड़ा।
इंडिया नाम प्रचलित क्यों है
जब अंग्रेज देश में आये तो उन्हें हिन्दुस्तान अथवा हिन्द का उच्चारण करने में कठिनाई हुई। इसका हल उन्होंने खोजा और उन्हें पता चला कि सिंधु घाटी का नाम इंडस वैली भी है। अत: उन्होंने हमारे देश को इंडिया नाम दिया और देश पूरे विश्व में इंडिया के नाम से प्रसिद्ध हो गया।
गणतन्त्र दिवस क्यों मनाया जाता है 26 जनवरी को ही क्यों मनाते हैं
हर भारतवासी के लिए 26 जनवरी का दिन बेहद महत्वपूर्ण है। हर वर्ष बड़े उत्साह के साथ इस दिन को मनाते हैं | इसे गणतंत्र दिवस के तौर मनाया जाता है। यह भारत का एक राष्ट्रीय पर्व है।
क्यों मनाया जाता है
- क्योंकि देश आजाद होने के बाद इसी दिन भारत पूर्ण गणतंत्रिक देश बना। यानी देशवासियों के लिए एक संविधान लागू हुआ जिससे भारत में कानून का राज कायम हुआ, जनता को मौलिक अधिकार प्राप्त हुए।
- इसलिए यह दिन हर देशवासियों के लिए खास है। इस दिन राष्ट्रपति तिरंगा फहराते हैं और 21 तोपों की सलामी दी जाती है। सामूहिक रूप में खड़े होकर राष्ट्रगान गाया जाता है।
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26 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है ?
- ये जानने के लिए हमें इतिहास में झांकना होगा | वर्ष 1929 के दिसंबर महीने में लाहौर में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन हुआ। इसकी अध्यक्षता पंडित जवाहरलाल नेहरू कर रहे थे।
- इस अधिवेशन में प्रस्ताव पास हुआ कि अगर अंग्रेजी हुकूमत 26 जनवरी 1930 तक भारत को डोमिनियन का पद नहीं देता है तो भारत खुद को पूरी तरह से स्वतंत्र घोषित कर देगा।
- इसके बावजूद 26 जनवरी 1930 तक जब अंग्रेज सरकार ने कुछ नहीं दिया तब कांग्रेस ने उस दिन भारत की पूर्ण स्वतंत्रता के निश्चय की घोषणा की और अपना सक्रिय आंदोलन शुरू किया।
- इस दिन जवाहर लाल नेहरु ने लाहौर में रावी नदी के किनारे तिरंगा फहराया। इसके बाद से भारत ने 26 जनवरी 1930 को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाने लगा |
- और जब 1947 में देश आजाद हुआ 15 अगस्त को भारत के स्वतंत्रता दिवस के रूप में स्वीकार किया गया।
- हमारा संविधान 26 नवंबर 1949 तक तैयार हो गया था। उस दिन (26 नवंबर ) अब भी संविधान दिवस मनाया जाता है |
- परंतु 26 जनवरी का दिन पहले से ही महत्वपूर्ण था तो 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू किया गया और इस दिन को तब से गणतंत्र दिवस के रुप में मनाया जाता है।