रागी यह कर्नाटक का प्रमुख अनाज है, जहाँ लाखों लोग इसका उपयोग मूल खाद्यान्नके रूप में करते हैं। कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, ओडीशा, बिहार, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तराखण्ड तथा हिमाचल प्रदेश में रागी का प्रचुर उत्पादन होता है।
जिन क्षेत्रों में 50 सेंटीमीटर से 100 सेंटीमीटर तक वर्षा होती है या सिंचाई की अच्छी व्यवस्था है, वहीं रागी की खेती होती है। दक्षिण भारत में रागी का उत्पादन ग्रीष्म ऋतु की फसल या रबी की फसल के रूप में होता है, परन्तु उत्तर भारत में इस फसल का उत्पादन खरीफ की फसल के रूप में होता है।
रागी की खेती के लिए लाल दोमट, काली एवं बलुई दोमट मिट्टी दक्षिण भारत में तथा गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में जलोढ़ मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है।
कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के सिंचाई-सुविधा से युक्त क्षेत्र में रागी की खेती वर्ष भर होती है। 60 से 80 दिनों के भीतर रागी के पौधे में फूल आ जाते हैं, जबकि लगभग 135 दिनों में इसका पर्याप्त विकास होता है, परन्तु यह रागी की किस्म और उत्पादन पद्धति पर निर्भर करता है। रागी की फसल छींटकर, रोपकर या स्थानांतरित कर उगायी जाती है। रागी की उपजायी जाने वाली मुख्य किस्में हैं-वी.एल. 149, एच.पी.बी. 1ई2, जी.पी.यू. 24।