हरियाणा के राज्यपाल ने संपत्ति के नुकसान की वसूली अधिनियम (Haryana Recovery of Damages to Property Act) को मंज़ूरी दी
हरियाणा के राज्यपाल एस.एन. आर्य ने संपत्ति के नुकसान की वसूली विधेयक (Haryana Recovery of Damages to Property Bill) को मंजूरी दी। इस बिल (अब अधिनियम) के अनुसार, लोगों की दुकानों, घरों, सरकारी कार्यालयों, बसों, वाहनों और ऐसी अन्य सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान की भरपाई प्रदर्शनकारियों से की जाएगी।
पृष्ठभूमि
“लोक व्यवस्था में गड़बड़ी के दौरान संपत्ति के नुकसान की वसूली विधेयक, 2021” (Haryana Recovery of Damages to Property During Disturbance to Public Order Bill, 2021) मार्च 2021 में पारित किया गया था।
अधिनियम के प्रमुख प्रावधान
- संपत्ति के नुकसान की वसूली उस व्यक्ति से की जाएगी जो सार्वजनिक व्यवस्था में गड़बड़ी पैदा करता है।
- यह अधिनियम पीड़ितों को मुआवजा भी सुनिश्चित करता है।
- विरोध का नेतृत्व करने वाले और इसकी योजना बनाने में शामिल लोगों, नेताओं, आयोजकों आदि से भी वसूली की जाएगी।
- क्लेम ट्रिब्यूनल द्वारा पारित निर्णय से व्यथित कोई भी व्यक्ति पंजाब और हरियाणा के उच्च न्यायालय में जा सकता है। मुआवजे से संबंधित प्रश्न पर विचार करने का अधिकार किसी भी सिविल कोर्ट के पास नहीं होगा।
सरकार का मत
हरियाणा सरकार ने यह कहते हुए अधिनियम को मंजूरी दी कि राज्य में किसी भी सरकारी या निजी संपत्ति की रक्षा करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है।
अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण
अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (IFSCA) ने ‘निवेश कोष’ के संबंध में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है। ‘कोटक महिंद्रा परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी लिमिटेड’ के प्रबंध निदेशक नीलेश शाह की अध्यक्षता में गठित यह समिति अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र में निवेश संबंधी वित्तीय योजनाओं की रूपरेखा तैयार करने की सिफारिश करेगी। इस समिति में प्रौद्योगिकी, वितरण, कानूनी, अनुपालन और संचालन जैसे क्षेत्रों सहित समग्र फंड प्रबंधन पारिस्थितिकी तंत्र के प्रतिनिधि शामिल हैं।। यह समिति वैश्विक वित्तीय गतिविधियों की समग्र समीक्षा और उद्योगों की कार्ययोजना के बारे में सिफारिशें करने के लिये गठित की गई है। IFSCA की स्थापना अप्रैल 2020 में अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण विधेयक, 2019 के तहत की गई थी। IFSC घरेलू अर्थव्यवस्था के अधिकार क्षेत्र से बाहर के ग्राहकों को आवश्यक सेवाएँ उपलब्ध कराता है। इसका मुख्यालय गांधीनगर (गुजरात) की ‘गिफ्ट सिटी’ में स्थित है। यह भारत में अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (IFSC) में वित्तीय उत्पादों, वित्तीय सेवाओं और वित्तीय संस्थानों के विकास तथा विनियमन के लिये एक एकीकृत प्राधिकरण है। इसकी स्थापना IFSC में ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस’ को बढ़ावा देने और एक विश्व स्तरीय नियामक वातावरण प्रदान करने के लिये की गई है।
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में वृद्धि (FDI)
हाल ही में भारत में FDI प्रवाह में वृद्धि हुई है।
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति में सुधार, निवेश की सुविधा और व्यापार करने में आसानी के संबंध में सरकार द्वारा किए गए उपायों ने वृद्धि में योगदान दिया है।
भारत के FDI में रुझान हैं:
- वर्ष 2020-21 के दौरान 81.72 बिलियन अमेरिकी डॉलर का अब तक का सबसे अधिक एफडीआई प्रवाह।
- यह पिछले वर्ष (74.39 बिलियन अमेरिकी डॉलर) की तुलना में 10% अधिक है।
- शीर्ष निवेशक देश: सिंगापुर (29%), U.S.A (23%) और मॉरीशस (9%)
- क्षेत्रवार अधिकतम एफडीआई प्राप्त हुआ: कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर (44%), निर्माण (इन्फ्रास्ट्रक्चर) गतिविधियां (13%) और सेवा क्षेत्र (8%)
- राज्यवार अधिकतम एफडीआई प्राप्त हुआ: गुजरात (37%), महाराष्ट्र (27%) और कर्नाटक (13%)।
अफ्रीकी वायलेट
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च (IISER), भोपाल के वैज्ञानिकों ने मिज़ोरम में अफ्रीकी वायलेट के एक नए प्रकार की खोज की है। ‘डिडिमोकार्पस विकिफंकिया’ नामक यह नई प्रजाति वर्तमान में म्याँमार के साथ उत्तर-पूर्वी राज्यों की सीमा के पास केवल तीन स्थानों में ही मौजूद है और इसे एक लुप्तप्राय प्रजाति माना जाता है। यह एक एपिफाइट है यानी एक ऐसा पौधा जो पेड़ों पर उगता है और इसमें मानसून के दौरान हल्के गुलाबी रंग के फूल आते हैं। इस प्रजाति का नाम विख्यात वनस्पतिशास्त्री ‘विकी एन फंक’ के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने अमेरिका में स्मिथसोनियन इंस्टीट्यूट में काम किया था। आमतौर पर ‘अफ्रीकी वायलेट’ के रूप में प्रसिद्ध प्रजाति ‘डिडिमोकार्पस’ मूल रूप से तंजानिया और केन्या से है और यह बागवानी के क्षेत्र में काफी लोकप्रिय है, जिसे प्रायः यूरोपीय देशों में घरेलू पौधे के रूप में प्रयोग किया जाता है। इस खोज ने पूर्वोत्तर की पुष्प विविधता के महत्त्व और उसे संरक्षित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया है।
असम के मुख्यमंत्री ने ‘Guardian Ministers’ की नियुक्ति की
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) ने राज्य में “Guardian Ministers” को नियुक्त किया है।
संरक्षक मंत्रियों (Guardian Ministers) के कार्य
- संरक्षक मंत्री राज्य के सभी 34 जिलों में संतुलित, तेज और सतत विकास की देखरेख करेंगे।
- वे जिलों में राज्य और केंद्र सरकार द्वारा योजनाओं को लागू करने और सम्बंधित मुद्दों को हल करने के लिए जिम्मेदार होंगे।
- वे सरकार के नीतिगत फैसलों, प्रशासनिक सुधारों और जनता के लिए कल्याणकारी योजनाओं की निगरानी भी करेंगे।
- वे सामान्य रूप से और साथ ही आपातकालीन स्थितियों के दौरान नियत जिलों का अक्सर दौरा करेंगे।
- वे सरकार को जिले के कल्याण और विकास के लिए नीतिगत फैसले भी सुझा सकते हैं।बाद में इस मामले पर राज्य मंत्रिमंडल विचार करेगा।
- वे जिलों में सर्वोत्तम प्रथाओं के लिए पुरस्कारों की सिफारिश करेंगे और जिला प्रशासन के साथ एक ‘विजन डॉक्यूमेंट’ तैयार करेंगे।
- वे बुनियादी ढांचे के विकास की योजना भी बना सकते हैं और जिले में उपलब्ध संसाधनों का अध्ययन कर सकते हैं।
- वे बेरोजगार युवाओं को रोजगार देने की योजना की देखरेख करेंगे।
- अंत में, वे जिला विशिष्ट मामलों की सिफारिश करेंगे जहां बजट प्रावधान की आवश्यकता है।
जिलों का आवंटन
13 मंत्रियों में से आठ मंत्रियों को तीन-तीन जिले और पांच मंत्रियों को दो-दो जिले आवंटित किए गए हैं।
संरक्षक मंत्री (Guardian Minister) कौन है?
वह जिला योजना समिति (DPC) का पदेन अध्यक्ष होता है, जिसका गठन हर जिले में कानून के अनुसार किया जाता है। हालांकि, नियम में यह उल्लेख नहीं है कि डीपीसी का प्रमुख कौन होना चाहिए। इसका नेतृत्व प्रशासन के साथ-साथ निर्वाचित प्रतिनिधि भी कर सकते हैं।
मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता
खबरों में
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और डिजिटल न्यूज आउटलेट्स के लिए नए नियम, जिन्हें इंटरमीडियरी गाइडलाइंस और डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड कहा जाता है, हाल ही में लागू हुए।
दिशानिर्देशों में सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों को शिकायत निवारण और अनुपालन तंत्र स्थापित करने के लिए कहा गया था, जिसमें एक निवासी शिकायत अधिकारी, मुख्य अनुपालन अधिकारी और एक नोडल संपर्क व्यक्ति की नियुक्ति शामिल थी।
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने भी इन प्लेटफार्मों को उपयोगकर्ताओं से प्राप्त शिकायतों और की गई कार्रवाई पर मासिक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा था।
इंस्टेंट मैसेजिंग ऐप्स की तीसरी आवश्यकता किसी संदेश के पहले प्रवर्तक को ट्रैक करने के लिए प्रावधान करना था।
इन आवश्यकताओं में से किसी एक का पालन करने में विफलता सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 79 के तहत सोशल मीडिया मध्यस्थों को प्रदान की गई क्षतिपूर्ति (सुरक्षा) को छीन लेगी।
क्या आप जानते हैं?
धारा 79 में कहा गया है कि किसी भी मध्यस्थ को उसके प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध या होस्ट की गई किसी तीसरे पक्ष की जानकारी, डेटा या संचार लिंक के लिए कानूनी या अन्यथा उत्तरदायी नहीं ठहराया जाएगा।
Prevention of Anti-Social Activity (PASA) Act क्या है?
लक्षद्वीप के प्रशासक प्रफुल खोड़ा पटेल (Praful Khoda Patel) का केंद्र शासित प्रदेश के लोगों और राजनेताओं द्वारा हाल के दिनों में तैयार की गई नीतियों के कार विरोध किया जा रहा है।
नीतियां
1. Draft Lakshadweep Development Authority Regulation 2021 (LDAR)
लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण (LDA) को हाल ही में भूमि मालिकों को बेदखल करने जैसी व्यापक शक्तियों के साथ बनाया गया था। यह कानून LDAR को किसी भी क्षेत्र के लिए व्यापक विकास योजनाएं तैयार करने और लक्षद्वीप में रहने वाले लोगों को नगर नियोजन या किसी भी विकासात्मक गतिविधि के उद्देश्य से उनकी संपत्ति से हटाने या स्थानांतरित करने के लिए व्यापक शक्तियां प्रदान करता है।
2. Prevention of Anti-Social Activities Act (PASA)
यह अधिनियम जनवरी 2021 में पेश किया गया था। इसके अनुसार, व्यक्ति को बिना किसी सार्वजनिक प्रकटीकरण के एक वर्ष तक की अवधि के लिए हिरासत में रखा जा सकता है।
3. Draft Panchayat Notification
इस अधिसूचना के अनुसार, दो से अधिक बच्चों वाले सदस्य को सदस्य होने से अयोग्य घोषित किया जाता है।
प्रफुल खोड़ा पटेल (Praful Khoda Patel)
प्रफुल्ल खोड़ा पटेल एक राजनेता हैं, वे वर्तमान में केंद्र शासित प्रदेश दादरा व नगर हवेली और दमन व दीव और लक्षद्वीप के प्रशासक के रूप में पद संभाल रहे हैं। वे दादर एवं नगर हवेली और दमन एवं दीव के पहले प्रशासक हैं। उन्हें दिसंबर 2020 में लक्षद्वीप का प्रशासक बनाया गया था।
प्रशासक की नियुक्ति कौन करता है ?
प्रशासक की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। यह किसी भी केंद्र शासित प्रदेश के लिए एक महत्वपूर्ण पद है क्योंकि क्षेत्र में सभी कार्यों को करने का कार्यभार प्रशासक के पास होता है। प्रशासक राष्ट्रपति की ओर से कार्य करता है।