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संवेदना (SAMVEDNA) क्या है?

SAMVEDNA का अर्थ Sensitizing Action on Mental Health Vulnerability through Emotional Development and Necessary Acceptance है। यह एक टोल-फ्री हेल्पलाइन है जिसके माध्यम से COVID-19 महामारी के दौरान प्रभावित बच्चों को परामर्श प्रदान किया जाता है।

SAMVEDNA (संवेदना)

  • संवेदना का मुख्य उद्देश्य COVID-19 प्रभावित बच्चों को मनोवैज्ञानिक प्राथमिक चिकित्सा और भावनात्मक समर्थन प्रदान करना है
  • टेली-काउंसलिंग महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के तहत कार्यरत राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग (National Commission of Child Rights) द्वारा प्रदान की जाती है।
  • NIMHANS (National Institute of Mental Health and Neurosciences) के मनोवैज्ञानिक, परामर्शदाता और विशेषज्ञ अपने सेवाएं प्रदान करते हैं।
  • इसके लिए टोल-फ्री नंबर 1800-121-2830 है।
  • यह सोमवार से शनिवार तक सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक और दोपहर 3 बजे से रात 8 बजे तक उपलब्ध है।
  • यह सेवा केवल बच्चों के लिए ही है।
  • इस पहल के तहत सेवा विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं जैसे तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मराठी, बंगाली, गुजराती, आदि के तहत प्रदान की जाती है।

योजना क्या है?

तीन श्रेणियों में बच्चों को टेली-काउंसलिंग प्रदान की जानी है। वे इस प्रकार हैं:

  • जिन बच्चों ने COVID-19 के कारण अपने माता-पिता को खो दिया है।
  • जो बच्चे COVID देखभाल केंद्रों में संगरोध (quarantine) में हैं।
  • जिन बच्चों के माता-पिता या परिवार के COVID-19 पॉजिटिव हैं।

चीन का ‘ज़्यूरोंग’ रोवर

(China’s ‘Zhurong’ rover)

संदर्भ:

हाल ही में, चीन का मानव रहित तियानवेन-1′ (Tianwen-1) अंतरिक्ष यान, मंगल की सतह पर सुरक्षित रूप से उतर गया है।

  • यह अंतरिक्ष यान, मंगल ग्रह के उत्तरी गोलार्ध में स्थित, यूटोपिया प्लैनिटिया’ (Utopia Planitia) नामक एक बड़े मैदान में उतरा है।
  • इसके साथ ही, चीन, रहस्यमयी लाल ग्रह पर अन्वेषण करने हेतु रोवर भेजने वाला विश्व का दूसरा देश बन गया है।
  • इस लैंडर पर भेजे गए ‘ज़्यूरोंग’ रोवर (‘Zhurong’ rover) को शीघ्र ही मंगल ग्रह के वातावरण और भूविज्ञान का अध्ययन करने हेतु उतारा जाएगा।

तियानवेन-1चीन का मंगल अभियान

जुलाई 2020 में प्रक्षेपित किए गए इस मिशन में एक ऑर्बिटरएक लैंडर और गोल्फ कार्ट के आकार का एक ‘ज़्यूरोंग’ रोवर शामिल है।

यह अंतरिक्ष यान, इसी वर्ष फरवरी में मंगल की कक्षा में पहुंचा था।

यिंगहुओ-1 मिशन:

चीन द्वारा मंगल ग्रह पर अंतरिक्ष यान भेजने का यह पहला प्रयास नहीं है। इसके पूर्व, लगभग दस साल पहले, चीन द्वारा ‘यिंगहुओ –1 (Yinghuo-1) मिशन लॉन्च किया गया था। यह मिशन, इसे ले जाने वाले रूसी रॉकेट द्वारा उड़ान भरने में विफल रहने के कारण पृथ्वी के वायुमंडल में ही अंतरिक्ष यान के जल जाने के बाद असफल हो गया था।

इसके आगे:

यदि ‘ज़्यूरोंग’ रोवर बिना किसी रूकावट अपना कार्य आरंभ कर देता है, तो चीन, अपने पहले मंगल मिशन के दौरान, मंगल ग्रह का सफलतापूर्वक परिक्रमण करने, इसकी सतह पर अंतरिक्ष यान उतारने, तथा रोवर को तैनात करने वाला पहला देश बन जाएगा।

कौन से अन्य देश मंगल ग्रह पर रोवर भेजने में कामयाब रहे हैं?

चीन के अलावा, केवल संयुक्त राज्य अमेरिका ही लाल ग्रह की सतह का अध्ययन करने के लिए रोवर्स तैनात करने में सक्षम है।

  • नासा द्वारा, जुलाई 1976 में, मंगल ग्रह पर पहली सफल लैंडिंग की गई थी। इस मिशन में, ‘वाइकिंग 1’ रोवर (Viking 1 rover) मंगल ग्रह की सतह पर उतरा था।
  • इसके कुछ ही समय बाद, लाल ग्रह पर ‘वाइकिंग 2’ को भेजा गया था।
  • इसके बाद के दशकों में, अमेरिका ने मंगल ग्रह का अन्वेषण करने हेतु, स्पिरिट तथा अपार्चुनिटी रोवर्स भेजे गए।
  • इस साल फरवरी में, नासा का ‘परसिवरेंस रोवर’ (Perseverance rover) मंगल ग्रह की सतह पर स्थित ‘जेज़ेरो क्रेटर’ (Jezero Crater) पर उतरा, और इसने ग्रह पर अतीत के जीवन-संकेतों को खोजने के लिए कार्य शुरू कर दिया है।

विश्व दूरसंचार और सूचना समाज दिवस

प्रतिवर्ष 17 मई को विश्व भर में ‘विश्व दूरसंचार और सूचना समाज दिवस’ का आयोजन किया जाता है। इस दिवस का उद्देश्य इंटरनेट और अन्य सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकियों (ITC) के उपयोग से समाज तथा अर्थव्यवस्थाओं में लाए जाने वाले महत्त्वपूर्ण परिवर्तनों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। इस दिवस को ‘विश्व सूचना समाज दिवस’ और ‘विश्व दूरसंचार समाज दिवस’ के समामेलन के रूप में आयोजित किया जाता है। ‘विश्व दूरसंचार समाज दिवस’ अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) की स्थापना तथा वर्ष 1865 में पहले अंतर्राष्ट्रीय टेलीग्राफ कन्वेंशन पर हस्ताक्षर को चिह्नित करता है, जबकि ‘विश्व सूचना समाज दिवस’ ‘वर्ल्ड समिट ऑन द इंफॉर्मेशन सोसायटी’ (WSIS) द्वारा रेखांकित ITC के महत्त्व और सूचना समाज से संबंधित व्यापक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करता है। वर्ष 2006 में संयुक्त राष्ट्र ने दोनों दिवसों को संयुक्त तौर पर प्रतिवर्ष एक साथ आयोजित करने का निर्णय किया था। वर्ष 2021 में इस दिवस की थीम है- ‘चुनौतीपूर्ण समय में डिजिटल परिवर्तन को गति देना’, जो कि मौज़ूदा कोरोना वायरस महामारी में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर डिजिटल अवसंरचना में महत्त्वपूर्ण बदलाव लाने और डिजिटल डिवाइड को कम करने पर केंद्रित है।

जीवविज्ञान रोगों के उपचार के लिए क्रांतिकारी दृष्टिकोण प्रदान करते हैं

एक नैनोपार्टिकल को हाल ही में यू.एस.ए. के मैसाचुसेट्स विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा डिजाइन किया गया था
यह बीमारियों के इलाज के लिए एक नया और संभावित क्रांतिकारी दृष्टिकोण प्रदान करता है।

  • नई अवधारणा, प्रोटीन-एंटीबॉडी संयुग्म या पीएसी, दवा वितरण के लिए दो अलग-अलग तरीकों को जोड़ती है।
  • एक है बायोलॉजिक्स, जहां विचार यह है कि सिस्टम में एक दोषपूर्ण प्रोटीन को प्रोटीन वितरित करके लक्षित किया जाए।
  • इसका एक उदाहरण इंसुलिन उपचार का मामला है।
  • दूसरा तरीका दवा वितरण के लिए एंटीबॉडी का उपयोग करना है।
  • एंटीबॉडी एक ऐसी चीज है जो शरीर शरीर के अंदर एक विदेशी पदार्थ का पता लगाने के लिए पैदा करता है।
  • अब, पीएसी में एंटीबॉडी से जुड़ा एक प्रोटीन होता है।
  • इससे पैंक्रियाटिक कैंसर जैसी लाइलाज बीमारियों पर असर पड़ सकता है।

ICMR ने प्लाज्मा थेरेपी पर एडवाइजरी जारी की

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की एक एडवाइजरी के अनुसार, COVID-19 के लिए अनुशंसित उपचार दिशानिर्देशों से दीक्षांत प्लाज्मा के उपयोग को हटा दिया गया है।

पिछले साल किए गए PLACID परीक्षण में प्लाज्मा के उपयोग से कोई महत्वपूर्ण लाभ नहीं मिला था; यह अभी भी अनुशंसित दिशानिर्देशों में जगह ढूंढता रहा।
कुछ विशेषज्ञों के मुताबिक, ऐसे प्लाज्मा के इस्तेमाल से वायरस में नए म्यूटेशन हो सकते हैं।
महत्वपूर्ण मूल्यवर्धन

प्लाज्मा

रक्त प्लाज्मा रक्त का एक पीला तरल घटक है जो पूरे रक्त की रक्त कोशिकाओं को निलंबन में रखता है।
यह रक्त का तरल भाग है जो पूरे शरीर में कोशिकाओं और प्रोटीनों को वहन करता है।
यह शरीर की कुल रक्त मात्रा का लगभग 55% बनाता है।
इस प्लाज्मा में वायरल एंटीबॉडी होते हैं जिनमें रोग के गंभीर मामलों के लिए उपचार की क्षमता होती है।


प्लाज्मा थेरेपी

प्लाज्मा थेरेपी एक चिकित्सा प्रक्रिया है जो ठीक हो चुके रोगी के रक्त का उपयोग उन संक्रमित व्यक्तियों पर एंटीबॉडी बनाने के लिए करती है।
इसे चिकित्सकीय रूप से दीक्षांत प्लाज्मा थेरेपी के रूप में जाना जाता है।
यह उपचार एक बरामद कोविड-19 रोगी से लिए गए रक्त में पाए जाने वाले एंटीबॉडी का उपयोग करता है।
इसके बाद इसका उपयोग गंभीर SARS-CoV-2 संक्रमण वाले लोगों के इलाज के लिए किया जाता है ताकि ठीक होने में मदद मिल सके।

दस सालों में 186 हाथियों की रेल की पटरियों पर मौत


संदर्भ:

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) के अनुसार, 2009-10 और 2020-21 के बीच पूरे भारत में ट्रेनों की चपेट में आने से कुल 186 हाथियों की मौत हुई है।

असम में, रेल की पटरियों पर सर्वाधिक (62)  हाथियों की मौतें हुई हैं, इस मामले में, इसके बाद पश्चिम बंगाल (57), और ओडिशा (27) का स्थान है।

किए जाने वाले प्रमुख उपाय:

  1. रेल दुर्घटनाओं से होने वाली हाथियों की मौत को रोकने के लिए रेल मंत्रालय (रेलवे बोर्ड) और MoEFCC के बीच एक स्थायी समन्वय समिति का गठन।
  2. लोको पायलटों को स्पष्टतयः दिखाई देने के लिए रेलवे पटरियों के किनारे के पेड़-पौधों की सफाई करना।
  3. लोको पायलटों के लिए, हाथियों की उपस्थिति के बारे में सचेत करने हेतु, उपयुक्त स्थानों पर चेतावनी संकेतक बोर्डों का उपयोग करना।
  4. रेलवे पटरियों के ऊपर उठे हुए भागों (elevated sections) के ढलान को मध्यम करना।
  5. हाथियों के सुरक्षित आवागमन के लिए अंडरपास/ओवरपास का निर्माण करना।
  6. हाथियों के आवगमन वाले संवेदनशील हिस्सों में सूर्यास्त से सूर्योदय तक ट्रेन की गति का नियमन करना।
  7. वन विभाग के अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों और वन्यजीव पर्यवेक्षकों द्वारा रेलवे पटरियों के संवेदनशील हिस्सों की नियमित गश्त करना।

समाधान के रूप में इको-ब्रिज (Eco-Bridge):

  • पारिस्थितिकी-पुल अथवा ‘इको-ब्रिज’, वन्यजीव गलियारे होते हैं, जिन्हें समान वन्यजीव आवासों के दो बड़े क्षेत्रों को परस्पर जोड़ने वाले वन्यजीव क्रॉसिंग के रूप में भी जाना जाता है। ये वन्यजीव आवासों के मध्य एक कड़ी की भांति होते हैं।
  • पारिस्थितिकी-पुल, मानव गतिविधियों या संरचनाओं जैसे सड़कों और राजमार्गों, अन्य बुनियादी ढांचे के विकास, और खेती आदि की वजह से अलग-अलग रहने वाली वन्यजीव आबादी को आपस में जोड़ते हैं।
  • इको ब्रिज का उद्देश्य वन्यजीव कनेक्टिविटी को बढ़ाना है।
  • इको ब्रिज, स्थानीय वनस्पतियों से निर्मित होते हैं अर्थात, इसे भू-दृश्यों को एक साथ लगा हुआ दिखने के लिए स्थानीय पेड़-पौधों से तैयार किया जाता है।

समाचार में प्रजातियां: सबडॉलूसेप्स नीलगिरिएन्सिस

शोधकर्ताओं ने पश्चिमी घाट से एक एशियाई ग्रेसिल स्किंक प्रजाति की खोज की है।

इसका नाम सबडॉलूसेप्स नीलगिरिएंसिस है।
इसका पतला शरीर (7 सेमी) है
यह रेतीले भूरे रंग का होता है।
यह पूर्वी घाट के कुछ हिस्सों में पाए जाने वाले सबडॉलूसेप्स प्रुथी से निकटता से संबंधित है।
यह प्रजाति पिछली सहस्राब्दी में मुख्य भूमि भारत से खोजी गई केवल तीसरी स्किंक प्रजाति है।
क्या आप जानते हैं?

स्किंक गैर विषैले होते हैं।
वे अक्सर अगोचर अंगों और जमीन पर चलने के तरीके के कारण सांपों से मिलते जुलते हैं।
इस तरह की समानता के परिणामस्वरूप अक्सर मनुष्य इस हानिरहित प्राणी की हत्या कर देता है।
इसे एक संवेदनशील प्रजाति माना जाता है।
धमकी: क्षेत्र में मौसमी जंगल की आग, आवास निर्माण और ईंट भट्ठा उद्योग।

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