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अधिग्रहण और क्रॉस-सर्विसिंग समझौता (ACSA)

हाल ही में, भारत और जापान ने अधिग्रहण और क्रॉस-सर्विसिंग समझौते (ACSA) समझौते पर हस्ताक्षर किए।
यह एक रसद समझौता है जो दोनों पक्षों के सशस्त्र बलों को सेवाओं और आपूर्ति में निकटता से समन्वय करने की अनुमति देगा।
भारत के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, ओमान और सिंगापुर के समान समझौते हैं।
यह अधिक से अधिक समुद्री सहयोग के उद्देश्य से है और भारत-जापान नौसैनिक अभ्यासों को उन्नत कर सकता है क्योंकि दोनों देशों से पारस्परिक लाभ के लिए समुद्री सुविधाओं को साझा करने की उम्मीद की जाती है।
यह निम्नलिखित में लगे रहते हुए आपूर्ति और सेवाओं के पारस्परिक प्रावधान में दोनों देशों के सशस्त्र बलों के बीच घनिष्ठ सहयोग के लिए सक्षम ढांचे की स्थापना करता है।
1=द्विपक्षीय प्रशिक्षण गतिविधियाँ,
2=संयुक्त राष्ट्र के शांति संचालन,
3=मानवीय अंतर्राष्ट्रीय राहत और अन्य पारस्परिक रूप से सहमत गतिविधियों।
आपूर्ति और सेवाओं में भोजन, पानी, परिवहन, एयरलिफ्ट, पेट्रोलियम, कपड़े, संचार और चिकित्सा सेवाएं आदि शामिल हैं यह 10 साल तक लागू रहेगा और 10 साल की अवधि के लिए स्वचालित रूप से बढ़ाया जाएगा जब तक कि पार्टियों में से एक इसे समाप्त करने का फैसला नहीं करता है।
भारत-जापान रक्षा अभ्यासों की सूची
JIMEX – नौसेना व्यायाम
SHINYUU मैत्री – वायु सेना व्यायाम,
धर्म संरक्षक – सैन्य अभ्यास,
मालाबार व्यायाम – यूएसए + जापान + भारत त्रिपक्षीय व्यायाम।

फाइव स्टार विलेज स्कीम

Five Star Villages Scheme

हाल ही में भारतीय डाक विभाग ने देश के ग्रामीण क्षेत्रों में प्रमुख डाक योजनाओं की सार्वभौमिक कवरेज सुनिश्चित करने के लिये ‘फाइव स्टार विलेज स्कीम’ (Five Star Villages Scheme) की शुरुआत की है।

प्रमुख बिंदु: 

  • यह योजना विशेष रूप से सुदूरवर्ती गाँवों में डाक सेवाओं के बारे में जन जागरूकता फैलाने तथा डाक उत्पादों एवं सेवाओं को पहुँचाने का प्रयास करेगी।
  • फाइव स्टार गाँवों की योजना के तहत सभी डाक उत्पादों एवं सेवाओं को ग्रामीण स्तर पर उपलब्ध कराके उनका विपणन एवं प्रचार-प्रसार किया जाएगा।
  • भारतीय डाक विभाग के शाखा कार्यालय ग्रामीणों की सभी संबंधित ज़रूरतों को पूरा करने के लिये वन-स्टॉप शॉप के रूप में कार्य करेंगे। 
  • इस योजना के अंतर्गत आने वाली योजनाओं में शामिल हैं:
    1. बचत बैंक खाते, आवर्ती जमा खाते, एनएससी/केवीपी प्रमाण पत्र 
    2. सुकन्या समृद्धि खाते/पीपीएफ खाते 
    3. वित्त पोषित डाकघर बचत खाता भारतीय डाक पेमेंट बैंक खाते 
    4. पोस्टल लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी/ग्रामीण डाक जीवन बीमा पॉलिसी 
    5. प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना खाता/प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना खाता
  • यदि कोई गाँव उपरोक्त सूची में से चार योजनाओं के लिये सार्वभौमिक कवरेज प्राप्त करता है तो उस गाँव को 4-स्‍टार दर्जा मिल जाएगा और यदि कोई गाँव तीन योजनाओं को पूरा करता है तो उस गाँव को 3-स्‍टार दर्जा दिया जाएगा।
  • इस योजना की शुरुआत महाराष्ट्र से की जाएगी, इसके बाद यहाँ के अनुभव के आधार पर इसे पूरे देश में लागू किया जाएगा।
    • वर्तमान वित्तीय वर्ष 2020-2021 के दौरान प्रत्येक ज़िले के कुल 50 गाँवों को शामिल किया जाएगा। भारतीय डाक विभाग के क्षेत्रीय कार्यालय इस योजना में शामिल किये जाने वाले गाँवों की पहचान करेंगे।  

योजना का कार्यान्वयन: 

  • इस योजना को पाँच ग्रामीण डाक सेवकों की टीम द्वारा कार्यान्वित किया जाएगा जिन्हें डाक विभाग के सभी उत्पादों, बचत एवं बीमा योजनाओं के विपणन के लिये एक गाँव सौंपा जाएगा। 
  • इस टीम का नेतृत्त्व संबंधित शाखा कार्यालय के शाखा पोस्ट मास्टर करेंगे। डाक निरीक्षक दैनिक आधार पर टीम की प्रगति पर व्यक्तिगत निगरानी रखेंगे।

जन जागरूकता अभियान:

  • ग्रामीण डाक सेवकों की टीम सभी पात्र ग्रामीणों को कवर करते हुए सभी योजनाओं के बारे में घर-घर जाकर जागरूकता अभियान चलाएगी। 
  • भारतीय डाक का शाखा कार्यालय के नोटिस बोर्ड पर सूचना प्रदर्शित करके व्यापक प्रचार किया जाएगा।

दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के लिये डब्ल्यूएचओ का 73वाँ सत्र

73rd session of WHO South East Asia Region

10 सितंबर, 2020 को केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र  के लिये विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO South East Asia Region) के 73वें सत्र में भाग लिया।  

प्रमुख बिंदु:

  • इस अवसर पर सभी सदस्य राष्ट्रों ने क्षेत्रीय एकजुटता के महत्त्व को पहचानते हुए COVID-19 के मद्देनज़र लचीली स्वास्थ्य प्रणालियों अर्थात् ‘सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज एवं स्वास्थ्य आपात स्थिति पर दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्रीय फ्लैगशिप’ (South-East Asia Regional Flagships on Universal Health Coverage and Health Emergencies- SEARHEF) जो आपातकालीन जोखिम प्रबंधन में क्षमता को बढ़ावा देती है, पर चर्चा की।
  • SEARHEF, सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात परिस्थितियों के दौरान तेज़ी से वित्तीय संसाधन प्रदान करती है। 
    • इसे वर्ष 2019 के दिल्ली घोषणापत्र में आपातकाल स्थितियों के लिये स्वीकार किया गया था। 
    • यह आपदा जोखिम प्रबंधन और COVID-19 के मद्देनज़र आपातकालीन जोखिम प्रबंधन एवं आपातकालीन तैयारियों में क्षमता बढ़ाने के लिये प्रतिबद्ध है।   
  • इस सत्र में निम्नलिखित मुद्दों पर सहमति बनी:
    • गुणवत्तायुक्त स्वास्थ्य सेवाओं (COVID-19 एवं गैर-COVID-19 दोनों) तक लोगों की पहुँच सुनिश्चित करने के लिये यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज एवं प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल के महत्त्व की पुष्टि करना।
    • विशेष रूप से सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थितियों के दौरान आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों का क्रियान्वयन करना।
    • COVID-19 महामारी के दौरान और बाद में निर्बाध स्वास्थ्य सेवाओं को बनाए रखने के लिये पर्याप्त स्वास्थ्य बजट आवंटित करके लोगों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना।
    • डिजिटल तकनीकों का लाभ उठाते हुए स्वास्थ्य सूचना प्रणाली को मज़बूत करना और नीतिगत निर्णय के लिये जानकारी साझा करना।
    • स्वास्थ्य पेशेवरों एवं अन्य संबंधित श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना तथा पर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं सामाजिक उपायों के माध्यम से रोगियों एवं अन्य लोगों की सुरक्षा को मज़बूत करना और विभिन्न प्रकार के गुणवत्ता वाले व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों तक पहुँच सुनिश्चित करना।
    • उचित चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली के माध्यम से व्यावसायिक एवं पर्यावरणीय सुरक्षा को मज़बूत करना।
    • COVID-19 पर बायोमेडिकल, स्वास्थ्य नीति एवं प्रणालीगत अनुसंधान को मज़बूत करना जो राष्ट्रीय नीति निर्णयन एवं SEAR (South-East Asia Region) सदस्य देशों में ज्ञान साझा करने का समर्थन करते हैं।
    • COVID-19 के नकारात्मक परिणामों को कम करने के लिये सरकार और समाज के सहयोगी दृष्टिकोण के माध्यम से बहु-क्षेत्रीय सहयोग को जारी रखना एवं उनका विस्तार करना।
    • विशेष रूप से तैयारी, निगरानी एवं तीव्र प्रतिक्रिया, क्षेत्रीय महामारी विज्ञान प्रशिक्षण, दवाओं एवं चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन और आवश्यक स्वास्थ्य संसाधनों के क्षेत्रीय भंडार हेतु SEAR सदस्य राष्ट्रों का समर्थन करने के लिये क्षेत्रीय सहयोग को मज़बूत करना।
    • स्वास्थ्य अंतरालों को पहचानना और अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य विनियम-2005 (International Health Regulations 2005) द्वारा आवश्यक कोर क्षमताओं को मज़बूत करना।


IEP का पारिस्थितिक खतरा रजिस्टर

इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस (IEP), एक थिंक टैंक ने वार्षिक वैश्विक आतंकवाद और शांति सूचकांक जारी किए हैं। IEP की रिपोर्ट के अनुसार, 31 देशों में 1.2 बिलियन लोग रहते थे जो पारिस्थितिक खतरों का सामना करने के लिए पर्याप्त रूप से लचीला नहीं हैं। 50 साल पहले की तुलना में दुनिया में 60% कम ताजा पानी उपलब्ध था, जबकि भोजन की मांग 2050 तक 50% बढ़ने की भविष्यवाणी की गई थी और जलवायु संकट के कारण प्राकृतिक आपदाएं केवल आवृत्ति में वृद्धि की संभावना थी। आईईपी बताता है कि पानी और भोजन की कमी और प्राकृतिक आपदाओं के अधिक से अधिक जोखिमों सहित सबसे अधिक खतरों का सामना करने वाले 19 देश दुनिया के 40 सबसे कम शांतिपूर्ण देशों में भी हैं। 157 देशों के मूल्यांकन में से, 141 देशों को 2050 तक कम से कम एक पारिस्थितिक खतरे का सामना करना पड़ा। पारिस्थितिक खतरा – उप-सहारा अफ्रीका, दक्षिण एशिया, मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका के क्षेत्रों में पारिस्थितिक खतरे की सबसे बड़ी संख्या का सामना करना पड़ रहा है। भारत और चीन जैसे कुछ देशों को पानी की कमी से सबसे ज्यादा खतरा है। पाकिस्तान, ईरान, केन्या, मोज़ाम्बिक और मेडागास्कर जैसे देश खतरों से निपटने और उनसे निपटने के लिए बढ़ती अक्षमता का सामना करते हैं। मास माइग्रेशन – इसने पाकिस्तान को ज्‍यादा संख्‍या में सबसे ज्‍यादा लोगों के साथ देश होने का अनुमान लगाया, उसके बाद इथियोपिया और ईरान का नंबर आता है। स्वीडन, नॉर्वे, आयरलैंड और आइसलैंड सहित 16 देशों को कोई खतरा नहीं हुआ।

SPURCE- THE HINDU . PIB AND DRISHTI IAS

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