Radical Extremism:
वामपंथी उग्रवाद: भारत में एक जटिल समस्या
वामपंथी उग्रवाद (LWE), जिसे माओवादी विद्रोह के नाम से भी जाना जाता है, भारत में दशकों से चली आ रही एक गंभीर सुरक्षा चुनौती है। यह मुख्य रूप से देश के मध्य और पूर्वी क्षेत्रों, विशेष रूप से छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों को प्रभावित करता है।
चर्चा में क्यों?
हाल ही में छत्तीसगढ़ और असम से नक्सली हमले की दो अलग-अलग घटनाएँ सामने आईं।
- छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों के सबसे बड़े ऑपरेशन में से एक में छत्तीसगढ़ के काँकेर इलाके में 29 नक्सली मारे गए।
- जबकि एक अन्य घटना में नक्सलियों ने पूर्वी असम के तिनसुकिया ज़िले में पैरामिलिट्री असम राइफल्स के तीन वाहनों पर घात लगाकर हमला किया गया।
विद्रोह के कारण जटिल हैं, जिनमें शामिल हैं:
- आर्थिक और सामाजिक असमानता: आदिवासी और गरीब समुदायों का शोषण और हाशियाकरण।
- भूमि अधिकारों को लेकर विवाद: भूमिहीनता और भूमि हड़पने के मुद्दे।
- सरकारी उपेक्षा: प्रभावित क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं और विकास की कमी।
- सुरक्षा बलों द्वारा अत्याचार: मानवाधिकारों के हनन के आरोप।
- माओवादी विचारधारा: साम्यवादी क्रांति स्थापित करने का लक्ष्य।
विद्रोह का प्रभाव विनाशकारी रहा है:
- हजारों लोगों की जान गई है, जिनमें सुरक्षाकर्मी और नागरिक दोनों शामिल हैं।
- बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान हुआ है।
- विकास में बाधा आई है।
- हजारों लोग विस्थापित हुए हैं।
सरकार ने विद्रोह को खत्म करने के लिए बहुआयामी रणनीति अपनाई है:
- सुरक्षा अभियान: माओवादियों के खिलाफ सैन्य कार्रवाई।
- विकास कार्यक्रम: प्रभावित क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं और अवसरों में सुधार।
- सुरक्षा बलों का सुधार: प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित करना।
- आत्मसमर्पण नीति: माओवादियों को आत्मसमर्पण करने और मुख्यधारा में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करना।
- समुदाय की भागीदारी: स्थानीय लोगों को शांति प्रक्रिया में शामिल करना।
विद्रोह कमजोर हुआ है, लेकिन अभी भी एक गंभीर खतरा बना हुआ है:
- माओवादी छिपे हुए हैं और गुरिल्ला युद्ध रणनीति का इस्तेमाल करते हैं।
- वे भर्ती और धन जुटाने में सक्षम बने हुए हैं।
- विद्रोह का समर्थन करने वाला एक मजबूत सामाजिक आधार बना हुआ है।
निष्कर्ष:
वामपंथी उग्रवाद को खत्म करना एक जटिल और दीर्घकालिक चुनौती है। इसके लिए सुरक्षा उपायों, विकासात्मक प्रयासों और समुदाय की भागीदारी के संयोजन की आवश्यकता होगी। सरकार इस दिशा में कदम उठा रही है, लेकिन अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।
प्रश्न: भारत में वामपंथी उग्रवाद की समस्याओं का परीक्षा करें और सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का मूल्यांकन करें। सुझाव दें कि इस जटिल चुनौती से निपटने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं। (250 शब्द)
जाँच के बिंदु:
- वामपंथी उग्रवाद के मूल कारणों की व्याख्या कीजिए।
- वामपंथी उग्रवाद के भारत की सुरक्षा और विकास पर पड़ने वाले प्रभावों का विश्लेषण कीजिए।
- सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न उपायों का मूल्यांकन कीजिए, उनकी सफलताओं और कमियों को बताइए।
- वामपंथी उग्रवाद की समस्या को दूर करने के लिए दीर्घकालिक समाधान सुझाइए।
नोट:
- अपने उत्तर में प्रासंगिक उदाहरणों को शामिल करें।
- सरकारी योजनाओं और नीतियों का उल्लेख करें।
- संतुलित दृष्टिकोण अपनाएं और दोनों पक्षों की बहस को प्रस्तुत करें।
- सुझाव कार्रवाई योग्य और यथार्थवादी होने चाहिए।