परिचय
- प्राकृतिक रबर आइसोप्रीन का बहुलक है, जो एक कार्बनिक यौगिक होता है।
- रबर एक सुसंगत लोचदार ठोस पदार्थ होता है।
- रबर उष्णकटिबंधीय क्षेत्रो में पाए जाने वाले पेड़ों से निकलने वाले दूध, जिसे लेटेक्स कहते हैं, से प्राप्त होता है । ,
- रबर के पेड़ों में हेवेया ब्रासीलिएन्सिस सबसे महत्त्वपूर्ण है जो कि रबड़ का वानस्पतिक नाम भी है।
- रबर के पेड़ों के रोपण के बाद लगभग 32 वर्षों तक ये आर्थिक लाभ प्रदान करते हैं।
मृदा
- ये पेड़ अच्छी जल-निकास प्रणाली वाले और मौसम के अनुकूल मृदा में विकास करते हैं।
- इन पेड़ों की वृद्धि के लिये लैटेराइट, जलोढ़, तलछटी और गैर-लैटेराइट लाल मिट्टी सबसे अच्छी होती है।
वर्षा और तापमान
- वर्ष में कम-से-कम 100 वर्षा वाले दिनों के साथ समान रूप से वितरित वर्षा और लगभग 20 से 34°C की तापमान सीमा हेविया रबर के पेड़ के विकास के लिये अनुकूल स्थितियाँ प्रदान करते हैं।
- सर्वोत्तम परिणामों के लिये लगभग 80% आर्द्रता, 2000 घंटे की धूप और तेज़ हवाओं की अनुपस्थिति भी आवश्यक है।
उपयोग
- रबर का उपयोग पेंसिल के निशान मिटाने से लेकर टायर, ट्यूब और बड़ी संख्या में औद्योगिक उत्पादों के निर्माण तक विभिन्न उद्देश्यों के लिये किया जाता है।
भारत में रबर की स्थिति
- भारत में पहला रबर बागान वर्ष 1895 में केरल की पहाड़ी ढलानों पर स्थापित किया गया था।
- वाणिज्यिक पैमाने पर रबर की खेती वर्ष 1902 में शुरू की गई थी।
- केरल भारत में प्राकृतिक रबर का सबसे बड़ा उत्पादक है। प्रमुख क्षेत्र: इस राज्य के कोट्टायम, कोल्लम, एर्नाकुलम, कोझीकोड सभी ज़िले रबर का उत्पादन करते हैं।
- नीलगिरि, मदुरै, कन्याकुमारी, कोयंबटूर और सलेम, तमिलनाडु के मुख्य रबर उत्पादक ज़िले हैं।
- कर्नाटक के चिकमंगलूर और कोडागु मुख्य उत्पादक ज़िले हैं।
- त्रिपुरा, असम, अंडमान और निकोबार, गोवा आदि कुछ अन्य रबर उत्पादक राज्य हैं।
- भारत से प्राकृतिक रबर का आयात करने वाले प्रमुख देशों में जर्मनी, ब्राज़ील, संयुक्त राज्य अमेरिका और इटली शामिल हैं।
- निर्यात उत्पादों में ऑटोमोटिव टायर और ट्यूब, जूते, चिकित्सा सामान, कोट और एप्रन शामिल हैं।रबर बोर्ड
- इसका गठन रबर अधिनियम, 1947 और रबर नियम-1955 के तहत किया गया था। रबर बोर्ड देश में रबर उद्योग के समग्र विकास के लिये वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के तहत एक सांविधिक निकाय है। बोर्ड का प्रधान कार्यालय केरल राज्य के कोट्टायम में स्थित है।
सुंदरबन के बारे में बहुत महत्वपूर्ण जानकारी
सुंदरबन
- सुंदरबन पश्चिम बंगाल के उत्तर और दक्षिण 24 परगना ज़िले के 19 विकासखण्डों में फैला हुआ है।
- यह भारत और बांग्लादेश दोनों में फैला हुआ दलदलीय वन क्षेत्र है।
- सुंदरबन का दूसरा नाम वर्षा वन है।
- यह यहाँ पाए जाने वाले सुन्दरी नामक वृक्षों के कारण प्रसिद्ध है।
- सुंदरवन राष्ट्रीय उद्यान भारत के पश्चिम बंगाल राज्य के दक्षिणी भाग में गंगा नदी के सुंदरवन डेल्टा क्षेत्र में स्थित एक राष्ट्रीय उद्यान, बाघ संरक्षित क्षेत्र एवं बायोस्फ़ीयर रिज़र्व क्षेत्र है।
- यह क्षेत्र मैन्ग्रोव के घने जंगलों से घिरा हुआ है और रॉयल बंगाल टाइगर का सबसे बड़ा संरक्षित क्षेत्र है।
- भारतीय क्षेत्र में स्थित सुंदरबन यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल का हिस्सा है।
- भारत में गंगा एवं बांग्ला देश में पद्मा (जो गंगा का ही बांग्ला देश में नाम है), सुंदरवन का डेल्टा बनाती हैं।
- यह 9,630 वर्ग किलोमीटर में फैला गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा का हिस्सा है।
- सुंदरबन दुनिया का सबसे बड़ा डेल्टा है।
- इस क्षेत्र में 104 द्वीप हैं।
- यहाँ जीव-जंतुओं की लगभग 2,487 प्रजातियाँ हैं।
- यहाँ पाए जाने वाले प्रसिद्ध बाघ (रॉयल बंगाल टाइगर) यहाँ के जलीय परिस्थितियों के अनुकूल हो गए हैं। वे तैर भी सकते हैं।
- यहाँ पाए जाने वाले कुछ जीवों में एशियाई छोटे पंख वाले ऊदबिलाव, गंगा की डॉल्फिन, भूरे और दलदली नेवले और जंगली रीसस बंदर प्रमुख हैं।
- यहाँ पक्षियों की 356 प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें ऑस्प्रे, ब्राह्मिनी चील और श्वेत पेट वाली समुद्री बाज़ प्रमुख हैं।
- इसके अलावा गुलाबी सिर वाला तोता, फ्लाईकेचर, वार्बलर्स और किंगफिशर भी पाए जाते हैं।
- यहाँ कछुओं की 11 प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें प्रसिद्ध ऑलिव रिडले कछुआ, हॉस्कबिल समुद्री कछुए और टेरापिन नदी कछुआ प्रमुख हैं। टेरापिन नदी कछुआ मीठे पानी में रहने वाला एक संकटापन्न जीव है।
- इसके अलावा यहाँ मगरमच्छ, मॉनिटर लेज़र्ड्स, सांपों की 30 प्रजातियाँ एवं कार्टिलैगिनस मछलीयाँ पाई जाती हैं। किंग कोबरा आईयूसीएन (IUCN) की सुभेद्य सूची में शामिल है।
- यहाँ के मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र में मछलियों की लगभग 350 प्रजातियाँ पाई जाती हैं। इनमें से कार्टिलैगिनस (Cartilaginous) मछलीयाँ, जिनमें अस्थियों के बजाय उपास्थि का कंकाल होता है, 10.3% तक हैं।
- सुंदरबन की समृद्धि का एक और संकेत यहाँ पाए जाने वाले 753 कीट की प्रजातियों से है। इनमें से 210 तितलियाँ और पतंगे हैं। इसके अलावा केकड़े, चिंराट और झींगे की 334 प्रजातियाँ भी मौजूद हैं।