वांगला महोत्सव
वांगला महोत्सव मेघालय में गारो समुदाय का एक लोकप्रिय त्योहार है।
गारो, जो खुद को “आचिक” कहते हैं, मेघालय की दूसरी सबसे बड़ी जनजाति है। खासी और जयंतिया, मेघालय की अन्य दो प्रमुख जनजातियाँ हैं।
गारो तिब्बती-बर्मन जातीय जनजाति हैं जो मुख्य रूप से भारतीय राज्यों मेघालय, असम, त्रिपुरा और नागालैंड के साथ-साथ बांग्लादेश के आस-पास के क्षेत्रों में रहते हैं।
वांगला महोत्सव को फेस्टिवल ऑफ हंड्रेड ड्रम्स के रूप में भी जाना जाता है और इसे ड्रमों पर बजाए जाने वाले लोकगीतों और भैंस के सींगों से बनी आदिम बाँसुरी की धुन पर विभिन्न प्रकार के नृत्यों के साथ मनाया जाता है।
यह एक फसल उत्सव है जो गारो जनजाति के मुख्य देवता, सालजोंग सूर्य भगवान के सम्मान में मनाया जाता है
यह त्योहार मेघालय में गारो जनजाति की सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित करने और बढ़ावा देने के साधन के रूप में देखा जाता है।
यह उत्सव आमतौर पर दो दिनों तक चलता है और कभी-कभी एक सप्ताह से अधिक समय तक चलता है।
रुगाला (चावल बियर उड़ेलना) और चाछट सोआ (अगरबत्ती जलाना) उत्सव के पहले दिन की जाने वाली रस्में हैं जो नोकमा (सरदार) के घर के अंदर कमल नामक एक पुजारी द्वारा की जाती हैं।
त्योहार का दूसरा दिन, जिसे कक्कत के नाम से जाना जाता है, जब लोग रंगीन पोशाक पहनते हैं और लंबे अंडाकार आकार के ड्रमों पर पारंपरिक संगीत बजाते हैं।
कब मनाया जाता है राष्ट्रीय शिक्षा दिवस ?
राष्ट्रीय शिक्षा दिवस
मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती के अवसर पर प्रत्येक वर्ष 11 नवंबर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने भारत में शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान को याद करते हुए 11 सितंबर, 2008 को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाने की घोषणा की थी।
यह दिवस कई समारोहों और कार्यक्रमों का आयोजन करके स्कूलों में मनाया जाता है।
मौलाना अबुल आज़ाद एक भारतीय स्वतंत्रता कार्यकर्ता, लेखक, इस्लामी धर्मशास्त्री और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) के एक वरिष्ठ नेता थे।
वह स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री बने और 1947 से 1958 तक पंडित जवाहरलाल नेहरू के मंत्रिमंडल में अपनी सेवाएं दीं।
मौलाना अबुल कलाम आजाद के प्रसिद्ध वक्तत्व
“अपने मिशन में सफल होने के लिए आपके पास अपने लक्ष्य के लिए एकल-दिमाग वाली भक्ति होनी चाहिए।”
“हमें इस बात का अहसास होना चाहिए कि आत्मविश्वास के साथ आत्मसम्मान आता है।”
“शिक्षाविदों को छात्रों में पूछताछ, रचनात्मकता, उद्यमशीलता और नैतिक नेतृत्व की भावना का निर्माण करना चाहिए और उनका आदर्श बनना चाहिए।”
“लोकतंत्र का जीवित रहना बहुत जरूरी है। यह देश की ऐसी विशेषता है जो आधुनिक भारत को दूसरों से अलग बनाती है।”
“हमें अपने जीवन में कभी हताश नहीं होना चाहिए, निरंतर आगे बढ़ते रहना चाहिए।”
अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा दिवस
वैश्चिव स्तर पर अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा दिवस 24 जनवरी को प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है।
जिसके लिए मुख्य विषय (Theme) की घोषणा संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) द्वारा हर साल की जाती है।
वर्ष 2022 के लिए अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा दिवस की थीम ‘चेंजिंग कोर्स, ट्रांसफॉर्मिंग एजुकेशन’ यूनेस्को ने घोषित किया है।