UPSC Success Story: भजिये बेचने वाले की बेटी IAS बनी, 93वीं रैंक से UPSC क्रेक!
शीर्षक अविश्वसनीय जरूर है, पर खबर सौ टंच सही है। ये विपरीत परिस्थितियों में सफलता के शिखर पर पहुंचने की सच्ची कहानी है। सफलता की ये कहानी ये बताती है कि परिस्थितियां भले आपके अनुकूल न हों, लेकिन मेहनत से कोई भी जंग जीती जा सकती है है, फिर वो यूपीएससी की परीक्षा ही क्यों न हो!
भरतपुर के अटलबंध क्षेत्र की कंकड़वाली कुईया के गोविन्द पिछले 25 साल से भजिये का ठेला लगा रहे हैं। उनकी 5 संतानें हैं और वह परिवार में कमाने वाले अकेले इंसान। घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। 7 लोगों के परिवार को एक छोटे से मकान में गुजारा करना पड़ा। लेकिन, गोविन्द ने बच्चों की पढ़ाई-लिखाई से कभी समझौता नहीं किया। संघर्ष करके उन्हें पढ़ाया लिखाया और उन्हें अच्छी से अच्छी शिक्षा दी।
सभी बच्चों ने पिता की मेहनत को बेकार नहीं जाने दिया। सभी पढ़ाई में खूब मेहनत करते रहे। सबसे बड़ी बेटी दीपेश कुमारी बचपन से ही पढ़ाई में बहुत तेज रही। 10वीं में उनके 98% अंक आए और 12वीं में 89% अंक हासिल किए। इसके बाद उन्होंने जोधपुर के कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग की। फिर उनका एडमिशन आईआईटी मुम्बई में हुआ, जहां से उन्होंने एमटेक किया।
दीपेश की एकेडेमिक रिकॉर्ड अच्छा था। वे चाहती तो आसानी से लाखों की सैलरी वाली जॉब मिल सकती थीं। लेकिन, उनका सपना सिविल सर्विसेज में जाने का था, तो उसने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। यहां भी उन्होंने अपनी काबिलियत का परिचय देते हुए अपने दूसरे ही प्रयास में परीक्षा क्लियर कर ली। उन्होंने यूपीएससी परीक्षा 2021 में देशभर में 93वीं रैंक प्राप्त की और आईएएस बनीं।
बेटी के आईएएस बनने के बाद पिता चाहते तो घर पर आराम कर सकते थे। लेकिन, उन्होंने अपना चाट-पकौड़ी का ठेला बंद नहीं किया। वे आज भी उसी छोटे से मकान में ही रहते हैं। उनका मानना है कि इंसान को पुराने दिन कभी नहीं भूलना चाहिए। सिर्फ दीपेश ही नहीं, गोविन्द के सभी बच्चे पढ़-लिखकर बेहद काबिल बन गए। दीपेश के 2 भाई एमबीबीएस कर रहे हैं और एक बेटी डॉक्टर बन भी गई। एक बेटा अपने पिता के काम में हाथ बंटाता है।