10 साल का सचिन और 20 मिनट के लिए बना IAS OFFICER

10 साल का सचिन: 20 मिनट का कमिश्नर, अदम्य सपनों की उड़ान
10 साल के सचिन, कैंसर जैसी बीमारी से जूझते हुए भी, अपने सपनों को थामे हुए हैं। उनका सपना है कि वे एक दिन आईएएस अधिकारी बनकर देश की सेवा करें। 16 जुलाई, 2024 को प्रयागराज के मंडल कमिश्नर विजय शंकर मिश्रा ने सचिन के इस सपने को 20 मिनट के लिए हकीकत में बदल दिया।
यह भावुक कर देने वाला पल तब आया जब सचिन अपने माता-पिता के साथ कमिश्नर कार्यालय पहुंचे। मिश्रा ने सचिन को सम्मान के साथ कुर्सी पर बैठाया और उन्हें कमिश्नर का बैज पहनाया। सचिन के चेहरे पर खुशी की  चमक थी और उन्होंने कहा, “मैं बड़ा होकर आईएएस अधिकारी बनना चाहता हूं और गरीब और अनाथ बच्चों की मदद करना चाहता हूं।”
सचिन के हौसले और जज्बे को देखकर मिश्रा भावुक हो गए। उन्होंने सचिन को प्रोत्साहित करते हुए कहा, “तुम्हारा सपना जरूर पूरा होगा। बस मेहनत करते रहो और कभी हार मत मानो।” उन्होंने सचिन को अपना आशीर्वाद भी दिया और कहा कि वे हमेशा उनकी मदद के लिए मौजूद रहेंगे।
यह घटना पूरे शहर में फैल गई और लोगों ने सचिन के हौसले और मिश्रा की दयालुता की जमकर तारीफ की। सचिन की कहानी एक प्रेरणा बन गई है जो सिखाती है कि चाहे परिस्थितियां कैसी भी हों, हौसले और लगन से सपने जरूर पूरे होते हैं

  • सचिन की बीमारी: सचिन किस प्रकार के कैंसर से पीड़ित हैं? उनका इलाज कैसे चल रहा है?
  • * सचिन का परिवार: सचिन के परिवार में कौन-कौन है? वे उनकी बीमारी से कैसे निपट रहे हैं?
  • * मिश्रा और सचिन की मुलाकात: मिश्रा और सचिन की मुलाकात कैसे हुई? मिश्रा ने सचिन को कमिश्नर बनाने का फैसला क्यों लिया?
  • * सचिन का दिन: सचिन ने कमिश्नर बनकर क्या-क्या किया? उन्होंने किन लोगों से मुलाकात की?
  • * घटना का प्रभाव: इस घटना का सचिन और उसके परिवार पर क्या प्रभाव पड़ा? इस घटना ने समाज को क्या संदेश दिया?
  • उदाहरण: IAS OFFICER
  • सचिन ल्यूकेमिया नामक एक दुर्लभ प्रकार के कैंसर से पीड़ित हैं। उनका इलाज प्रयागराज के एक अस्पताल में चल रहा है। उनके माता-पिता उनके साथ हर कदम पर मौजूद रहते हैं और उनका हौसला बढ़ाते रहते हैं।
  • मिश्रा एक सामाजिक कार्यक्रम में सचिन से मिले थे। सचिन के सपने और हौसले से वे इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने उन्हें एक दिन के लिए कमिश्नर बनाने का फैसला लिया।
  • सचिन ने कमिश्नर बनकर कई अधिकारियों से मुलाकात की और पुलिस विभाग के कामकाज को देखा। उन्होंने कुछ महत्वपूर्ण फाइलों पर भी हस्ताक्षर किए।
  • इस घटना ने सचिन को जीने की नई प्रेरणा दी है। उनका परिवार भी इस घटना से बहुत खुश है। इस घटना ने समाज को सिखाया है कि हमें कभी भी हार नहीं माननी चाहिए और अपने सपनों को पूरा करने के लिए सदैव प्रयास करते रहना चाहिए।
  • यह केवल कुछ सुझाव हैं। आप अपनी कल्पना और रचनात्मकता का उपयोग करके इस घटना को और अधिक विस्तृत और रोचक बना सकते हैं।

सचिन में है बीमारी से लड़ने की मजबूत इच्छाशक्ति
इस मौके पर कमिश्नर से बात करते हुए सचिन ने कहा कि मैं हार नहीं मानूंगा सर, मैं डरता नहीं हूं. प्रयागराज के मंडल आयुक्त विजय विश्वास पंत ने कहा कि सचिन की इच्छा शक्ति काफी दृढ़ है. इसकी चाहत के बारे में जब पता चला तो यह खास कार्यक्रम रखा गया है कि उसके भीतर सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो, ताकि वह अपनी इस बीमारी से लड़ने में मानसिक रूप से सशक्त बने.

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