बिड़ला द्वारा आपातकाल पर प्रस्ताव पढ़ते ही लोकसभा भड़क उठी:LS erupts as Birla reads resolution on Emergency

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को पूर्व प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी द्वारा 1975 में आपातकाल लगाए जाने की...
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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को पूर्व प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी द्वारा 1975 में आपातकाल लगाए जाने की निंदा करते हुए लोकसभा में एक प्रस्ताव पेश करने के लिए अध्यक्ष ओम बिरला की सराहना की और कहा कि इसने कांग्रेस की “लोकतंत्र विरोधी” सोच को उजागर किया है जिसने प्रमुख को नुकसान पहुंचाया है। लोकतंत्र के स्तंभ जैसे “न्यायपालिका, नौकरशाही और मीडिया”।

शाह ने यह भी कहा कि लोकसभा ने आपातकाल को याद किया, जो “अन्याय का युग” था और गरीबों, दलितों और पिछड़ों के प्रति अपनी सहानुभूति व्यक्त की, जिन्हें तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार के शोषण और अत्याचारों का सामना करना पड़ा था, जब के अधिकार देश के नागरिकों को नष्ट कर दिया गया और उनकी स्वतंत्रता छीन ली गयी।

गृह मंत्री ने कहा कि आपातकाल के काले दौर के दौरान संविधान में किए गए कई संवेदनशील संशोधन कांग्रेस की तानाशाही मानसिकता को उजागर करते हैं जिसने सभी शक्तियों को एक व्यक्ति में केंद्रीकृत कर दिया।

आपातकालीन प्रस्ताव (Emergency Resolution) – UPSC के लिए हिंदी में

भारतीय संविधान में आपातकालीन प्रावधानों का उल्लेख अनुच्छेद 352 से 360 तक किया गया है। ये प्रावधान केंद्र सरकार को किसी भी असामान्य स्थिति से निपटने में सक्षम बनाते हैं, लेकिन इनके इस्तेमाल से संघीय ढांचा एकात्मक ढांचे में बदल सकता है और केंद्र सरकार को राज्यों पर ज्यादा नियंत्रण मिल जाता है।

आपातकाल के प्रकार (Types of Emergencies)

संविधान में तीन तरह के आपातकाल का प्रावधान है:

  • राष्ट्रीय आपातकाल (Article 352): जब देश की सुरक्षा को युद्ध या बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह से खतरा होता है, तब राष्ट्रपति राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा कर सकते हैं।
  • राज्य आपातकाल (Article 356): राष्ट्रपति किसी राज्य में संविधान की शासन व्यवस्था के ध्वस्त होने की स्थिति में राज्य आपातकाल लगा सकते हैं।
  • वित्तीय आपातकाल (Article 360): अत्यधिक आर्थिक संकट की स्थिति में राष्ट्रपति वित्तीय आपातकाल लगा सकते हैं।

आपातकालीन प्रस्ताव की भूमिका (Role of Emergency Resolution)

राष्ट्रीय आपातकाल लगाने का अधिकार राष्ट्रपति को है, लेकिन इसे संसद के अनुमोदन की आवश्यकता होती है। राष्ट्रपति द्वारा आपातकाल की घोषणा के बाद, दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) को इसे एक विशेष बहुमत (दो तिहाई सदस्य) द्वारा अनुमोदित करना होता है। इसके बाद, हर छह महीने में संसद द्वारा इसकी समीक्षा की जाती है।

आपातकालीन प्रस्ताव संसद को यह सुनिश्चित करने का अवसर देता है कि राष्ट्रपति द्वारा लगाया गया आपातकाल संविधान के दायरे में है और उचित कारणों से लगाया गया है।

महत्वपूर्ण बातें (Important Points)

  • आपातकालीन प्रावधान असाधारण परिस्थितियों से निपटने के लिए महत्वपूर्ण उपकरण हैं, लेकिन इनका दुरुपयोग नहीं होना चाहिए।
  • आपातकाल के दौरान नागरिकों के मौलिक अधिकारों को निलंबित किया जा सकता है।
  • आपातकालीन प्रस्ताव संसद को आपातकाल पर नियंत्रण रखने और इसके दुरुपयोग को रोकने में सक्षम बनाता है।

आप UPSC की तैयारी के लिए आपातकालीन प्रावधानों के बारे में अधिक गहराई से अध्ययन कर सकते हैं। इससे आपको न केवल संविधान की इस महत्वपूर्ण विशेषता को समझने में मदद मिलेगी, बल्कि प्रतियोगी परीक्षाओं में भी सहायता मिलेगी।

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