प्राप्ति (Occurrence): प्रकृति में सोना मुक्त अवस्था और संयुक्त अवस्था दोनों में पाया जाता है। यह प्रायः क्वार्ट्ज (Quartz) के रूप में पाया जाता है। विश्व में सोना मुख्य रूप से दक्षिण अफ्रीका, संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, रूस एवं आस्ट्रेलिया में पाया जाता है। संसार के कुल स्वर्ण उत्पादन का लगभग 2% भारत में उत्पादित होता है। भारत विश्व का सबसे बड़ा स्वर्ण उपभोक्ता वाला देश है।
सोने का निष्कर्षण: सोना का निष्कर्षण मुख्यतः केलावेराइट और सिल्वेनाइट अयस्क से किया जाता है।
सोना के भौतिक गुण: यह एक कोमल, आघातवर्ध्य, तन्य, चमकदार पीले रंग की धातु है। यह सबसे आघातवर्ध्य धातु है। यह ऊष्मा और विद्युत् का सुचालक होती है। यह एक भारी धातु है, जिसका द्रवणांक (गलनांक), क्वथनांक तथा विशिष्ट घनत्व क्रमशः 1063°C, 2600°C तथा 19.3 होता है।
सोना के रासायनिक गुण: यह वायु से कोई प्रतिक्रिया नहीं करता है। पोटैशियम सायनाइड या सोडियम सायनाइड में घुलकर यह पोटैशिम औरोसायनाइड या सोडियम औरोसायनाइड बनाता है। यह क्षार के साथ कोई प्रतिक्रिया नहीं करता है। यह अम्लराज में घुलकर क्लोरोऑरिक अम्ल बनाता है।
सोना का उपयोग: (i) आभूषणों के निर्माण में (ii) सिक्कों के निर्माण में (iii) सोना के लवण फोटोग्राफी में काम आते हैं। (iv) विद्युत् लेपन तथा स्वर्ण पत्र चढ़ाने में (v) कोलायडी स्वर्ण कांच एवं चीनी उद्योग में प्रयुक्त होता है। (vi) स्वर्ण के वर्क/पतली पन्नी छपाई तथा औषधियों में प्रयोग किये जाते हैं।
नोट: सोना को कठोर बनाने के लिए इसमें तांबा मिलाया जाता है।
स्वर्ण की शुद्धता (Purity of Gold): स्वर्ण की शुद्धता कैरेट (Carates) में व्यक्त की जाती है। 100% शुद्ध सोना 24 कैरेट का होता है। 22 कैरेट स्वर्ण में 22 भाग सोना तथा शेष दो भाग तांबा होता है। इसी प्रकार 20 कैरेट स्वर्ण में 20 भाग सोना तथा 4 भाग कॉपर (तांबा) मिला होता है।
सोने के यौगिक
- ऑरिक क्लोराइड (Auric Chloride): इसका उपयोग सर्प विषरोधी सूई (Antidote for Snake Poisoning) बनाने में होता है।
- रोल्ड-गोल्ड (Rold Gold): इसे सोना का कृत्रिम रूप कहा जाता है। यह 90% Cu तथा 10% Al का मिश्रण होता है, जो देखने में सोना सदृश लगता है। इसका उपयोग सस्ते आभूषणों के निर्माण में होता है।
- आयरन पायराइट्स (Iron Pyrites): इसे झूठा सोना या बेवकूफों का सोना (Fools Gold) भी कहते हैं।
नोट: स्वर्ण लेपन में पोटैशियम ओरिसायनाइड का प्रयोग विद्युत् अपघट्य के रूप में होता है।