भारत में मूंगफली का उत्पादन शुरू हुआ चीन के एक समुद्री द्वीप के सम्पर्क में आने के बाद। चीन के इस द्वीप में केंद्रीय अथवा दक्षिणी अमरीका से मूंगफली आयी थी। मूंगफली के बीज से 44 प्रतिशत से 50 प्रतिशत तक तेल निकाला जा सकता है, किन्तु यह बीज की किस्म और कृषि-दशा पर निर्भर करता है। मूंगफली विटामिन ए, बी, और बी2, के कुछ घटक का स्रोत है।
मूंगफली की फसल 50 सेंटीमीटर से 75 सेंटीमीटर तक की वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्रों में उगाई जाती है। चिकनी दोमट और जल-परिपूर्ण कलि मिट्टी मूंगफली की फसल के लिए उपयुक्त है। मूंगफली का उत्पादन अधिकांशतः वर्षा-आधारित खरीफ फसल के रूप में होता है। मूंगफली की बुआई सामान्यतः मई या जून में की जाती है, परन्तु यह मानसून की प्रकृति पर निर्भर करता है। जिन क्षेत्रों में मानसून विलम्ब से आता है, वहां इसकी बुआई अगस्त या सितम्बर के प्रथम सप्ताह में होती है। सिंचाई आधारित फसल के रूप में इसका उत्पादन जनवरी-मार्च और मई-जुलाई के बीच होता है।
मूंगफली की खेती के लिए खेत को कम-से-कम तीन जुताई की आवश्यकता होती है। तीसरी जुताई बीज-रोपण के ठीक पहले करनी चाहिए। खरीफ फसल की बुआई बीज-रोपण द्वारा होती है और उसे कम-से-कम 8-10 सेंटीमीटर की गहराई पर रोपा जाना चाहिए। दो पौधों के बीच पर्याप्त अंतर रखना चाहिए।
मूंगफली का अधिकाधिक उत्पादन प्रायद्वीपीय भारत में होता है। तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के अंतर्गत कुल उत्पादन क्षेत्र का 80 प्रतिशत आता है। अन्य मूंगफली-उत्पादक राज्य हैं- राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब और ओडीशा।
मूंगफली की प्रमुख उत्पादक किस्में हैं- जूनागढ़ II, टी.एम.वी., जी.ए.यू.जी. 1, एक्जोटिक 5, सी. 501 आदि।