अरण्डी पूर्वी अफ्रीका की मूल फसल है और भारत में इसकी खेती तेल-बीज के रूप में की जाती है। अरण्डी के बीज से 35 से 58 प्रतिशत तक तेल प्राप्त होता है। अरण्डी के तेल का उपयोग स्नेहक, साबुन, पारदर्शी कागज, मुद्रक स्याही (प्रिंटिंग इंक), रोगन आदि के निर्माण में होता है। इसका उपयोग औषधि-निर्माण एवं चमक लाने के उद्देश्य से किया जाता है।
अरण्डी का उत्पादन शुष्क, आर्द्र और 50 सेंटीमीटर से 75 सेंटीमीटर वर्षा वाले क्षेत्र में होता है। अधिक उपज-स्तर प्राप्त करने के लिए उच्च तापमान (20° सेंटीग्रेड – 26° सेंटीग्रेड) निम्न आर्द्रता के साथ होना चाहिए।
इस फसल की बुआई सामान्यतः जून-जुलाई में होती है, वैसे कभी-कभी अगस्त- सितम्बर तक बुआई की जाती है। इसका उत्पादन सामान्यतः दीर्घकालिक वर्षा-आधारित फसल के रूप में किया जाता है, परन्तु कभी-कभी सिंचाई द्वारा भी इसका उत्पादन किया जाता है। इसका उत्पादन बागानी फसलों की सीमाओं पर भी किया जाता है।
आंध्र प्रदेश अरण्डी का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है और उसके बाद गुजरात, ओडीशा, कर्नाटक और तमिलनाडु का स्थान आता है।