रासायनिक गतिकी (Chemical Kinetics): रसायन विज्ञान की वह शाखा जिसके अंतर्गत रासायनिक प्रतिक्रियाओं के वेग और उसकी क्रिया-विधि का अध्ययन किया जाता है, रासायनिक गतिकी कहलाती है।
वेग के आधार पर रासायनिक प्रतिक्रियाओं को दो भागों में बाँटा गया है-
तीव्र प्रतिक्रियाएँ (Fast Reactions): तीव्र प्रतिक्रियाएँ वे हैं, जो तत्क्षण समाप्त हो जाती हैं। इनके वेग इतने अधिक होते हैं कि उन्हें निर्धारित कर पाना संभव नहीं है। उदाहरण के लिए, आयनिक प्रतिक्रियाएँ तत्क्षण समाप्त हो जाती हैं। यथा सिल्वर नाइट्रेट (AgNO3) के घोल में सोडियम क्लेराइड (NaCI) का घोल डालने पर प्रतिक्रिया इतनी तीव्रता से होती है कि इसका वेग ज्ञात करना कठिन है।
मन्द प्रतिक्रियाएँ (Slow Reactions): मन्द प्रतिक्रियाएँ वे हैं जिनके वेग साधारण ताप पर नापे जा सकते हैं तथा इन प्रतिक्रियाओं की क्रियाविधि का अध्ययन आसानी से किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, सल्फ्यूरिक अम्ल (H2SO4) की उपस्थिति में एथिल ऐल्कोहॉल तथा ऐसीटिक अम्ल के बीच प्रतिक्रिया धीरे-धीरे होती है।
CH3COOH + C2H5OH ⇌ CH3COOC2H5 + H2O
समांगी एवं विषमांगी प्रतिक्रिया (Homogeneous and Heterogeneous Reactions): वैसी प्रतिक्रियाएँ जिसमें प्रतिकारक एक ही प्रावस्था में रहते हैं, समांगी प्रतिक्रियाएँ कहलाती हैं।
वैसी प्रतिक्रिया जिसमें प्रतिकारक एक से अधिक प्रावस्था में रहती है, विषमांगी प्रतिक्रिया कहलाती है। रासायनिक गतिकी के अंतर्गत विषमांगी प्रतिक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है।
प्रतिक्रिया का वेग (Rate of Reaction): किसी प्रतिक्रिया में इकाई समय में हुए प्रतिकारकों या प्रतिफलों के सांद्रण के परिवर्तन को प्रतिक्रिया का वेग कहते हैं। चूंकि प्रतिक्रिया के फलस्वरूप प्रतिकारकों का सान्द्रण घटता है और प्रतिफलों का सान्द्रण बढ़ता है। अत: किसी प्रतिक्रिया में प्रतिकारकों के सान्द्रण के घटने की दर या प्रतिफलों के सान्द्रण के बढ़ने की दर की प्रतिक्रिया का वेग कहते हैं।
प्रतिक्रिया के वेग को प्रभावित करने वाले कारक (Governing the Rate of Reactions): प्रतिक्रिया के वेग को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं-
(i) प्रतिकारकों का सान्द्रण (Concentration of Reactants)- प्रतिकारकों का सान्द्रण जितना ही अधिक होता है, प्रतिक्रिया का वेग भी उतना ही अधिक होता है।
(ii) ताप (Temperature): सामान्यतः प्रतिकारकों का ताप जितना ही अधिक रहता है, उनके बीच प्रतिक्रिया उतनी ही तेजी से होती है।
(iii) प्रतिकारकों की भौतिक अवस्था (Physical states of Reactants): प्रतिकारकों की भौतिक अवस्था का विशेष प्रभाव विषमांगी प्रतिक्रियाओं (Heterogeneous Reactions) पर पड़ता है। इनमें प्रतिक्रिया प्रतिकारकों की सतह पर होती है। बाह्य सतह का क्षेत्रफल जितना ही अधिक रहता है, प्रतिक्रिया का वेग भी उतना ही तीव्र होता है। ठोस प्रतिकारक को तोड़कर टुकड़े-टुकडे कर देने से उसकी सतह का क्षेत्रफल बढ़ जाता है, जिससे प्रतिक्रिया का वेग भी अधिक हो जाता है।
(iv) प्रतिकारकों की प्रकृति (Nature of Reactants): प्रतिक्रिया के वेग पर प्रतिकारकों की प्रकृति का काफी प्रभाव पड़ता है। उदाहरणार्थ, सोडियम धातु साधारण ताप पर ही जल के साथ तेजी से प्रतिक्रिया करती है।
(v) उत्प्रेरक का प्रभाव (Effect of catalyst): एक उत्प्रेरक की उपस्थिति में प्रतिक्रिया का वेग अधिक या कम हो जाता है। उत्प्रेरक की उपस्थिति में प्रतिक्रिया की सक्रियण ऊर्जा (Activation Energy) और क्रिया विधि बदल जाती है। धन उत्प्रेरक सक्रियण ऊर्जा को घटा देते हैं, जिससे प्रतिक्रिया तेजी से होने लगती है। ऋणात्मक उत्प्रेरक सक्रियण ऊर्जा को बढ़ा देते हैं, जिससे प्रतिक्रिया का वेग घट जाता है।
(vi) विकिरण का प्रभाव (Effect of Radiation): विकिरण का प्रभाव भी प्रतिक्रिया के वेग पर पड़ता है, जैसे- हाइड्रोजन (H2) और क्लोरीन (Cl2) अंधेरे में अत्यंत ही मन्द वेग से संयोग करते हैं, किन्तु सूर्य के प्रकाश में ये तत्क्षण संयोग करके हाइड्रोजन क्लोराइड (HCI) बनाते हैं।
H2 + Cl2 → 2HCL (अत्यंत मंद)
H2 + Cl2 (सूर्य प्रकाश) → 2HCL (अत्यंत तीव्र)
उत्क्रमणीय प्रतिक्रिया (Reversible Reactions): वे रासायनिक प्रतिक्रियाएँ जो दोनों दिशाओं में हो सकती हैं, अर्थात् जिनमें प्रतिकारक प्रतिफल में परिवर्तित होते हैं तथा प्रतिफल भी पुनः प्रतिकारक में परिवर्तित हो सकते हैं, उत्क्रमणीय प्रतिक्रिया कहलाती हैं।
उदाहरण-
(i) 3Fe + 4H2O ⇌ Fe3O4 + 4H2
(ii) N2 + 3H2 ⇌ 2NH3
बायीं से दायीं दिशा में होने वाली प्रतिक्रिया अग्रिम प्रतिक्रिया (Forward Reaction) तथा दायीं से बायीं दिशा में होने वाली प्रतिक्रिया उल्टी प्रतिक्रिया (Reverse or Backward Reaction) कहलाती हैI
अनुत्क्रमणीय प्रतिक्रिया (Irreversible Reaction): वे रासायनिक प्रतिक्रियाएँ जो एक ही दिशा में (बायें से दायें) होती हैं, अनुक्रमणीय प्रतिक्रियाएँ कहलाती हैं।
उदाहरण-
(і) 2KClO3 → 2KCL + 3O2
(ii) NaOH + HCl → NaCl + H2O
रासायनिक साम्यावस्था (Chemical Equilibrium): रासायनिक प्रतिक्रिया की वह अवस्था जिसमें उसकी अग्रिम प्रतिक्रिया का वेग उसकी उल्टी प्रतिक्रिया के वेग के बराबर ही जाता है, रासायनिक साम्यावस्था कहलाती है। चूँकि यह साम्यावस्था गतिक (Dynamic) होती है, अतः इसे गतिक साम्यावस्था (Dynamic Equilibrium) भी कहते हैं।