मुख्यमंत्री के कार्य एवं शक्तियां
- मुख्यमंत्री राज्य सरकार का प्रधान होता है राज्य के प्रशासन का ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जो मुख्यमंत्री के नियंत्रण से बाहर हो उसकी महत्वपूर्ण शक्तियां निम्नलिखित हैं –
- मुख्यमंत्री राज्य में मंत्री परिषद का निर्माता होता है राज्यपाल मुख्यमंत्री के परामर्श से ही मंत्रियों की नियुक्ति करता है |
- मंत्री राज्यपाल के प्रसादपर्यंत तक अपने पद पर रहते हैं [अनुच्छेद164(1)]
- मुख्यमंत्री मंत्रियों को विभाग का बंटवारा करता है वह इच्छा अनुसार उनके विभागों को परिवर्तित भी कर सकता है |
- मुख्यमंत्री मंत्री परिषद की अध्यक्षता करता है मंत्रिपरिषद की बैठक के मुख्यमंत्री ही बुलाता है मुख्यमंत्री ही निर्णय करता है कि मंत्री परिषद की बैठक कब और कहां होगी और किस विषय पर विचार किया जाएगा |
- राज्य की विकास नीतियों का निर्माता मुख्यमंत्री होता है तथा वही विकास व निवेश संबंधी समितियों की अध्यक्षता भी करता है |
- मुख्यमंत्री राज्यपाल और मंत्रिपरिषद के बीच की कड़ी का कार्य करता है अनुच्छेद 167 के अनुसार मुख्यमंत्री का यह कर्तव्य है कि राज्य के प्रशासन और विधायन संबंधी जानकारी राज्यपाल को दें |
- राज्यपाल मुख्यमंत्री के परामर्श से उच्च शासनाधिकारियों तथा महाधिवक्ता लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष व सदस्य की नियुक्ति करता है |
- मुख्यमंत्री विधानसभा का भी नेता है इसलिए विधान सभा संचालन में आई समस्याओं को सबके साथ मिलकर दूर करने का प्रयास करता है |
- मुख्यमंत्री अपने दल का नेता भी होता है इस नाते अपनी पार्टी के चुनावों में सफलता आदि के लिए भाषण देता है |
- राज्य योजना बोर्ड का अध्यक्ष होता है |
मंत्री परिषद उसका कार्यकाल, योग्यताएँ व सदस्य संख्याएँ
मंत्री परिषद
- जिस प्रकार केंद्रीय मंत्रिपरिषद केंद्र के शासन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है उसी प्रकार राज्य में मंत्रिपरिषद शासन का केंद्र बिंदु होती है |
- अनुच्छेद 163 के अनुसार राज्यपाल स्वविवेक तथा मंत्री परिषद की सहायता एवं सलाह के अनुसार कार्य करेगा मुख्यमंत्री राज्यपाल के माध्यम से मंत्री परिषद का निर्माण करता है|
मंत्री परिषद का कार्यकाल
- सामान्यतः मंत्री परिषद का कार्यकाल 5 वर्ष होता है परंतु मंत्री परिषद का कार्यकाल विधानमंडल में उसके बहुमत पर निर्भर करता है |
- इसके अतिरिक्त राज्य में अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन के लागू होने से मंत्रिपरिषद भंग हो जाती है |
मंत्रियों की योग्यताएँ
- मंत्री परिषद के सभी सदस्यों के लिए आवश्यक है कि विधानमंडल के किसी सदन के सदस्य हो |
- यदि कोई व्यक्ति मंत्री पद पर नियुक्ति के समय विधानमंडल का सदस्य नहीं है तो उसके लिए 6 माह के भीतर विधानमंडल की सदस्यता प्राप्त करना आवश्यक होता है ऐसा करने में असफल रहने पर मंत्री पद छोड़ना होता है |
मंत्री परिषद की सदस्य संख्या
- 91 वें संशोधन अधिनियम 2003 के अंतर्गत मंत्रियों की संख्या निम्न सदन विधानसभा की कुल संख्या का 15% से अधिक नहीं हो सकती |
- लेकिन केंद्र शासित राज्य में न्यूनतम मंत्रियों की संख्या मुख्यमंत्री सहित 12 होगी इससे कम नहीं |
मंत्रियों का कार्य विभाजन
- मंत्रियों में काल विभाजन राज्यपाल मुख्यमंत्री के परामर्श अनुसार करता है मंत्री के अधिकार के अंतर्गत प्राय एक ही प्रमुख विभाग किंतु कभी-कभी एक से अधिक विभाग भी रहते हैं मंत्रियों के अतिरिक्त प्रत्येक विभाग में सचिव, अतिरिक्त सचिव, संयुक्त सचिव, उपसचिव आदि स्थाई पदाधिकारी होते हैं |
मंत्रियों द्वारा शपथ ग्रहण
- ग्रहण करने से पहले मुख्यमंत्री तथा अन्य मंत्रियों को राज्यपाल के समक्ष दो शपथे लेनी होती हैं [अनुच्छेद 164(3)]
- पद के कर्तव्य पालन की,
- गोपनीयता की |
गठबंधन सरकार और मुख्यमंत्री
गठबंधन सरकार और मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री की राज्य में शासन की वास्तविक अध्यक्ष के रूप में कार्य करने की स्थिति अनेक बातों पर निर्भर करती है जैसे –
- मुख्यमंत्री केंद्र में सत्तारूढ़ दल का ही है तो मुख्यमंत्री प्रभावी रूप से कार्य कर पाता है यदि केंद्र के विपक्षी दल का है तो केंद्र से उसे पर्याप्त सहायता न मिल पाने के कारण उसकी स्थिति सुदृढ़ नहीं रह पाती है |
- अपने केंद्रीय दल में मुख्यमंत्री का प्रभावी स्थान है तभी वह अपने कर्तव्यों का पालन सुदृढ़ता से कर पाता है |
- गठबंधन सरकार की स्थिति राज्यों में 1967 के चौथे आम चुनावों से उत्पन्न हुई है जिसके कारण मुख्यमंत्री पद का ह्यस हुआ है जिसकी विवेचना निम्नलिखित बिंदुओं के अंतर्गत की जा सकती है
- गठबंधन सरकार में मुख्यमंत्री मंत्री पदों का बंटवारा स्वयं न कर गठबंधन सरकार की समिति के अनुसार करता है |
- इस स्थिति में वह मंत्रियों को अपनी इच्छा अनुसार हटा भी नहीं सकता है |
- मुख्यमंत्री राज्यपाल व मंत्रिपरिषद के बीच कड़ी का कार्य भली-भांति भी नहीं कर पाता है क्योंकि गठबंधन दलों के नेता सीधे राज्यपाल से संपर्क करते रहते हैं |
- मुख्यमंत्री विकास संबंधी निर्णय भी गठबंधन समिति के परामर्श से ही करता है |
- गठबंधन सरकार की स्थिति में प्रभावशाली व्यक्ति के स्थान पर सामान्य व्यक्ति को ही अनेक बार मुख्यमंत्री नियुक्त कर दिया जाता है |
- गठबंधन सरकार की स्थिति में यह भी आवश्यक नहीं है कि मुख्यमंत्री जनता व विधानसभा का नेता हो |