जनसंख्या घनत्व को प्रतिवर्ग किमी. क्षेत्र में व्यक्तियों की संख्या के रूप में व्यक्त किया जाता है। यह एक अशोधित मापन है जिसे अंकगणितीय घनत्व के तौर पर संदर्भित किया जाता है। यह अशोधित इसलिए है क्योंकि जनसंख्या घनत्व की गणना करने में देश के पूरे क्षेत्र को शामिल किया जाता है। हालांकि, वह जनसंख्या जो कुछ खास क्षेत्रों में रहती है जो उत्पादनशील होती है, प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर होती है, और मनुष्य की पहुंच में होती है। पहाड़ी एवं ऊबड़-खाबड़ क्षेत्र, वनीय क्षेत्र और जल से आच्छादित क्षेत्र जो मानव आवास के लिए उचित नहीं हैं। अंकगणितीय घनत्व की सीमाओं के कारण घनत्वों को कभी-कभी ग्रामीण या कृषि जनसंख्या के लिए भी आकलित किया जाता है। घनत्व की गणना में, कृषि योग्य क्षेत्र को शामिल किया जाता है। फसलीय क्षेत्र की जनसंख्या का अनुपात फ्रांस में, मनोवैज्ञानिक घनत्व के तौर पर विवेचित किया जाता है।
यहां विचार किए गए देश की जनसंख्या घनत्व का विश्लेषण अंकगणितीय घनत्व पर आधारित है जिसे प्रति वर्ग किमी. में व्यक्तियों की संख्या के रूप में परिभाषित किया जाता है।
जनसंख्या घनत्व पर्यावरण पर और अंतिम रूप से लोगों के जीवन की गुणवत्ता पर प्रभाव डालता है। जनसंख्या के बढ़ते दबाव ने लोगों के जीने के तरीके और उनके शासित होने के तरीके को पहले ही प्रभावित किया है।2011 की जनगणना के अंतिम आंकड़ों के अनुसार 1 मार्च, 2011 को देश में जनसंख्या घनत्व (प्रति एक वर्ग किमी. क्षेत्र में रहने वाले लोगों की संख्या) 382 थी। इससे पूर्व अनंतिम आंकड़ों में भी 2011 में घनत्व 382 ही आकलित किया गया था। 2001 में देश में जनसंख्या घनत्व 325 था (इस प्रकार जनसंख्या घनत्व में 2001 की जनगणना के मुकाबले 2011 की जनगणना में 57 अंकों का इजाफा हुआ है)। सभी राज्यों/संघ शासित प्रदेशों में, 2001 और 2011 दोनों ही जनगणनाओं में, दिल्ली बेहद अधिक घनत्व (11,320) वाला संघ प्रदेश है और चंडीगढ़ दूसरे स्थान (9,258) पर आता है। 1102 जनसंख्या घनत्व के साथ राज्यों में बिहार प्रथम स्थान पर है, तथा पश्चिम बंगाल को पीछे छोड़ दिया है, जो जनगणना वर्ष 2001 में प्रथम स्थान पर था। अरुणाचल प्रदेश दोनों ही जनगणनाओं (2001 और 2011) में न्यूनतम जनसंख्या घनत्व (17) वाला राज्य बना हुआ है। 2001 में भी इन तीनों राज्यों/केंद्र शासित क्षेत्रों की यही स्थिति थी।
हालांकि असीम वृद्धि एक चिंता का विषय है, सकारात्मक तथ्य है कि वृद्धि दर में कमी आई है और विगत् दशक में इसने तीव्र कमी का प्रदर्शन किया। जनसंख्या घनत्व में उच्च वृद्धि एक बेहद चिंता का विषय है, जैसाकि यह हमारे प्राकृतिक संसाधनों और मौजूद अवसंरचनात्मक सुविधाओं पर बेहद दबाव डालता है और जीवन की गुणवत्ता को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करता है।
क्षेत्रवार जलवायु, भू-भौतिक दशाओं, संसाधनों की उपलब्धता इत्यादि में अंतर के कारण राज्यों और संघ शासित प्रदेशों के बीच घनत्व में अत्यधिक परिवर्तन होता है।