भारत में बजट पेश करने की प्रक्रिया क्या है?

भारतीय संविधान का ‘अनुच्छेद 112’ कहता है कि भारत के वित्त मंत्री द्वारा प्रति वर्ष संसद में बजट पेश किया...

भारतीय संविधान का ‘अनुच्छेद 112’ कहता है कि भारत के वित्त मंत्री द्वारा प्रति वर्ष संसद में बजट पेश किया जाना चाहिए | बजट को ‘वार्षिक वित्तीय विवरण‘ के नाम से भी जाना जाता है|

बजट क्यों पेश किया जाता है?

बजट में केंद्र सरकार के 3 वर्ष के आय और व्यय का लेखा-जोखा होता है| वित्तमंत्री संसद में यह बताते हैं कि पिछले साल सरकार की आय और व्यय कितनी थी, वर्तमान वर्ष में कितनी है और अगले साल ‘आय और व्यय’ कितनी होने की उम्मीद है|

इस प्रकार बजट के माध्यम से सरकार पूरे देश को यह बताती है कि वह जनता की कमाई का एक-एक पैसा योजनाबद्ध तरीके से इस्तेमाल कर रही है | बजट के माध्यम से ही देश की आर्थिक स्थिति को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दर्शाया जाता है|

बजट बनाने की शुरुआत कब से होती है?

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आम तौर पर बजट बनाने की शुरुआत अगस्त-सितंबर के बीच जारी होने वाले बजट सर्कुलर से होती है, वित्त विभाग का बजट डिवीजन अगस्त के आखिर या सितंबर की शुरुआत में ही बजट सर्कुलर जारी करता है। इस सर्कुलर में भारत सरकार और उसके सभी मंत्रालयों से संबंधित कंटेंट तथा स्टेटमेंट का पूरा विवरण मांगा जाता है।

इसके आधार पर बजट की रूप-रेखा तैयार की जाती है। इसके बाद सितंबर के आखिर तक अगले वित्त वर्ष के लिए सरकारी खर्च का अनुमानित आंकड़ा तैयार किया जाता है।

बजट को कौन तैयार करता है?

भारत के वित्‍त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग (Department of Economic Affairs) के तहत आने वाले ‘बजट विभाग’ की देखरेख में तैयार होता है। हर साल यही विभाग भारत का बजट तैयार करता है|

बजट का ड्राफ्ट कब तैयार किया जाता है ?

दिसंबर आते ही बजट की पहली ड्राफ्ट कॉपी (first cut of budget) को वित्त मंत्री के सामने रखा जाता है। ड्राफ्ट कॉपी का पेपर नीले रंग का होता है।  क्‍योंकि काली स्याही, लाइट नीले रंग के पेपर पर ज्यादा ठीक से दिखती है।

वित्‍तमंत्री द्वारा उद्योग समूह के प्रतिनिधियों से परामर्श

बजट बनाने की प्रक्रिया के तहत जनवरी माह में विभिन्न उद्योग समूह के प्रतिनिधियों, बैंक एसोसिएशन और जाने-माने अर्थशास्त्रियों से वित्तमंत्री की मीटिंग होती है। वित्तमंत्री सबकी सलाह सुनते हैं,हालांकि उनकी सलाह को मानने के लिए वित्‍तमंत्री बाध्य नही है।

किस मंत्रालय को कितना रुपया मिलेगा यह कैसे तय होता है?

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हर मंत्रालय की कोशिश होती है कि बजट में अधिक से अधिक फंड पा जाये। इसके लिए अक्‍टूबर- नवंबर में वित्‍त मंत्रालय अन्‍य मंत्रालयों के साथ बैठक करके एक खाका (blue print) तैयार करता है कि किस मंत्रालय को कितनी राशि बजट में आवंटित की जाएगी।

इसके लिए प्रत्येक मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी वित्त मंत्रालय के साथ मोलभाव (negotiate) करते हैं। सरकार के सभी मंत्रालयों और विभागों के बीच यह प्रक्रिया नवंबर तक चलती है।

हलवा समारोह (Halwa Ceremony) क्या होता है?

बजट से संबंधित दस्तावेजों की छपाई की प्रक्रिया शुरू होने से ठीक पहले नॉर्थ ब्लॉक में एक भव्य ‘हलवा समारोह’ का आयोजन किया जाता है।

इस समारोह में वित्तमंत्री द्वारा बजट से संबंधित सभी मंत्रियों और अधिकारियों के बीच हलवा वितरित किया जाता है।

इस समारोह के बाद बजट की तैयारियों से संबंधित सभी सरकारी अधिकारियों को मोबाइल या इंटरनेट के बिना एक अज्ञात कमरे में बंद कर दिया जाता है। ये अधिकारीगण उस कमरे से बाहर तब-तक नहीं आते हैं जब तक कि वित्तमंत्री बजट प्रस्तुति के लिए तैयार नही हो जाते हैं|

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