ऑक्सीकरण (Oxidation)- ऑक्सीकरण वह रासायनिक प्रक्रिया है, जिसके फलस्वरूप किसी तत्व या यौगिक में विद्युत् ऋणात्मक परमाणुओं या मूलकों का अनुपात बढ़ जाता है अथवा किसी यौगिक में विद्युत् धनात्मक परमाणुओं या मूलकों का अनुपात कम हो जाता है।
उदाहरण-
2Mg + O2 → 2MgO
C + O2 → CO2
2H2 + O2 → 2H2O
Cu + Cl2 → CuCl2,
H2 + I2 → 2HI
2FeCl2 + Cl2 → 2FeCl3
अवकरण (Reduction): अवकरण वह रासायनिक प्रक्रिया है, जिसके फलस्वरूप किसी तत्व या यौगिक में विद्युत् धनात्मक परमाणुओं या मूलकों का अनुपात बढ़ जाता है अथवा किसी यौगिक में विद्युत् ऋणात्मक परमाणुओं या मूलकों का अनुपात कम हो जाता है।
उदाहरण-
Cl2 + H2S → 2HCl + S
2FeCl3 + 2 FeCl2 + 2HCl
आयनिक सिद्धान्त के आधार पर ऑक्सीकरण एवं अवकरण की परिभाषा
ऑक्सीकरण (Oxidation): ऑक्सीकरण वह प्रक्रिया है, जिसके फलस्वरूप किसी आयन पर धन आवेश बढ़ जाता है या ऋण आवेश कम हो जाता है।
उदाहरण- फेरस क्लोराइड (FeCl2) से फेरिक क्लोराइड (FeCl3) के बनने में फेरस आयन (Fe++) बदलकर फेरिक आयन (Fe+++) हो जाता है। अर्थात् लोहे के आयन पर धन आवेश बढ़ जाता है।
FeCl2 → FеCl3
Fe++ + CI– + CI– → Fe+++ + Cl– + Cl– + CI–
अवकरण (Reduction): अवकरण वह रासायनिक प्रक्रिया है, जिसके फलस्वरूप किसी आयन पर धन आवेश घट जाता है, या ऋण आवेश बढ़ जाता है।
उदाहरण- SnCl4 से SnCl2 के बनने में टिन आयन पर धन आवेश +4 से घटकर +2 हो। जाता है।
SnCl4 → SnCl2
Sn+++ + 4Cl‑ → Sn++ + 2Cl–
इलेक्ट्रॉनिक सिद्धांत के आधार पर ऑक्सीकरण एवं अवकरण की परिभाषा
ऑक्सीकरण (Oxidation): ऑक्सीकरण वह रासायनिक प्रक्रिया है, जिसमें कोई परमाणु या आयन एक या अधिक इलेक्ट्रॉनों का त्याग कर उच्च विद्युत् धनात्मक अवस्था या निम्न विद्युत् ऋणात्मक अवस्था में परिवर्तित होता है।
अवकरण (Reduction): अवकरण वह रासायनिक प्रक्रिया है, जिसमें कोई परमाणु या आयन इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके निम्न विद्युत् धनात्मक अवस्था या उच्च विद्युत् ऋणात्मक अवस्था में परिवर्तित होता है।
उदाहरण- सोडियम धातु एवं क्लोरीन गैस के बीच अभिक्रिया के फलस्वरूप सोडियम क्लोराइड बनता है।
2Na + Cl2 → 2NaCl
ऑक्सीकारक एवं अवकारक पदार्थ (Oxidising and Reducing Agent): जिस पदार्थ का ऑक्सीकरण होता है, वह अवकारक (Reducing Agent) कहलाता है, तथा जिस पदार्थ का अवकरण होता है, वह ऑक्सीकारक (Oxidising Agent) कहलाता है।
ऑक्सीकारक वे पदार्थ होते हैं, जो इलेक्ट्रॉन ग्रहण करते हैं तथा अवकारक वे पदार्थ होते हैं, जो इलेक्ट्रॉन त्याग करते हैं। कुछ मुख्य ऑक्सीकारक पदार्थ निम्नलिखित हैं- ऑक्सीजन (O2), ओजोन (O3), हाइड्रोजन परऑक्साइड (H2O2), नाइट्रिक अम्ल (HNO3), क्लोरीन (Cl2), पोटैशियम परमैंगनेट (KMnO4), पोटैशियम डाइक्रोमेट (K2Cr2O7), लेड ऑक्साइड (PbO2) आदि।
कुछ मुख्य अवकारक पदार्थ के उदाहरण हैं- हाइड्रोजन (H2), हाइड्रोजन सल्फाइड (H2S), कार्बन मोनोक्साइड (CO), सल्फर डाइऑक्साइड (SO2), कार्बन (C), हाइड्रायोडिक अम्ल (HI), स्टैनस क्लोराइड (SnCl2) आदि।
ऑक्सीकारक एवं अवकारक दोनों की तरह व्यवहार करने वाले पदार्थ: हाइड्रोजन सल्फाइड (H2S), हाइड्रोजन परऑक्साइड (H2O2), सल्फर डाइऑक्साइड (SO2), नाइट्रस अम्ल (HNO2) आदि।
ऑक्सीकरण संख्या (Oxidation Number): किसी तत्व की ऑक्सीकरण संख्या वह संख्या है, जो किसी अणु आयन में उस परमाणु पर आवेशों की संख्या को बताती है, यदि उस अणु या आयन से शेष सभी परमाणुओं को संभावित आयनों के रूप में अलग कर दिया जाय। उदाहरणार्थ- KMnO4 के अणु से पोटैशियम को K+ के रूप में और चार ऑक्सीजन को O— के रूप में अलग कर दिया जाय, तो Mn पर +7 आवेश बचेगा। यही Mn की ऑक्सीकरण संख्या है। ऑक्सीकरण संख्या का मान धनात्मक या ऋणात्मक हो सकता है।
ऑक्सीकरण संख्या के आधार पर ऑक्सीकरण एवं अवकरण की व्याख्या: ऑक्सीकरण वह रासायनिक प्रक्रिया है, जिसके फलस्वरूप किसी परमाणु की ऑक्सीकरण संख्या का मान बढ़ जाता है, तथा अवकरण वह रासायनिक प्रक्रिया है, जिसके फलस्वरूप किसी परमाणु की ऑक्सीकरण संख्या घट जाती है।
उदाहरण-
Fe (0) + 2HCl (+1) → (+2) FeCl2 + H2
यहाँ लोहे की ऑक्सीकरण संख्या शून्य से बढ़कर +2 हो रही है, जबकि हाइड्रोजन की ऑक्सीकरण संख्या +1 से घटकर शून्य हो रही है। अतः इस प्रतिक्रिया में लोहे का ऑक्सीकरण तथा हाइड्रोजन का अवकरण हुआ है।
ऑक्सीकारक वह पदार्थ है, जो किसी दूसरे पदार्थ की ऑक्सीकरण संख्या को बढ़ा देता है। जबकि अवकारक वह पदार्थ है, जो किसी दूसरे पदार्थ की ऑक्सीकरण संख्या को घटा देता है।
जिस पदार्थ की ऑक्सीकरण संख्या बढ़ती है, वह ऑक्सीकृत होता है, अर्थात् वह अवकारक (Reducing Agent) है।
जिस पदार्थ की ऑक्सीकरण संख्या घटती है वह अवकृत होता है, अर्थात् वह ऑक्सीकारक (Oxidising Agent) है।