अगले 25 वर्षों के लिए भारत का ‘पंच प्राण’ (Panch Pran) लक्ष्य : मुख्य बिंदु
भाषण के दौरान, पीएम मोदी ने अगले 25 वर्षों में भारत को एक विकसित राष्ट्र में बदलने के लिए “पंच प्राण लक्ष्य” (पांच संकल्प) निर्धारित किए।
विकसित भारत के मानक
- विकसित भारत के मानकों में शामिल हैं- स्वच्छता अभियान, टीकाकरण, बिजली कनेक्शन, खुले में शौच मुक्त, विकसित भारत के लिए सौर ऊर्जा का उपयोग।
- नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति “गुलामी के विचार से मुक्ति” का एक उदाहरण है।
- इंडिया फर्स्ट, लैंगिक समानता और महिलाओं का सम्मान देश में एकता और एकजुटता के प्रतीक हैं।
- बिजली बचाने, रसायन मुक्त खेती और खेतों में उपलब्ध पानी के पूर्ण उपयोग जैसे कर्तव्यों को पूरा करने से भारत में प्रगति होगी।
प्रधानमंत्री ने जिन पांच संकल्पों को लेने के लिए लोगों से कहा उनमें शामिल हैं;
- विकसित भारत के बड़े संकल्प के साथ आगे बढ़ें
- दासता के सभी निशान मिटा दें
- भारत की विरासत पर गर्व करें
- एकता की ताकत
- पीएम और सीएम सहित नागरिकों के कर्तव्य।
पीएम मोदी के अनुसार, ये पांच संकल्प एक विकसित देश के लिए महत्वपूर्ण होंगे जब देश 2047 में स्वतंत्रता के 100 साल पूरे करेगा। इन पांच संकल्पों में पीएम का ‘विश्वगुरु भारत’ का सपना भी शामिल है। आजादी के 100 साल पूरे होने पर पीएम मोदी भारत को “विश्वगुरु” बनाना चाहते हैं।
भारत सरकार ने बेहतर उद्योग और अनुसंधान एवं विकास सहयोग के लिए “मंथन” मंच का अनावरण किया
भारत सरकार ने देश में प्रौद्योगिकी आधारित सामाजिक प्रभाव नवाचारों और समाधानों को लागू करने के लिए उद्योग और अनुसंधान संस्थानों के बीच सहयोग बढ़ाने के लिए “मंथन” मंच का अनावरण किया। देश के भीतर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के सभी क्षेत्रों को सक्षम और सशक्त बनाने के विज़न के दायित्व का वहन करने वाले भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (पीएसए) के कार्यालय ने मंथन मंच के शुभारंभ की घोषणा की है।
इसका उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र द्वारा परिभाषित सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) चार्टर के अनुरूप भारत के सतत लक्ष्यों को हासिल करने के लिए उद्योग और वैज्ञानिक अनुसंधान तथा विकास पारिस्थितिकी तंत्र के बीच बड़े पैमाने पर सहयोग को बढ़ावा देना है। यह शुभारंभ भारत की आज़ादी के 75 वर्ष- आज़ादी का अमृत महोत्सव का स्मरण कराता है तथा राष्ट्रीय और वैश्विक समुदायों को भारत की प्रौद्योगिकी क्रांति के समीप लाने का अवसर प्रस्तुत करता है। भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. अजय कुमार सूद हैं।
Vostok-2022: रूस में होगा भारत-चीन सैन्य अभ्यास
चीन ने कहा कि उसके सैनिक रूस में इस महीने के अंत होने वाले ‘वोस्तोक 2022’ सैन्य अभ्यास में हिस्सा लेंगे। इस सैन्य अभ्यास में भारतीय सेना भी शिरकत कर रही है। चीन के रक्षा मंत्रालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि चीनी और रूसी सेनाओं के बीच वार्षिक सहयोग योजना और दोनों पक्षों के बीच बनी सहमति के अनुसार, ‘चाइनीज़ पीपुल्स लिबरेशन आर्मी’ (पीएलए) निकट भविष्य में होने वाले सैन्य अभ्यास में भाग लेने के लिए कुछ सैनिकों को रूस भेजेगी। उसमें कहा गया है कि भारत, बेलारूस, ताजिकिस्तान, मंगोलिया और अन्य देश भी अभ्यास में हिस्सा लेंगे।
प्रमुख बिंदु
- इस युद्धाभ्यास में भारत, चीन, रूस के अलावा बेलारूस, मंगोलिया, ताजिकिस्तान की सेनाएं भी हिस्सा लेंगी। वोस्तोक अभ्यास रूस में 30 अगस्त से 5 सितंबर तक आयोजित किया जाना है।
- रूस ने बताया है कि इस अभ्यास में शामिल होने के लिए सभी सदस्य देशों ने सहमति दे दी है। इसका मौजूदा क्षेत्रीय तनाव से कोई लेना-देना नहीं है।
- चीनी रक्षा मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि चीनी सैनिक रूस के नेतृत्व में संयुक्त सैन्य अभ्यास में भाग लेने के लिए मेजबान देश की यात्रा करेंगे।
- मंत्रालय ने यह भी साफ किया कि इस संयुक्त अभ्यास में चीन की भागीदारी मौजूदा अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्थिति से असंबंधित है।
- चीन के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि अभ्यास में उसकी भागीदारी रूस के साथ चल रहे द्विपक्षीय वार्षिक सहयोग समझौते का हिस्सा है।
- इसका उद्देश्य भाग लेने वाले देशों की सेनाओं के साथ व्यावहारिक और मैत्रीपूर्ण सहयोग को गहरा करना, भाग लेने वाले दलों के बीच रणनीतिक सहयोग के स्तर को बढ़ाना और विभिन्न सुरक्षा खतरों का जवाब देने की क्षमता को मजबूत करना है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारतीय सेना को दिया “F-INSAS” सिस्टम
बॉर्डर पर बढ़ती चुनौतियों के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारतीय सेना को नई एंटी पर्सोनेल माइन ‘निपुण’ और एफ-इंसास (F-INSAS) सिस्टम सौंपा। ‘निपुण’ का निर्माण भारतीय फर्मों द्वारा स्वदेशी रूप से किया गया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सेना को और मजबूत करने के लिए मंगलवार को कई स्वदेशी हथियार सौंपे। कार्यक्रम के दौरान सेना के एफ-इंसास जवान ने राजनाथ सिंह को उनकी नई हथियार प्रणालियों और एके-203 असॉल्ट राइफल सहित अन्य सहायता के बारे में जानकारी दी। बता दें कि AK-203 असॉल्ट राइफलें को अमेठी में भारतीय और रूसी के बीच एक संयुक्त रूप से बनाने की योजना है।
युद्ध के दौरान पैदल सेना के जवान लंबे समय तक डटे रहे इसके लिए बैलिस्टिक हेलमेट, बैलिस्टिक गॉगल्स, बुलेटप्रूफ जैकेट बनाए गए हैं। बुलेटप्रूफ जैकेट और हेलमेट घातक हथियारों से रक्षा करने में मददगार है। साथ ही सैनिकों के पास खास किस्म का हेलमेट होगा जिसपर लाइट होगी। F-INSAS का मकसद पैदल सेना, यानी इन्फैंट्री को आधुनिक बनाना है। यह सैनिकों की ऑपरेशनल कैपेसिटी को बढ़ाएगा, यानी सैनिक दुश्मनों पर जल्दी और तेजी से हमला कर पाएंगे। F-INSAS को भारत और रूस के साझा मिशन के तहत उत्तर प्रदेश के अमेठी में बनाया जा रहा है। राजनाथ सिंह ने F-INSAS के अलावा भी इंडियन आर्मी को कई आधुनिक हथियार सौंपे हैं।
पालन 1000 राष्ट्रीय अभियान (Paalan 1000 National Campaign) क्या है?
16 अगस्त, 2022 को ‘पालन 1000 राष्ट्रीय अभियान’ शुरू किया गया। इसे भारती प्रवीण पवार (केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री) ने वर्चुअल मोड में लॉन्च किया । इस अवसर पर, एक पेरेंटिंग एप्लिकेशन का भी अनावरण किया गया, जो मुख्य रूप से पहले दो वर्षों में बच्चों के विकास पर केंद्रित है।
मुख्य बिंदु
- भारती प्रवीण पवार के अनुसार, भारत ने 2014 से बाल मृत्यु दर को कम करने के लिए त्वरित कदम उठाए हैं। परिणामस्वरूप, बाल मृत्यु दर 2019 में घटकर 35 प्रति 1000 जीवित जन्म हो गई है, जबकि 2014 में यह प्रति 1000 जीवित जन्मों पर 45 थी।
- यह अभियान इसलिए शुरू किया गया था, क्योंकि पहले 1000 दिन बच्चे के शारीरिक, भावनात्मक, मानसिक, संज्ञानात्मक और सामाजिक स्वास्थ्य के लिए एक ठोस मंच के रूप में कार्य करते हैं।
- ‘Paalan 1000 Journey of the First 1000 Days’ में परिवारों, माता-पिता और देखभाल करने वालों के लिए प्रारंभिक वर्षों के प्रशिक्षण के साथ-साथ परिवारों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने वाली सेवाएं भी शामिल हैं।
पेरेंटिंग एप्लीकेशन
“Early Childhood Development Conclave” में पेरेंटिंग एप्लीकेशन लॉन्च किया गया था, ताकि देखभाल करने वालों को व्यावहारिक सलाह दी जा सके कि वे रोजमर्रा की दिनचर्या में क्या कर सकते हैं। यह माता-पिता के कई संदेहों को सुलझाने में भी मदद करेगा।
बाल मृत्यु दर
बाल मृत्यु दर को जन्म और 5 वर्ष की आयु के बीच बच्चों की मृत्यु की संभावना के रूप में परिभाषित किया गया है। यह प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर व्यक्त की जाती है।
‘भारतीय दूतावास आवासीय परिसर ’
भारत के विदेश मंत्री ने 17, 2022 अगस्त को बैंकॉक में थाईलैंड के उप-प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री के साथ ‘भारतीय दूतावास आवासीय परिसर’ का उद्घाटन किया। विदेश मंत्री भारत-थाईलैंड की ‘नौवीं संयुक्त आयोग’ की बैठक में हिस्सा लेने के लिये थाईलैंड के दौरे पर हैं। इससे पहले उन्होंने थाईलैंड के प्रधानमंत्री से भी मुलाकात की और उन्हें शुभकामनाएँ दी। विदेश मंत्री, बैंकॉक के एम.राल्ड बुद्ध मंदिर भी गए। भारत और थाईलैंड संयुक्त आयोग की नौवीं बैठक भी 17 अगस्त को बैंकॉक में संपन्न हुई। इस बैठक की अध्यक्षता भारत के विदेश मंत्री और थाईलैंड के उप-प्रधानमंत्री व विदेश मंत्री ने संयुक्त रूप से की। इस बैठक में सभी द्विपक्षीय संबंधों को और मज़बूत करने पर चर्चा हुई। दोनों पक्षों ने राजनीतिक, आर्थिक, सुरक्षा के साथ-साथ रक्षा, संपर्क और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में संबंध बढ़ाने एवं आसियान और बिमस्टेक में सहयोग पर भी चर्चा की। इस दौरान भारत और थाईलैंड ने हिंद-प्रशांत योजना पर भी विचार साझा किये।
पालन 1000 राष्ट्रीय अभियान
केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री ने 16 अगस्त, 2022 को वर्चुअल मोड में ‘पालन 1000 राष्ट्रीय अभियान’ लॉन्च किया। इस अवसर पर एक पेरेंटिंग एप्लीकेशन का भी अनावरण किया गया जो मुख्य रूप से पहले दो वर्षों में बच्चों के विकास पर केंद्रित है। केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री के अनुसार भारत ने वर्ष 2014 से बाल मृत्यु दर को कम करने के लिये त्वरित कदम उठाए हैं। परिणामस्वरूप बाल मृत्यु दर वर्ष 2019 में घटकर 1000 जीवित जन्मों पर 35 हो गई है, जबकि वर्ष 2014 में यह प्रति 1000 जीवित जन्मों पर 45 थी। यह अभियान इसलिये शुरू किया गया है क्योंकि पहले 1000 दिन बच्चे के शारीरिक, भावनात्मक, मानसिक, संज्ञानात्मक और सामाजिक स्वास्थ्य के लिये एक ठोस आधार के रूप में कार्य करते हैं। ‘Paalan 1000 Journey of the First 1000 Days’ में परिवारों, माता-पिता और देखभाल करने वालों के लिये प्रारंभिक वर्षों के प्रशिक्षण के साथ-साथ परिवारों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने वाली सेवाएँ भी शामिल हैं। “Early Childhood Development Conclave” में पेरेंटिंग एप्लीकेशन लॉन्च किया गया था ताकि देखभाल करने वालों को व्यावहारिक सलाह दी जा सके कि वे रोज़मर्रा की दिनचर्या में क्या कर सकते हैं। यह माता-पिता के कई संदेहों को सुलझाने में भी मदद करेगा।