राज्य विधानमंडलों की शक्तियों पर प्रतिबंध , राज्य विधानमंडल के विशेषाधिकार UPSC NOTE

राज्य विधानमंडलों की शक्तियों पर प्रतिबंध  राज्य के विधान मंडलों पर निम्नलिखित प्रतिबंध संविधान में आरोपित किए हैं – राज्य...

राज्य विधानमंडलों की शक्तियों पर प्रतिबंध 

राज्य के विधान मंडलों पर निम्नलिखित प्रतिबंध संविधान में आरोपित किए हैं –

  • राज्य सूची के कुछ विषय पर राज्यों के विधान मंडल राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति के बिना कानून नहीं बना सकते हैं |
  • कुछ विषयों से जुड़े हुए कानून राज्य विधानमंडल द्वारा निर्मित कानून संबंधी राज्य के राज्यपाल द्वारा राष्ट्रपति की स्वीकृति हेतु भेजे जाते हैं राष्ट्रपति की स्वीकृति के पश्चात ही वह कानून प्रवर्तनीय होते हैं |
  • आपातकालीन परिस्थितियों में संसद राज्य सूची के विषयों पर भी कानून बनाने के लिए स्वतंत्र है |
  • राज्यसभा दो तिहाई बहुमत से एक प्रस्ताव पारित करके राज्य सूची के किसी भी विषय को संसद को कानून निर्माण हेतु सौंप सकती है ऐसे विषय पर संसद 1 वर्ष हेतु कानून का निर्माण कर सकती है और इस अवधि में वृद्धि भी की जा सकती है |
  • किन्ही कारणों में राज्य में संवैधानिक तंत्र विफल होने की स्थिति में राष्ट्रपति उक्त राज्य की विधानसभा को भंग कर सकते हैं ताकि वहां नए चुनाव कराए जा सकें |

राज्य विधानमंडल के विशेषाधिकार

राज्य विधानमंडल के विशेषाधिकार

  • अनुच्छेद 194 के अंतर्गत राज्य विधानमंडल के विशेषाधिकार राज्य विधानमंडल के सदनों, इसके सदस्यों एवं इसकी समितियों को मिलने वाले विशेष अधिकारों, उन्मुक्तियों और छूटों का योग है| ये अधिकार इन कार्यवाहियों की स्वतंत्रता और प्रभाव को सुनिश्चित करने के लिए अनिवार्य है |
  • संविधान में राज्य विधानमंडल के विशेष अधिकारों और उन व्यक्तियों तक भी विस्तारित किया है जो राज्य विधान मंडल के सदन या इसकी किसी समिति की कार्यवाहियों में बोलने और भाषण देने के लिए अधिकृत है जैसे – महाधिवक्ता, राज्य मंत्री |
  • राज्य विधानमंडल के विशेषाधिकार राज्यपाल को प्राप्त नहीं होते हैं राज्य विधानमंडल के विशेषाधिकारों को दो मुख्य श्रेणियों में बांटा जा सकता है |

सामूहिक विशेषाधिकार 

सामूहिक विशेषाधिकार निम्नलिखित है –

  1. यह अपरिचितों को इसकी कार्यवाहियों से अपवर्जित कर सकती है और कुछ महत्वपूर्ण मामलों में गुप्त बैठक कर सकती है |
  2. इसे सदस्य के पकड़े जाने, गिरफ्तार होने, दोषी सिद्ध, कारावास और छोड़े जाने से संबंध में तत्काल सूचना प्राप्त करने का अधिकार है |
  3. न्यायालय सभा या इसकी समितियों की जांच नहीं कर सकता है |
  4. यह अपने प्रक्रिया और कार्य संचालन नियमों को विनियमित कर सकती है और ऐसे मामलों पर निर्णय ले सकती है |
  5. यह भर्त्सना फटकार या कारावास द्वारा विशेष अधिकारों के उल्लंघन या सभा की अवमानना के लिए सदस्यों सहित बाह्य व्यक्तियों को दंडित कर सकती है |

व्यक्तिगत विशेषाधिकार

व्यक्तिगत विशेषाधिकार निम्नलिखित हैं –

  1. राज्य विधानमंडल में उन्हें बोलने की स्वतंत्रता है सदस्य द्वारा किसी कार्यवाही या समिति में दिए गए विचार या मत को किसी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती है यह स्वतंत्रता संविधान के उपबंधों और राज्य विधानमंडल की प्रक्रिया विनियमन करने के लिए नियमों और स्थाई आदेशों के अनुरूप है |
  2. सदस्यों को सदन चलने के लिए 40 दिन पहले और 40 दिन बाद तक गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है यह छूट केवल सिविल मामलों में है और अपराधिक या प्रतिबंधित निषेध मामलों में नहीं है |
  3. वे न्यायायिक सेवाओं से मुक्त होते हैं| जब सदन चल रहा हो तो साक्ष्य देने या किसी मामलों में बतौर गवाह उपस्थित होने से इनकार कर सकते हैं |

 

 

  • About
    teamupsc4u

Leave A Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Last Post

Categories

You May Also Like