- भारत में लगभग 1652 से अधिक भाषाएं बोली जाती हैं जिनमें 63 गैर – भारतीय भाषाएं हैं
- भारतीय संविधान के भाग 17 में दी गई आठवी अनुसूची में कुल 22 भारतीय भाषा की शामिल की गई है
- भारतीय संविधान के भाग 17 अनुच्छेद 343 में संघ की भाषा हिंदी एवं लिपि देवनागरी घोषित की गई है भारत में हिंदी का प्रयोग सर्वाधिक 46% लोगों द्वारा किया जाता है
- अनुच्छेद 343 (3) के अनुसार आरंभ में निर्धारित किए गए 15 वर्षों के उपरांत भी संसद इन्हीं विशिष्ट प्रयोजनों के लिए अंग्रेजी का प्रयोग जारी रखने की अनुमति दे सकती है
- अनुच्छेद 344 राष्ट्रपति को राजभाषा से संबंधित सलाह देने के उद्देश्य से राजभाषा आयोग के गठन का प्रावधान करता है
- 1955 ईस्वी में राष्ट्रपति द्वारा बी जी खेर की अध्यक्षता में प्रथम राजभाषा आयोग गठित किया गया
- प्रथम राजभाषा आयोग ने 1956 ईस्वी में अपनी सिफारिशें प्रस्तुत की जिस जिसका परीक्षण संयुक्त संसदीय समिति द्वार 1957 ईस्वी में किया गया इस आयोग ने अनुशंसा की कि संघ की भाषा 1965 ईस्वी के बाद प्रमुख रूप से हिंदी होगी परंतु अंग्रेजी भी केंद्रीय राजभाषा के रूप में रहेगी
- अनुच्छेद 345 के अधीन प्रत्येक राज्य के विधान मंडलों को यह शक्ति प्रदान की गई कि वह आठवीं अनुसूची में दिए गए भाषाओं में से किसी एक या अधिक को सरकारी कार्यों के लिए राज्य की सरकारी भाषा के रूप में अंगीकृत कर सकता है
- संसद एवं राज्य विधानमंडलों द्वारा पारित कानूनों की भाषा अंग्रेजी होगी
- उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों की भाषा तब तक अंग्रेजी होगी जब तक की संसद कोई अन्यथा प्रावधान ना कर दे
- अनुच्छेद 350 इस बात की व्यवस्था करता है की संघीय राज्य के किसी प्राधिकारी को अपनी शिकायत दूर करने के लिए किसी भी भारतीय भाषा में कोई भी व्यक्ति प्रतिवेदन दे सकता है
संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल भाषायें
- संविधान की आठवीं अनुसूची में आरंभ में सिर्फ 14 भाषाएं शामिल की गई थी परंतु बाद में कुछ संशोधनों के द्वारा 8 और भाषाओं को आठवीं अनुसूची में जोड़ा गया जिससे इन की कुल संख्या 22 हो गई
- 21 वां संविधान संशोधन 1967 – सिंधी
- 71 वां संविधान संशोधन 1992 – मणिपुरी, कोंकणी, एवं नेपाली
- 92वां संविधान संशोधन 2004 – मैथिली, संथाली, डोगरी एवं बोडो
- 22 भाषाएं
- असमिया, तेलुगु, हिंदी, सिंधी, मलयालम, मैथिली, तमिल, गुजराती, कोकणी, कश्मीरी, नेपाली, उड़िया, बंगला, उर्दू, कन्नड़, मणिपुरी, मराठी, संथाली, पंजाबी, डोगरी, संस्कृत, बोडो |
उपराष्ट्रपति
- अनुच्छेद 63 के अनुसार भारत का एक उपराष्ट्रपति होगा |
- अनुच्छेद 64 के अनुसार राष्ट्रपति को राज्यसभा के पदेन सभापति के रूप में मान्यता प्रदान की गई है यह अमेरिकी प्रथा का अनुसरण है |
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निर्वाचन प्रक्रिया
- अनुच्छेद 361 में उपराष्ट्रपति के निर्वाचन प्रक्रिया का वर्णन है इसके अनुसार उपराष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचक मंडल द्वारा होता है जिसमें संसद के दोनों सदनों के सभी सदस्य शामिल होते हैं अतः मनोनीत सदस्य भी उपराष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेते हैं |
- राष्ट्रपति के सामान उपराष्ट्रपति का निर्वाचन भी अप्रत्यक्ष तथा अनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के तहत एकल संक्रमणीय मत द्वारा होता है क्योंकि इसमें प्रांतों के विधान मंडलों में भाग लेने का प्रावधान नहीं है |
- अनुच्छेद 66 (1) के अनुसार उप राष्ट्रपति के निर्वाचक मंडल में सिर्फ राज्यसभा एवं लोकसभा के सदस्य भाग लेते हैं |
उपराष्ट्रपति पद के लिए योग्यताएं
- अनुच्छेद 66 (3) के अंतर्गत उपराष्ट्रपति का चुनाव लड़ने वाले व्यक्ति के लिए योग्यताएं निर्धारित की गई है जो निम्नवत है –
- वह भारत का नागरिक हो,
- वह 35 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुका हो,
- वह राज्यसभा का सदस्य बनने की योग्यता रखता हो,
- वह केंद्र सरकार अथवा राज्य सरकार या किसी स्थानीय प्राधिकरण या अन्य किसी सार्वजनिक प्राधिकरण के अंतर्गत किसी लाभ के पद पर न हो,
- वर्तमान राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति और किसी राज्य का राज्यपाल तथा संघ या राज्य का मंत्री किसी लाभ के पद पर नहीं माने जाते हैं अतः इसी कारण व उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के लिए योग्य होती हैं इसके साथ-साथ उपराष्ट्रपति के चुनाव के नामांकन के लिए उम्मीदवार के पास कम से कम 20 प्रस्तावक और अनुमोदक होनी चाहिए |
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पदावधि एवं पद रिक्तियों की स्थिति
- अनुच्छेद 377 के अनुसार उप राष्ट्रपति अपने पद ग्रहण की तारीख के 5 वर्ष की अवधि तक पद धारण करेगा परंतु उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति को संबोधित अपने हस्ताक्षर सहित लेख द्वारा अपना पद त्याग कर सकता है |
- (अनुच्छेद 68) उपराष्ट्रपति राज्यसभा द्वारा किए गए संकल्प द्वारा पद से हटाया जा सकेगा जिसे राज्यसभा के तत्कालीन समस्त सदस्यों के बहुमत ने पारित किया हो और जिससे लोकसभा सहमत है परंतु हटाने के संकल्प प्रस्तावित करने के 14 दिन पूर्व उपराष्ट्रपति को सूचित करना होगा |
- उप राष्ट्रपति अपने पद की अवधि समाप्त हो जाने पर भी तब तक पद धारण करता रहेगा जब तक कि उसका उत्तराधिकारी अपना पद ग्रहण नहीं कर लेता है |
- जब उपराष्ट्रपति कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है तब उसे महाभियोग लगाकर उसी विधि से हटाया जा सकेगा जिस विधि से संविधान में राष्ट्रपति को हटाए जाने की व्यवस्था है |
शपथ
- उप राष्ट्रपति को उसके पद की शपथ राष्ट्रपति अथवा उसके द्वारा नियुक्त किसी व्यक्ति द्वारा दिलाई जाती है राष्ट्रपति भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखने एवं अपने पद व कर्तव्य के पालन की शपथ लेता है |
- पराष्ट्रपति के वेतन व भत्ते भारत की संचित निधि से दिए जाते हैं |
उपराष्ट्रपति के कार्य एवं शक्तियां
- उपराष्ट्रपति के कार्य एवं शक्तियां निम्न प्रकार हैं
राज्यसभा अध्यक्ष के रूप में
- अनुछेद 64 के अनुसार उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति होता है और अन्य कोई लाभ का पद धारण नहीं करेगा परंतु जब राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है तब राज्यसभा के सभापति के रूप में कार्य नहीं करेगा |
- उपराष्ट्रपति राज्यसभा के अध्यक्ष के रूप में इसके अधिवेशनों की अध्यक्षता करता है राज्यसभा में अनुशासन रखना उसकी जिम्मेदारी है |
राष्ट्रपति के रूप में
- अनुच्छेद 65 उपराष्ट्रपति को राष्ट्रपति का कार्य सौपता है अनुच्छेद 65(1) राष्ट्रपति की मृत्यु, पदत्याग या पद से हटाए जाने या अन्य कारण से उसके पद में हुई रिक्त की दशा में उपराष्ट्रपति उस तारीख तक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करेगा |
- जब तक नवनिर्वाचित राष्ट्रपति अपना पद ग्रहण नहीं कर लेता है उपराष्ट्रपति अधिक से अधिक 6 माह तक राष्ट्रपति के पद पर कार्य कर सकता है क्योंकि संविधान के अनुसार नहीं राष्ट्रपति का चुनाव छह माह के अंदर हो जाना चाहिए |
- अनुच्छेद 65 (3) के अनुसार जब उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के रूप में कार्य करेगा तो वह राष्ट्रपति की सभी शक्तियों का प्रयोग करेगा उसे वेतन एवं भत्ते भी राष्ट्रपति वाले मिलेंगे |
- इसी प्रकार उपराष्ट्रपति जब राज्यसभा के सभापति के रूप में कार्य करता है तो उसे राज्यसभा के सभापति के रूप में वेतन व अन्य सुविधाएं प्राप्त होती है न कि उप राष्ट्रपति के रूप में |