संविधान की मांग
- महात्मा गांधी ने 1922 ईस्वी में असहयोग आंदोलन के दौरान मांग की कि भारत का राजनीतिक भाग्य स्वयं भारतीयों द्वारा तय होना चाहिए
- कानूनी आयोगों और गोलमेज सम्मेलनों की असफलता के कारण भारतीयों की आकांक्षाओं की पूर्ति करने के लिए गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1935 पारित किया गया
- कांग्रेस ने 1935 ईस्वी में मांग की कि भारत का संविधान बगैर किसी बाहरी हस्तक्षेप के बनना चाहिए
- 1938 ईस्वी में जवाहर लाल नेहरू ने 1939 ईस्वी में कांग्रेस कार्यसमिति ने भारतीयों की अपनी संविधान सभा की स्पष्ट रुप से मांग की
मंत्रिमंडल मिशन योजना (कैबिनेट मिशन प्लान 1946)
भारतीयों की मांग पर ब्रिटिश सरकार द्वारा 1942 ईस्वी में भेजे गए क्रिस्प मिशन को राष्ट्रवादियों द्वारा अस्वीकार कर दिए जाने के बाद ब्रिटिश सरकार ने 1946 ईस्वी में एक मंत्रिमंडल मिशन योजना प्रस्तुत की जिसमें जो प्रबंध किए गए थे वह निम्नवत है
- भारत एक संघ होगा जो ब्रिटिश भारत एवं देशी रियासतों से मिलकर बना होगा
- संघ की एक कार्यपालिका एवं एक विधानमंडल होगा जो प्रांतों एवं राज्यों के प्रतिनिधियों से मिलकर गठित होगा सभी दिनों की सहायता से शीघ्र ही एक अंतरिम सरकार का गठन किया जाएगा जिसमें सभी विभाग भारतीयों के हाथों में होंगे
अंतरिम सरकार
- मार्च 1946 ईस्वी में भारत आए कैबिनेट मिशन योजना के प्रावधानों के अनुसार 24 अगस्त 1946 ईस्वी को अंतरिम सरकार की घोषणा की गई 2 सितंबर 1946 को जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का अंतरिम सरकार का गठन किया गया
- वास्तव में वायसराय की कार्यकारिणी परिषद ही अंतरिम सरकार थी वायसराय इसका अध्यक्ष एवं जवाहरलाल नेहरू उपाध्यक्ष थे
- इस सरकार में नेहरू के अलावा सदस्यों की कुल संख्या 11 थी आरंभ में मुस्लिम लीग इस सरकार में शामिल नहीं हुई परंतु 26 अक्टूबर 1946 को पुनर्गठन के अवसर पर इसके 5 सदस्य सरकार में शामिल हुए
1946 का मंत्रिमंडल
- जवाहरलाल नेहरू को उपाध्यक्ष कार्यकारिणी परिषद विदेश मामले और राष्ट्रमंडल
- वल्लभ भाई पटेल को गृह सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय
- बलदेव सिंह रक्षा मंत्रालय
- जॉन मथाई उद्योग मंत्रालय
- सी राजगोपालाचारी शिक्षा मंत्रालय
- डॉक्टर एच जे भाभा खान एवं बंदरगाह मंत्रालय
- डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद खाद्य एवं कृषि मंत्रालय
- आसफ अली रेलवे मंत्रालय
- जगजीवन राम श्रम एवं कल्याण
वे सदस्य जो मुस्लिम लीग से बाद में शामिल हुए थे
- लियाकत अली खान वित्त मंत्रालय
- आई आई चंडीगढ़ वाणिज्य
- अब्दुल खान नस्तर संचार
- गजफ्फर अली स्वास्थ्य
- जोगेंद्र नाथ विधि
संविधान सभा
- संविधान का निर्माण किसी देश के संविधान का ढांचा तैयार करने के लिए नागरिकों द्वारा प्रतिनिधि निकाय को संविधान सभा कहा जाता है संविधान सभा का सिद्धांतिक प्रतिपादन सर्वप्रथम इंग्लैंड की समानता वादियो ने एवं हेनरी वेन ने किया था
- भारतीय संविधान के निर्माण के लिए कैबिनेट मिशन योजना के अनुरूप 389 निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा संविधान सभा का गठन होना था जिसमें से प्रत्येक 10 लाख की आबादी पर संविधान सभा के लिए एक सदस्य प्रांतीय विधान सभा के सदस्यों द्वारा चुना जाना था
- भारतीय प्रांतों के लिए नियत की गई 296 सीटों के निर्वाचन का कार्य जुलाई-अगस्त 1946 में पूरा कर लिया गया इसमें कांग्रेस ने 208 मुस्लिम लीग ने 73 निर्दलियों ने 8 तथा छोटी छोटी पार्टियों ने 7 स्थान पर विजय प्राप्त की
- संविधान सभा की कुल सदस्य संख्या 389 इसमें ब्रिटिश भारत से 296 तथा देशी रियासतों से 93 सदस्य थे
- प्रांतों के 296 सदस्यों में से स्थानों पर आवंटन इस प्रकार था सामान्य 213 मुस्लिम 79 एवं सिख 4 थे
- संविधान सभा की पहली बैठक नई दिल्ली स्थित संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में 9 दिसंबर 1946 को आयोजित हुई जिसका मुस्लिम लीग ने बहिष्कार किया था
- 3 जून 1947 की योजना के अनुरूप पाकिस्तान के लिए एक अलग संविधान सभा गठित की गई जिसमें संविधान सभा की सदस्यता घट गई एवं उसमें प्रांतों के 235 एवं देशी रजवाड़ों के 73 प्रतिनिधि रह गए अतः संविधान सभा में अब मात्र 308 सदस्य रह गए थे
- 26 नवंबर 1949 को 284 सदस्य उपस्थित थे जिन्होंने अंतिम रूप से पारित संविधान पर हस्ताक्षर किए
संविधान की समितियां
- प्रारूप समिति अध्यक्ष भीमराव अंबेडकर सदस्यों की संख्या 7
- प्रारूप समीक्षा समिति अध्यक्ष अल्लादी कृष्णास्वामी अय्यर सदस्यों की संख्या 9
- कच्चा प्रारूप समिति अध्यक्ष बेनेगल नरसिंह राव सदस्यों की संख्या 4
- संघ संविधान समिति अध्यक्ष जवाहरलाल नेहरू सदस्यों की संख्या 15
- प्रांतीय संविधान समिति अध्यक्ष बल्लभ भाई पटेल सदस्यों की संख्या 25
- कार्य संचालन समिति अध्यक्ष के एम मुंशी सदस्यों की संख्या 3
- मूल अधिकार एवं अल्पसंख्यक समिति अध्यक्ष बल्लभ भाई पटेल सदस्यों की संख्या 54
- संघ शक्ति समिति अध्यक्ष जवाहरलाल नेहरू सदस्यों की संख्या 9
- झंडा समिति अध्यक्ष जे बी कृपलानी
महत्वपूर्ण तथ्य
- पहली बैठक की अध्यक्षता प्रथम व अंतिम अस्थाई अध्यक्ष डॉक्टर सच्चिदानंद सिन्हा ने की
- डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद 11 दिसंबर 1946 ईसवीं को स्थाई रूप से संविधान सभा के अध्यक्ष चुन लिए गए
- जवाहर लाल नेहरू द्वारा 13 दिसंबर 1946 को संविधान सभा के सामने उद्देश्य का प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया
- संविधान सभा में उद्देश्य प्रस्ताव को 22 जनवरी 1947 ईस्वी को पारित कर दिया
- 29 अगस्त 1947 ईस्वी को एक प्रारूप समिति का गठन डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के नेतृत्व में किया गया
- जिसके अध्यक्ष डॉक्टर भीमराव अंबेडकर तथा इसके सदस्य सर गोपाल स्वामी आयंगर मोहम्मद सादुल्लाह कन्हैया लाल माणिक लाल मुंशी, ए के अय्यर, बी एल मित्तल डी पी खेतान थे
- भीमराव अंबेडकर की अध्यक्षता में भारतीय संविधान का प्रारूप तैयार हुआ इसलिए उन्हें भारतीय संविधान का जनक कहा गया
- भारतीय संविधान सभा का संवैधानिक सलाहकार बेनेगल नरसिंह राव को नियुक्त किया गया
- संविधान सभा में अनुसूचित जनजाति की सदस्य संख्या 23 एवं महिला सदस्यों की संख्या 9 थी
- संविधान के प्रारूप पर 114 दिनों तक चर्चा हुई
- फरवरी 1948 ईस्वी में संविधान का प्रारूप प्रकाशित किया गया 26 नवंबर 1949 को संविधान के प्रारूप पर अध्यक्ष ने हस्ताक्षर कर दिए एवं नागरिकता निर्वाचन तथा अंतरिम संसद तत्काल प्रभाव से लागू हो गए
- शेष संविधान 26 जनवरी 1950 को प्रकट हुआ इस दिन भारत में गणतंत्र दिवस मनाया जाता है भारतीय गणतंत्र के पहले राष्ट्रपति के उम्मीदवार के रूप में डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद का नाम जवाहर लाल नेहरू ने प्रस्तावित किया तथा सरदार पटेल ने समर्थन किया
- संविधान सभा की अंतिम बैठक 24 जनवरी 1950 को हुई संविधान के निर्माण में 2 वर्ष 11 महीने 18 दिनों का समय लगा
- भारतीय संविधान के निर्माण में लगभग ₹64 खर्च हुए
- एच बी आई आयंगर संविधान सभा के सचिव थे तथा वे राष्ट्रपति के निर्वाचन निर्वाचन अधिकारी भी थे
भारतीय संविधान की विशेषताएं
- मूल संविधान में 22 भाग, 395 अनुच्छेद, तथा 8 अनुसूचियां थी
- वर्तमान में भारतीय संविधान के 25 भाग, 465 अनुच्छेद ( उप अनुच्छेदों सहित) एवं 12 अनुसूचियां हैं भारतीय संविधान विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान है
- भारतीय संविधान की 12 अनुसूचियां निम्नवत हैं
- अनुसूची 1 – इसमें संघ एवं राज्य क्षेत्र आते हैं
- अनुसूची 2 – राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, लोकसभा अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष, महान्यायवादी, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश तथा विभिन्न राज्यों के राज्यपालों के वेतन एवं भत्ते का विवरण किस अनुसूची में उपबंधित है
- अनुसूची 3 – राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति मुख्य न्यायाधीश( सुप्रीम कोर्ट) महान्यायवादी, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक तथा राज्यों के राज्यपालों ओके शपथ एवं प्रतिज्ञान के उपबंध इस सूची में दिए गए हैं
- अनुसूची 4 – इस सूची में राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के लिए( जहां विधानसभा है) सीटों के आवंटन से संबंधित उपबंध दिए गए हैं
- अनुसूची 5 – इस सूची में अनुसूचित जाति /जनजाति के प्रशासन से संबंधित प्रावधान दिए गए हैं
- अनुसूची 6 – इस अनुसूची में त्रिपुरा, मेघालय, असम एवं मिजोरम के अनुसूचित जनजाति क्षेत्रों के प्रशासन से संबंधित उपबंध दिए गए हैं
- अनुसूची 7 – केंद्र-राज्य संबंध से संबंधित उपबंध इसमें दिए गए हैं
- अनुसूची 8 – इसमें संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त भाषाओं का विवरण एवं उससे संबंधित उपबंध दिए गए हैं
- अनुसूची 9 – इस अनुसूची का सर्जन 1951 में हुआ इसमें वैसे विषयों को शामिल किया गया है जो न्यायालय में वाद योग्य नहीं है
- अनुसूची 10 – 1985 ईस्वी में 52 वें संविधान संशोधन द्वारा इस अनुसूची को भारतीय संविधान में शामिल किया गया इसमें दल बदल से संबंधित प्रावधान सम्मिलित हैं
- अनुसूची 11 – इस अनुसूची के तहत’ 73वां संविधान संशोधन अधिनियम 1993’ पारित कर जोड़ा गया जिसमें पंचायती राज से संबंधित विवरण दिए गए हैं
- अनुसूची 12 -1993 ईस्वी में ‘74 वे संविधान संशोधन अधिनियम’ को पारित कर यह अनुसूची भारतीय संविधान में शामिल की गई इसके अंतर्गत नगरीय स्थानीय स्वशासन से संबंधित विवरण दिए गए हैं
संशोधन प्रक्रिया
संशोधन प्रक्रिया भारतीय संविधान को जीवित आलेख कहा गया है समाज की बदलती आवश्यकताओं के अनुरूप संविधान को ढालने के उद्देश्य से इसमें तीन प्रकार के संशोधन बताए गए हैं
- संशोधन प्रक्रिया 1 – इसके तहत संसद के दोनों सदनों की उपस्थिति एवं मतदान करने वाले सदस्यों के साधारण बहुमत से पारित किए हुए प्रस्ताव पर राष्ट्रपति का हस्ताक्षर हो जाने के बाद संशोधन हो जाता है
- संशोधन प्रक्रिया 2 – इस प्रक्रिया के अनुसार संशोधन का प्रस्ताव संसद के दोनों सदनों में उपस्थित तथा मतदान करने वाले सदस्यों के 2 / 3 बहुमत से पारित होना चाहिए
- संशोधन प्रक्रिया 3 – इसमें संसद के दोनों सदनों में 2 / 3 बहुमत के साथ साथ कुल प्रांतों की कम से कम 50% विधायिकाओं का समर्थन मिलना आवश्यक है
अन्य विशेषतायें
- समाजवादी धर्मनिरपेक्ष राज्य – 42वें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा भारतीय संविधान को समाजवादी एवं धर्मनिरपेक्ष राज्य घोषित किया गया है
- सार्वभौम वयस्क मताधिकार द्वारा यहां के नागरिकों को राजनीतिक समता प्रदान की गई है
- संघात्मक विशेषताएं – संघात्मक सरकार में दो स्तर होते हैं संघ सरकार तथा राज्यों की सरकार है भारत में यह स्वरूप विद्यमान है
- संसदीय प्रणाली भारत में शासन की संसदीय प्रणाली अपनाई गई है इसके तहत जनता का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था संसद सर्वशक्तिमान होती है
- भारतीय संविधान में कल्याणकारी राज्य की परिकल्पना प्रस्तुत की गई है यह परिकल्पना प्रजातंत्र के विषय में अब्राहम लिंकन के सिद्धांत से मेल खाती है उन्होंने कहा था प्रजातंत्र जनता का जनता के लिए जनता द्वारा किया गया शासन है
- भारतीय संविधान में वर्णित राजनीति के निर्देशक तत्व का उद्देश्य भारत को एक कल्याणकारी राज्य बनाना है
प्रस्तावना
“हम भारत के लोग भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य बनाने के लिए उसके समस्त नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक न्याय, विचार अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता; प्रतिष्ठा के अवसर की समता, प्राप्त करने के लिए तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा एवं राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने वाला बंधुत्व बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज दिनांक 26 नवंबर 1949 ईस्वी को एदत्त द्वारा को इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्म समर्पित करते हैं”
- प्रभुत्व संपन्न का अर्थ है भारतीय सीमा के अंदर भारत सरकार सर्वशक्तिमान है
- धर्मनिरपेक्षता का अर्थ है राज्य अपनी ओर से किसी धर्म को प्रोत्साहित यह तो हतोत्साहित नहीं करेगा
- लोकतांत्रिक का अर्थ होता है जनता के प्रतिनिधियों का शासन
- केशवानंद भारतीय बनाम केरल राज्य के मामले के उपरांत 42 वें संविधान संशोधन के तहत समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष एवं अखंडता जैसे शब्द जोड़े गए
भारतीय संविधान के स्त्रोत
भारतीय संविधान के निर्माण में 60 देशों का संविधान का अध्ययन किया गया परंतु 10 देशों के संविधान से ही कुछ खास तथ्य को अपनाया गया इसके अलावा भारतीय संविधान के मुख्य स्त्रोतों में गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1935 भी अत्यंत महत्वपूर्ण है
- अमेरिकी संविधान– प्रस्तावना, मूल अधिकार, सर्वोच्च न्यायालय, न्यायायिक पुनरावलोकन, राष्ट्रपति के अधिकार एवं कार्य, उपराष्ट्रपति की स्थिति तथा संशोधन प्रणाली|
- ऑस्ट्रेलियाई संविधान – प्रस्तावना की भाषा, समवर्ती सूची एवं केंद्र राज्य संबंध |
- ब्रिटिश संविधान- संसदीय शासन प्रणाली, विधि निर्माण प्रक्रिया एवं एकल नागरिकता
- दक्षिण अफ्रीका के संविधान – संशोधन प्रणाली
- कनाडा का संविधान – संघीय व्यवस्था, केंद्रीय सरकार के अधीन अवशिष्ट शक्तियां, राज्यपाल का पद
जर्मनी का वाइमार – राष्ट्रपति के संकटकालीन अधिकार
- जापानी संविधान – कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया तथा शब्दावली
- रूसी – संविधान – मौलिक कर्तव्य
- फ्रांसीसी संविधान – गणतंत्र
- आयरलैंड का संविधान – राज्य के नीति निदेशक तत्व, राष्ट्रपति के निर्वाचक मंडल, राज्यसभा में 12 सदस्यों का मनोनयन
- गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1935 – इस अधिनियम के लगभग 200 अनुक्षेद प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से भारतीय संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों से मिलते जुलते है |