05 नवंबर, 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा उज्ज्वल डिस्कॉम एश्योरेंस योजना (Ujwal DISCOM Assurance Yojana) या उदय को स्वीकृति प्रदान की गयी। उदय योजना का लक्ष्य बिजली वितरण कंपनियों का वितीय सुधार एवं उनका पुनरुद्धार करना है। साथ ही, बिजली वितरण कंपनियों की समस्याओं का स्थाई समाधान सुनिश्चित करना है। गौरतलब है कि इस योजना से सभी लोगों को 24 घंटे किफायती एवं सुविधाजनक बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।
बिजली वितरण कंपनियों का बकाया कर्ज 2011-12 के लगभग 2.4 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2014-15 में 4.3 लाख करोड़ रुपये हो गया।
उदय योजना के तहत बिजली वितरण कंपनियों को आगामी दो-तीन वर्षों में उबारने हेतु निम्नलिखित चार पहलें अपनायी जाएंगी।
- बिजली वितरण कंपनियों की परिचालन क्षमता में सुधार।
- बिजली की लागत में कमी।
- वितरण कंपनियों की ब्याज लागत में कमी।
- राज्य वित्त के साथ समन्वय के माध्यम से वितरण कंपनियों पर वित्तीय अनुशासन लागू करना।
उदय योजना की मुख्य विशेषताएं Salient Features of UDAY
- 30 सितंबर, 2015 की स्थिति के अनुसार वितरण कंपनियों का 75% ऋण राज्यों द्वारा दो वर्षों में अधिग्रहीत किया जाएगा।
- यह अधिग्रहण वर्ष 2015-16 में 50% और 2016-17 में 25% होगा।
- भारत सरकार द्वारा 2015-16 और 2016-17 वित्तीय वर्ष में संबंधित राज्यों की राजकोषीय घाटे की गणना में उदय योजना के तहत राज्यों द्वारा अधिग्रहीत ऋण शामिल नहीं किया जाएगा।
- राज्यों द्वारा उचित सीमा तक वितरण कंपनियों को ऋण प्रदान करने वाले बैंकों/वित्तीय संस्थाओं हेतु एसडीएल बांडों समेत गैर-एसएलआर जारी किया जाएगा।
- गौरतलब है कि वितरण कंपनियों के जिन ऋणों का अधिग्रहण राज्य द्वारा नहीं किया जाएगा, उन्हें वित्तीय संस्थान/बैंक द्वारा ऋण अथवा बांड में परिवर्तित कर दिया जाएगा।
- बैंक /वित्तीय संस्थान इस ऋण/बांड पर अपने आधार दर के साथ 0.1% (BASE RATE PLUS 01%) से अधिक ब्याज दर नहीं लगाया जाएगा।
- वैकल्पिक रूप से उपर्युक्त ऋण वितरण कंपनियों द्वारा बाजार में प्रचलित दरों पर ‘स्टेट गारंटीड डिस्कॉम बांड्स के रूप में पूर्ण या आंशिक रूप से जारी किए जा सकते हैं।
- ये बाजार प्रचलित दरें बैंक आधार दर के साथ 01% (Bank Base Rate Plus 01%) के बराबर या कम होंगी।
- उल्लेखनीय है कि राज्यों द्वारा वितरण कंपनियों को भविष्य में होने वाली हानि का श्रेणीबद्ध ढंग से अधिग्रहण किया जाएगा।
- यह अधिग्रहण इस प्रकार होगा-वर्ष 2017-18 में 2016-17 की हानि का 5%, 2018-19 में 2017-18 की हानि का 10% और 2019-20 में 2018-19 की हानि का 25%।
- केंद्रीय विद्युत मंत्रालय से विचार विमर्श के बाद निश्चित अवधि के भीतर राज्य वितरण कंपनियां 1 अप्रैल, 2012 के बाद से बकाया ‘नवीकरणीय खरीद बाध्य’ (RPO) का अनुपालन करेंगी।
- गौरतलब है कि उदय योजना को स्वीकार करने वाले और परिचालन लक्ष्यों के अनुरूप प्रदर्शन करने वाले राज्यों को विविध योजनाओं के माध्यम से अतिरिक्त/प्राथमिक वित्तीयन प्रदान किया जाएगा।
- इन योजनाओं में शामिल हैं-दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (DDUGJY), समेकित बिजली विकास योजना (IPDS), विद्युत क्षेत्र विकास कोष (PSDF) अथवा विद्युत मंत्रालय और नवीन एवं अक्षय ऊर्जा मंत्रालय की इसी तरह की अन्य योजनाएं।
- ऐसे राज्यों को अधिसूचित कीमतों पर कोयला आपूर्ति और उच्च क्षमता उपयोग के माध्यम से उपलब्धता के संबंध में एनटीपीसी और अन्य केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों से कम लागत की बिजली द्वारा सहयोग किया जाएगा।
- ज्ञातव्य है कि उदय योजना सभी राज्यों के लिए वैकल्पिक हैं।