राष्ट्रीय आय
राष्ट्रीय आयः(national income )
राष्ट्रीय आय किसी देश की ओर से एक साल में उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं की कीमत (प्राप्ती) होती है। जितनी ज्यादा राष्ट्रीय आय होगी उसी अनुसार किसी भी अर्थव्यवस्था या देश का विकास आगे बढ़ता है। राष्ट्रीय आय के आंकड़ों से यह जाना जा सकता है कि किसी देश का विकास कितनी तेजी बढ़ रहा है।
राष्ट्रीय आय की माप का अनुमान 1868 में दादाभाई नौरोजी में प्रकाशित किया। इन्होंने अपनी पुस्तक ‘The poverty and Un- British Rule in India’ में भारत की राष्ट्रीय आय 340 करोड रुपए और प्रति व्यक्ति आय ₹20 बताया था।
स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात केंद्रीय सरकार ने 4 अगस्त 1949 ईस्वी में एक राष्ट्रीय आय समिति की नियुक्ति की और इसके अध्यक्ष प्रोफेसर पी सी महालनोविस को नियुक्त किया। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद 1949 में गठित राष्ट्रीय आय समिति ने प्रति व्यक्ति आय 246.9 रूपय का अनुमान लगाया।
केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) से सम्बंधित मुख्य तथ्य केन्द्रीय सांख्यिकीय संगठन (सीएसओ) भारत में सांख्यिकीय गतिविधियों के समन्वय एवं सांख्यिकीय मानकों के विकास एवं अनुरक्षण हेतु उत्तरदायी केन्द्रीय सरकार का एक संगठन है. इसकी स्थापना 2 मई 1951 को हुई थी. सीएसओ का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है. यह संगठन सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन है.
राष्ट्रीय आय की माप : राष्ट्रीय आय की माप की तीन विधियां है –
(i) आय गणना विधि : आय गणना विधि के अंतर्गत कुल लगान कुल मजदूरी आदि को सम्मिलित करते हैं यानी विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत व्यक्तियों के वेतन आदि के रूप में प्राप्त आय को सम्मिलित करते हैं।
(ii) उत्पादन गणना विधि : उत्पादन गणना विधि को वस्तु सेवा विधि भी कहते हैं। इस विधि के द्वारा एक वर्ष में उत्पादित अंतिम वस्तुओं तथा सेवाओं के कुल मूल्य को सम्मिलित करते हैं। इस विधि के अंतर्गत उत्पादन, खनन, मत्स्य उद्योग, कृषि, पशुपालन और वानिकी को सम्मिलित करते हैं। यानी इसके अंतर्गत वित्तीय क्षेत्र को सम्मिलित करते हैं।
(iii) व्यय गणना विधि : इस विधि को उपभोग बचत विधि भी कहा जाता है इस विधि में कुल उपभोग और कुल बचत को सम्मिलित करते हैं।
राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं –
सकल घरेलू उत्पाद (Gross domestic product -G.D.P.)
किसी देश की घरेलू सीमा के अंदर एक वर्ष में उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं के मौद्रिक मूल्य को सकल घरेलू उत्पादन कहते है
शुद्ध घरेलू उत्पाद (Net Domestic Product N.D.P.)
सकल घरेलू उत्पाद में से जब उत्पादन में प्रयुक्त मशीनों और पूंजी की घिसावट को घटा दिया जाये तो शुद्ध घरेलू उत्पाद प्राप्त होता है
शुध्द घरेलू उत्पाद (N.D.P.) = सकल घरेलू उत्पाद (G.D.P.)-मूल्य ह्रास
सकल राष्ट्रीय उत्पाद (Gross National Product – N.D.P.)
किसी देश के द्वारा एक वर्ष में उत्पादित समस्त वस्तुओं और सेवाओं के मौद्रिक मूल्य को सकल राष्ट्रीय उत्पाद कहते है इसमें विदेशों से प्राप्त आय सम्मिलित होती है
सकल राष्ट्रीय उत्पाद (G.N.P.) = सकल घरेलू उत्पाद (G.D.P.) + विदेशों से अर्जित विशुध्द आय
शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (Net National Product – N.N.P.)
सकल राष्ट्रीय उत्पाद से जब उत्पादन में प्रयुक्त मशीनों एवं पूँजी की घिसावट को घटा दिया जाता है तो शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद प्राप्त होता है
शुध्द राष्ट्रीय उत्पाद (N.N.P.) = सकल राष्ट्रीय उत्पाद (G.N.P.) – मूल्य ह्रास
राष्ट्रीय आय (National Income – N.I.)
साधन लागत पर शुध्द राष्ट्रीय उत्पाद को राष्ट्रीय आय कहते है प्रचलित कीमतों पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद में से अप्रत्यक्ष कर को घटा दिया जाये और उत्पादन को जोड दिया जाये तो राष्ट्रीय आय प्राप्त होती है
राष्ट्रीय आय (N.I.) = प्रचिलित कीमतों पर शुध्द राष्ट्रीय आय – अप्रत्यक्ष कर + उपादान
वास्तविक राष्ट्रीय आय (Real National Income – R.N.I.)
किसी भी देश की मुद्रा की क्रय शक्ति में निरंतर परिवर्तन होता रहता है इसलिए वास्तविक राष्ट्र्रीय आय की जानकारी के लिए किसी आधार वर्ष के सापेक्ष शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद की गणना की जाती है
प्रति व्यक्ति आय (Per Capita Income – P.C.I.)
जब कुल राष्ट्रीय आय में से कुल जनसंख्या का भाग देते है तो प्रति व्यक्ति आय प्राप्त होती है, प्रति व्यक्ति आय दो तरह से प्राप्त की जा सकती है
(1) प्रचलित कीमतों पर प्रति व्यक्ति आय- प्रचलित कीमतों पर राष्ट्रीय आय /वर्तमान जनसंख्या
(2) स्थिर कीमतों पर प्रति व्यक्ति आय स्थिर कीमतों पर राष्ट्रीय आय / वर्तमान जनसंख्या
वैयक्तिक आय (Personal income)
एक वर्ष में राष्ट्र के निवासियों को प्राप्त होने वाली वास्तविक आय वैयक्तिक आय कहलाती है
वैयक्तिक आय = राष्ट्रीय आय + अंतरण भुगतान – निगम कर – अवतरित लाभ -सामाजिक सुरक्षा अनुदान
व्यय योग्य आय (Disposable income)
प्रत्येक व्यक्ति एक वर्श में प्राप्त आय को पूर्णत: व्यय नहीं कर पाता बल्कि सरकार द्वारा प्रत्यक्ष कर के रुप में कुछ राशि ले ली जाती है शेष बची राशि को व्यय योग्य राशि कहते है
व्यय योग्य आय = वैयक्तिक आय – प्रत्यक्ष कर
राष्ट्रीय आय के अग्रिम अनुमान
केंद्रीय सांख्यिकी संगठन ने वित्तीय वर्ष 2015-16 के लिए राष्ट्रीय आय के अग्रिम अनुमान 8 फरवरी, 2016 को जारी किए। ध्यातव्य है कि राष्ट्रीय लेखों को मापने के लिए नए आधार वर्ष 2011-12 को 30 जनवरी, 2015 से शुरू किया गया है। इससे पूर्व राष्ट्रीय आय मापने के लिए आधार वर्ष 2004-05 था।