पृथ्वी की गतियाँ
पृथ्वी की दो गतियां हैं: घूर्णन और परिक्रमण
घूर्णन: पृथ्वी का अपने अक्ष पर घूमने की प्रक्रिया को घूर्णन कहते हैं।
परिक्रमण: सूर्य के चारों ओर एक स्थिर कक्षा में पृथ्वी की गति को परिक्रमण कहते हैं।
घूर्णन (Rotation) को दैनिक गति भी कहते हैं जबकि परिक्रमण (Revolution) को वार्षिक गति कहते हैं.
पृथ्वी अपने अक्ष पर पश्चिम से पूरब की ओर घूमती रहती है जिसे पृथ्वी की दैनिक गति कहते हैं.
एक घूर्णन पूरा करने में पृथ्वी 23 घंटे, 56 मिनट और 4.09 सेकेंड का समय लेती है.
पृथ्वी की दैनिक गति की वजह से ही दिन और रात होते हैं.
पृथ्वी अपने अक्ष पर घूमने के साथ-साथ सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करती है जिसे वार्षिक गति कहते हैं.
पृथ्वी सूर्य की एक परिक्रमा 365 दिन 6 घंटे 48 मिनट और 45.51 सेकेंड में पूरा करती है.
पृथ्वी की वार्षिक गति की वजह से मौसम बदलते हैं.
पृथ्वी की धुरी उसकी कक्षा से 66 .5 डिग्री तक झुकी होती है.
पृथ्वी की झुकी हुई धुरी और परिक्रमा की गति की वजह से बसंत, गर्मी, ठंड और बरसात की ऋतुएं आती हैं.
उत्तर अयनांत | दक्षिण अयनांत |
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यह 21 जून को होता है। | यह 22 दिसम्बर को होता है। |
उत्तरी गोलार्ध में इस समय दिन लंबी और रातें छोटी होती है। | इस समय दक्षिणी गोलार्ध में दिन लम्बी और रातें छोटी होती है। |
दक्षिणी गोलार्ध में इस समय जाड़े का मौसम होता है। | उत्तरी गोलार्ध में जाड़े का मौसम होता है। |
उत्तरी गोलार्ध में गर्मी का मौसम होता है। | दक्षिणी गोलार्ध में गर्मी का मौसम होता है। |
जब पृथ्वी सूर्य के बिल्कुल पास होती है तो उसे उपसौर (Perihelion) कहते हैं.
उपसौर की स्थिति 3 जनवरी को होती है. इस दिन पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी 14.70 करोड़ किमीटर होती है.
जब पृथ्वी सूर्य से अधिकतम दूरी पर होती है तो यह अपसौर (Aphelion) कहलाता है.
अपसौर की स्थिति 4 जुलाई को होती है. ऐसी स्थिति में पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी 15.21 करोड़ किमीटर होती है.
उपसौर और अपसौर को मिलाने वाली रेखा सूर्य के केंद्र से गुजरती है. इसे एपसाइड रेखा कहते हैं.
4 वर्षों में प्रत्येक वर्ष के बचे हुए 6 घंटे मिलकर एक दिन यानी 24 घंटे के बराबर हो जाते हैं| इसके अतिरिक्त दिन को फरवरी के महीने में जोड़ा जाता है इस प्रकार प्रत्येक चौथे वर्ष फरवरी माह 28 के बदले 29 दिन का होता है|
पृथ्वी दीर्घवृत्ताकार पथ पर सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है |
ऋतुओ में परिवर्तन सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की स्थिति में परिवर्तन के कारण होता है|
21 जून को उत्तरी गोलार्ध सूर्य की तरफ झुका हुआ रहता है, सूर्य की किरणें कर्क रेखा पर सीधी पड़ती है इसके परिणाम स्वरुप इन क्षेत्रों में ऊष्मा अधिक प्राप्त होती है | ध्रुवों के पास वाले क्षेत्रों में कम ऊष्मा प्राप्त होती है क्योंकि वहां सूर्य की किरणें तिरछी पड़ती है उत्तर ध्रुव सूर्य की तरफ झुका हुआ होता है तथा उत्तरी ध्रुव रेखा के बाद वाले भागों पर लगभग 6 महीने तक लगातार दिन रहता है| उत्तरी गोलार्ध के बहुत बड़े भाग में सूर्य की रोशनी प्राप्त होती है इसलिए विषुवत वृत्त के उत्तरी भाग में गर्मी का मौसम होता है| 21 जून को इन क्षेत्रों में सबसे लंबा दिन तथा सबसे लंबी रात होती है पृथ्वी की इस अवस्था को उत्तर अयनांत कहते हैं |
22 दिसंबर को दक्षिण ध्रुव के सूर्य की ओर झुके होने के कारण मकर रेखा पर सूर्य की किरणें सीधी पड़ती है| क्योंकि सूर्य की किरणें मकर रेखा पर लंबवत पड़ती है इसलिए दक्षिणी गोलार्ध के बहुत बड़े भाग में प्रकाश प्राप्त होता है| इसलिए दक्षिणी गोलार्ध में लंबे दिन तथा छोटी रातें वाली ग्रीष्म ऋतु होती है| इसके ठीक विपरीत स्थिति उत्तरी गोलार्ध में होती है| पृथ्वी की इस अवस्था को दक्षिण अयनांत कहा जाता है|
21 मार्च एवं 23 सितंबर को सूर्य की किरणें विषुवत वृत्त पर सीधी पड़ती है | इस अवस्था में कोई भी ध्रुव सूर्य की ओर नहीं झुका हुआ होता है इसलिए पूरी पृथ्वी पर दिन एवं रात बराबर होते हैं इसे विषुव कहा जाता है|
23 सितंबर को उत्तरी गोलार्ध में शरद ऋतु होती है जबकि दक्षिणी गोलार्ध में वसंत ऋतु होती है| 21 मार्च को स्थिति इसके विपरीत होती है जब उत्तरी गोलार्ध में वसंत ऋतु तथा दक्षिणी गोलार्ध में शरद ऋतु होती है|