पंचायत (विस्तारित क्षेत्रों तक लागू) अधिनियम, 1996 (PESA)
PESA का पूरा नाम पंचायत (विस्तारित क्षेत्रों तक लागू) अधिनियम, 1996 है। यह भारत सरकार का एक अधिनियम है जिसे अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायती राज प्रणाली को मजबूत करने के लिए बनाया गया था।
PESA अधिनियम के मुख्य उद्देश्य:
- आदिवासी समुदायों को स्वशासन का अधिकार देना: PESA अधिनियम ग्राम सभाओं को जंगलों, खनिजों और अन्य प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन सहित कई महत्वपूर्ण मामलों में निर्णय लेने का अधिकार देता है।
- पारंपरिक प्रथाओं और संस्कृति का संरक्षण: PESA अधिनियम ग्राम सभाओं को अपनी परंपराओं और रीति-रिवाजों को बनाए रखने और उनका पालन करने का अधिकार देता है।
- सामाजिक न्याय और समानता को बढ़ावा देना: PESA अधिनियम महिलाओं और वंचित समुदायों के प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित करने के लिए प्रावधान करता है।
- विकास और समृद्धि को बढ़ावा देना: PESA अधिनियम ग्राम सभाओं को योजना बनाने और अपने क्षेत्रों में विकास कार्यक्रमों को लागू करने का अधिकार देता है।
PESA अधिनियम के प्रमुख प्रावधान:
- ग्राम सभाओं को शक्तियां प्रदान करना: PESA अधिनियम ग्राम सभाओं को जंगल, खनिज, भूमि और अन्य प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन, विकास योजनाओं को मंजूरी देने, विवादों को सुलझाने और सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने सहित कई शक्तियां प्रदान करता है।
- अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायतों की स्थापना: PESA अधिनियम सभी अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायतों की स्थापना का मंडन करता है।
- महिलाओं और वंचित समुदायों का प्रतिनिधित्व: PESA अधिनियम ग्राम पंचायतों और पंचायत समितियों में महिलाओं और वंचित समुदायों के लिए पर्याप्त प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करता है।
- पारंपरिक प्रथाओं और संस्कृति का संरक्षण: PESA अधिनियम ग्राम सभाओं को अपनी परंपराओं और रीति-रिवाजों को बनाए रखने और उनका पालन करने का अधिकार देता है।
- सामाजिक न्याय और समानता: PESA अधिनियम सभी नागरिकों के लिए सामाजिक न्याय और समानता सुनिश्चित करने के लिए प्रावधान करता है।
PESA अधिनियम का महत्व:
PESA अधिनियम भारत में अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी समुदायों के लिए एक महत्वपूर्ण अधिनियम है। यह उन्हें स्वशासन, सामाजिक न्याय और विकास के अधिकार प्रदान करता है। PESA अधिनियम ने आदिवासी समुदायों को सशक्त बनाने और उनके जीवन स्तर को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
PESA अधिनियम के बारे में अधिक जानकारी:
- PESA अधिनियम, 1996: https://www.mha.gov.in/sites/default/files/PESAAct1996_0.pdf
- PESA FAQs: https://www.mha.gov.in/sites/default/files/PESAAct1996_0.pdf
- PESA Guidelines: https://www.mha.gov.in/sites/default/files/PESAAct1996_0.pdf
पेसा अधिनियम (पंचायत (विस्तारित क्षेत्रों तक) अधिनियम, 1996) ने भारत में वन संरक्षण को कई महत्वपूर्ण तरीकों से बढ़ावा दिया है, जो केवल ग्राम सभाओं को सशक्त बनाने से कहीं आगे निकल जाता है। आइए देखें कैसे:
- जंगल पर निर्भरता, संरक्षण को प्रोत्साहित करती है: पेसा अधिनियम को लागू करने वाले क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी समुदायों का जंगल पर गहरा निर्भरता है। जंगल उनके भोजन, आश्रय, दवा और आय का स्रोत प्रदान करते हैं। पेसा अधिनियम उन्हें जंगल के प्रबंधन का अधिकार देकर, उनकी आजीविका के स्रोत की रक्षा करने के लिए प्रोत्साहित करता है। जंगल के विनाश से उनकी अपनी आजीविका खतरे में पड़ जाती है, इसलिए उनका वन संरक्षण में सीधा दांव होता है।
- पारंपरिक ज्ञान का उपयोग: आदिवासी समुदायों के पास जंगल को टिकाऊ तरीके से प्रबंधित करने का सदियों पुराना ज्ञान है। वे जानते हैं कि कौन से पौधे लगाने चाहिए, कब कटाई करनी चाहिए और जंगल के संतुलन को कैसे बनाए रखना चाहिए। पेसा अधिनियम उन्हें इस ज्ञान को संरक्षण प्रयासों में शामिल करने का अवसर देता है। वन विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर, वे जंगल के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए बेहतर रणनीति तैयार कर सकते हैं।
- संसाधनों का समुदाय नियंत्रण: पेसा अधिनियम के तहत, वन से प्राप्त संसाधनों का उपयोग ग्राम सभा द्वारा तय किया जाता है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि जंगल का उपयोग समुदाय के लाभ के लिए किया जाता है, न कि बाहरी लोगों के निजी फायदे के लिए। ग्राम सभा यह तय कर सकती है कि जंगल से कितनी लकड़ी काटनी है, कौन से पौधे लगाने हैं और जंगल के कुछ हिस्सों को संरक्षित क्षेत्रों के रूप में अलग रखना है। इससे जंगल के दोहन को रोका जा सकता है और इसका दीर्घकालिक उपयोग सुनिश्चित होता है।
- जवाबदेही बढ़ाना और पारदर्शिता लाना: पेसा अधिनियम वन संरक्षण को पारदर्शी प्रक्रिया बनाता है। ग्राम सभाओं को जंगल के प्रबंधन से जुड़े सभी फैसलों में शामिल होना होता है। इससे जंगल से जुड़े भ्रष्टाचार की संभावना कम हो जाती है। साथ ही, ग्राम सभाएं जंगल के स्वास्थ्य के लिए जवाबदेह हो जाती हैं। यदि जंगल का क्षरण होता है, तो समुदाय सीधे प्रभावित होगा। यह जंगल के संरक्षण के लिए जवाबदेही की एक मजबूत श्रृंखला बनाता है।
कुल मिलाकर, पेसा अधिनियम ने आदिवासी समुदायों को सशक्त बनाकर और उन्हें वन प्रबंधन में शामिल करके वन संरक्षण में एक क्रांतिकारी भूमिका निभाई है। यह जंगल के पारंपरिक ज्ञान को संरक्षण प्रयासों में लाता है, संसाधनों के समुदाय नियंत्रण को बढ़ावा देता है और जवाबदेही एवं पारदर्शिता सुनिश्चित करता है।