UPSC NOTES भारत के बहुलवादी समाज के संदर्भ में अशोक के धम्म की समकालीन प्रासंगिकता पर चर्चा कीजिये।

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UPSC NOTES भारत के बहुलवादी समाज के संदर्भ में अशोक के धम्म की समकालीन प्रासंगिकता:

भारत का समाज प्राचीन काल से ही बहुलवादी और विविधतापूर्ण रहा है। विभिन्न धर्म, जाति, संस्कृति और भाषाएँ यहाँ के समाज का अभिन्न हिस्सा रही हैं। अशोक के धम्म (धर्म) का संदेश और उसके सिद्धांत इस बहुलता के संदर्भ में अत्यधिक प्रासंगिक रहे हैं और आज भी उनकी प्रासंगिकता बनी हुई है।

1. अशोक का धम्म और सामूहिक सद्भाव:

अशोक ने अपने साम्राज्य में सभी धर्मों और आस्थाओं के प्रति सम्मान की भावना को बढ़ावा दिया। उनका धम्म केवल एक धार्मिक पंथ का अनुसरण नहीं था, बल्कि यह सभी जीवन मूल्यों और सामाजिक कर्तव्यों का पालन करने के लिए था। उन्होंने अपने शिलालेखों में यह स्पष्ट किया कि प्रत्येक व्यक्ति को दूसरों के विश्वास और आस्थाओं का आदर करना चाहिए।

आज के बहुलवादी भारत में जहाँ विभिन्न धर्मों, जातियों, और भाषाओं के लोग रहते हैं, अशोक का यह संदेश सामूहिक सद्भाव और सामाजिक शांति की दिशा में महत्वपूर्ण है। यह सद्भावना और सहिष्णुता की भावना को बढ़ावा देता है, जो किसी भी समाज में सामाजिक असंतुलन को रोकने के लिए आवश्यक है।

2. अशोक का धम्म और अहिंसा:

अशोक का धम्म मुख्यतः अहिंसा पर आधारित था। युद्धों में विजय प्राप्त करने के बाद, उन्होंने हिंसा को छोड़कर अहिंसा की नीति अपनाई और उसे अपने शासन में लागू किया। उन्होंने जानवरों की हत्या पर प्रतिबंध लगाया और समाज में शांति का माहौल बनाए रखने की कोशिश की।

आज के भारत में जहाँ कई बार धार्मिक, जातिगत, और राजनीतिक हिंसा देखने को मिलती है, अशोक के धम्म की अहिंसा की शिक्षा प्रासंगिक है। यह हमें यह सिखाती है कि केवल शारीरिक हिंसा ही नहीं, बल्कि मानसिक और भाषाई हिंसा भी समाज में शांति को भंग करती है। अहिंसा का पालन करके हम सभी समुदायों के बीच बेहतर संबंध स्थापित कर सकते हैं।

3. अशोक का धम्म और सामाजिक न्याय:

अशोक ने अपने शिलालेखों में प्रजा के कल्याण के लिए कई उपायों का उल्लेख किया। उन्होंने जातिवाद और असमानता को समाप्त करने की कोशिश की और समर्पण, करुणा, और दया जैसे गुणों को बढ़ावा दिया।

आज के समाज में जब सामाजिक असमानताएँ और जातिवाद की समस्याएँ प्रबल हैं, अशोक का धम्म हमें यह याद दिलाता है कि सभी लोगों को समान अधिकार और अवसर मिलना चाहिए। उनके धम्म का सामाजिक न्याय और समानता का संदेश हमारे समाज के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है।

4. अशोक का धम्म और धार्मिक सहिष्णुता:

अशोक ने विभिन्न धर्मों और आस्थाओं का सम्मान किया और सभी धर्मों को समान महत्व दिया। उन्होंने बौद्ध धर्म को राज्य धर्म के रूप में अपनाया, लेकिन उन्होंने अन्य धार्मिक परंपराओं का भी सम्मान किया।

भारत आज भी धार्मिक विविधता का देश है, और अशोक का यह दृष्टिकोण आज के भारत में विशेष रूप से प्रासंगिक है। अशोक का धर्म और उसकी धार्मिक सहिष्णुता का संदेश यह सिखाता है कि विभिन्न धर्मों के अनुयायी एक-दूसरे का सम्मान करें और आपसी सहयोग से समाज में शांति बनाए रखें।

5. अशोक का धम्म और पर्यावरणीय जागरूकता:

अशोक ने अपने शासन के दौरान पर्यावरण की रक्षा और वन्य जीवों की सुरक्षा पर भी जोर दिया। उन्होंने पर्यावरण को नुकसान पहुँचाने वाली गतिविधियों पर रोक लगाई और जीवन के सभी रूपों के प्रति सम्मान दिखाया।

आज के समय में जब पर्यावरण संकट, जलवायु परिवर्तन, और प्राकृतिक संसाधनों का दोहन बढ़ रहा है, अशोक का यह संदेश प्रासंगिक हो जाता है। उनका धम्म यह सिखाता है कि हमें अपनी प्राकृतिक धरोहर की रक्षा करनी चाहिए और समाज के समग्र कल्याण के लिए इसका सतत उपयोग करना चाहिए।

निष्कर्ष:

अशोक के धम्म का संदेश आज के बहुलवादी समाज में अत्यधिक प्रासंगिक है। उनके सिद्धांतों में समरसता, अहिंसा, सामाजिक न्याय, धार्मिक सहिष्णुता और पर्यावरणीय जिम्मेदारी शामिल हैं, जो वर्तमान समय में समाज को शांति, सहमति और न्याय की ओर मार्गदर्शन कर सकते हैं। अशोक का धम्म न केवल उनके समय के लिए, बल्कि आज के वैश्विक और बहुलवादी समाज के लिए भी एक अमूल्य धरोहर है।

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