UPSC NOTES:भारत की रक्षा और रणनीतिक क्षमताओं को सुदृढ़ करने में नैनो प्रौद्योगिकी की भूमिका तथा इसकी संभावनाओं का आकलन कीजिये। 

भारत की रक्षा और रणनीतिक क्षमताओं में नैनो प्रौद्योगिकी की भूमिका और संभावनाओं का आकलन

नैनो प्रौद्योगिकी (Nanotechnology) आधुनिक रक्षा और रणनीतिक क्षमताओं को सुदृढ़ करने में क्रांतिकारी भूमिका निभा रही है। यह प्रौद्योगिकी पदार्थों को आणविक और परमाणविक स्तर पर संशोधित कर उनकी दक्षता, मजबूती और संवेदनशीलता को बढ़ाने में सक्षम है।

रक्षा क्षेत्र (Defense sector)में नैनो प्रौद्योगिकी की भूमिका:

  1. हल्के और मजबूत सामग्री का निर्माण: नैनो-मैटेरियल्स के उपयोग से हल्के और टिकाऊ कवच (armors) बनाए जा सकते हैं, जिससे सैनिकों और वाहनों की गतिशीलता और सुरक्षा में वृद्धि होती है।
  2. स्मार्ट हथियार प्रणाली: नैनो-इलेक्ट्रॉनिक्स के माध्यम से संवेदनशील और उच्च-प्रदर्शन वाले हथियार विकसित किए जा रहे हैं, जो शत्रुओं के विरुद्ध सटीक और प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित करते हैं।
  3. रासायनिक और जैविक सुरक्षा: नैनोफिल्टर्स और नैनोसेंसर रासायनिक, जैविक और रेडियोलॉजिकल खतरों का त्वरित पता लगाने और उनसे बचाव में सहायक होते हैं।
  4. सुरक्षा निगरानी: नैनोड्रोन और नैनोसेंसर सीमाओं की निगरानी और दुश्मनों की गतिविधियों पर नजर रखने में कारगर साबित हो रहे हैं।

भविष्य की संभावनाएँ

  • स्वदेशी रक्षा उत्पादन: नैनो प्रौद्योगिकी आत्मनिर्भर भारत अभियान में रक्षा उपकरणों के स्वदेशी निर्माण को बढ़ावा दे सकती है।
  • मेड इन इंडिया नैनो सामग्री: उच्च गुणवत्ता वाले नैनो-उत्पाद न केवल भारत की सुरक्षा बल्कि वैश्विक बाजार में भी प्रतिस्पर्धा को मजबूती देंगे।
  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के साथ समाकलन: नैनो प्रौद्योगिकी और AI का संयोजन भारत की रणनीतिक क्षमताओं को एक नए स्तर पर ले जा सकता है।

निष्कर्ष

नैनो प्रौद्योगिकी भारत के रक्षा क्षेत्र में एक गेम-चेंजर साबित हो सकती है। इस क्षेत्र में निवेश और अनुसंधान को प्राथमिकता देकर भारत अपनी रणनीतिक क्षमताओं को आत्मनिर्भर और विश्वस्तरीय बना सकता है।

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