1929 की विश्वव्यापी आर्थिक मंदी और जर्मनी में हिटलर का उदय: लोकतंत्र पर प्रभाव
1929 में आई वैश्विक आर्थिक मंदी ने दुनिया भर में राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्थाओं को हिलाकर रख दिया। इसका सबसे विनाशकारी प्रभाव जर्मनी पर पड़ा, जहाँ इसने हिटलर और नाज़ी पार्टी के उदय का मार्ग प्रशस्त किया।
UPSC HINDI NOTES:मंदी का प्रभाव:
- आर्थिक तबाही: मंदी ने जर्मनी में व्यापक बेरोजगारी, गरीबी और भुखमरी पैदा कर दी।
- राजनीतिक अस्थिरता: वाइमर गणराज्य, जो जर्मनी में 1918 से 1933 तक शासन कर रहा था, मंदी से कमजोर हो गया और अस्थिर हो गया।
- सामाजिक अशांति: लोगों में निराशा और गुस्सा बढ़ रहा था, जिससे सामाजिक अशांति और हिंसा बढ़ी।
UPSC HINDI NOTES:हिटलर का उदय:
- नाज़ी विचारधारा: हिटलर ने जर्मन लोगों की पीड़ा का फायदा उठाते हुए, उन्हें राष्ट्रवाद और यहूदी-विरोधी भावनाओं के ज़हर से भर दिया।
- बली का बकरा: उन्होंने यहूदियों को जर्मनी की समस्याओं के लिए बलि का बकरा बनाया।
- शक्तिशाली नेता: हिटलर एक करिश्माई वक्ता थे जिन्होंने लोगों को एक मजबूत नेता के रूप में खुद को पेश किया जो जर्मनी को उसकी पूर्व महिमा में वापस ला सकता था।
- नाज़ी पार्टी का उदय: नाज़ी पार्टी ने जल्दी से जर्मनी में लोकप्रियता हासिल कर ली, खासकर मजदूर वर्ग और पूर्व सैनिकों के बीच।
लोकतंत्र पर प्रभाव:
- लोकतंत्र से मोहभंग: मंदी के कारण जर्मन लोगों का लोकतंत्र से मोहभंग हो गया।
- अधिनायकवाद की ओर रुझान: हिटलर और नाज़ी पार्टी ने लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर किया और एक अधिनायकवादी शासन स्थापित किया।
- मानवाधिकारों का हनन: नाज़ी शासन ने व्यापक रूप से मानवाधिकारों का हनन किया, जिसमें यहूदियों और अन्य अल्पसंख्यकों का नरसंहार भी शामिल था।
निष्कर्ष:
1929 की वैश्विक आर्थिक मंदी ने लोकतंत्र के लिए एक गंभीर खतरा पैदा कर दिया। जर्मनी में, इसने हिटलर और नाज़ी पार्टी के उदय का मार्ग प्रशस्त किया, जिसके परिणामस्वरूप एक अधिनायकवादी शासन स्थापित हुआ और लाखों लोगों की मौत हुई। यह घटना लोकतंत्र की कमजोरियों और उसकी रक्षा के लिए आवश्यक सतर्कता की याद दिलाती है।