UPSC HINDI NOTES:जी.एम फसलें (GM Grops) क्या हैं? भारत में जी.एम. फसलों के अनुभवों का उल्लेख करते हुए उनसे संबंधित चिंताओं का विश्लेषण करें।

UPSC HINDI NOTES:जी.एम. फसलें (GM Crops) क्या हैं?

आनुवंशिक रूप से संशोधित (Genetically Modified) फसलें जिन्हें जी.एम. फसलें भी कहा जाता है, वे ऐसी फसलें हैं जिनके जीनोम को वैज्ञानिकों द्वारा वांछित लक्षणों को प्राप्त करने के लिए परिवर्तित किया गया है। यह परिवर्तन आमतौर पर जीन स्थानांतरण तकनीक (gene transfer techniques) का उपयोग करके किया जाता है, जिसमें किसी अन्य जीव से एक या एक से अधिक जीन को लक्षित फसल में डाला जाता है।

UPSC HINDI NOTES जी.एम. फसलों के कुछ सामान्य उदाहरणों में शामिल हैं:

  • खरपतवार-रोधी (Herbicide-resistant) फसलें: ये फसलें कुछ विशेष प्रकार के खरपतवारनाशकों के प्रति प्रतिरोधी होती हैं, जिससे किसानों को खरपतवार नियंत्रण में आसानी होती है और फसल उत्पादन बढ़ता है।
  • कीट-रोधी (Insect-resistant) फसलें: इन फसलों में ऐसे जीन होते हैं जो उन्हें कुछ विशिष्ट कीटों से बचाते हैं, जिससे कीटनाशकों के उपयोग की आवश्यकता कम होती है और फसल नुकसान कम होता है।
  • पोषक तत्व-समृद्ध (Nutrient-enriched) फसलें: इन फसलों को विटामिन, खनिज या अन्य पोषक तत्वों के उच्च स्तर के साथ विकसित किया जाता है, जिससे उनका पोषण मूल्य बढ़ जाता है।

UPSC HINDI NOTES भारत में जी.एम. फसलों का अनुभव:

भारत में, केवल एक ही जी.एम. फसल, बीटी कपास (Bt cotton), को व्यावसायिक रूप से उगाने की अनुमति है। इसे 2002 में पेश किया गया था और तब से इसने भारतीय कपास उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

बीटी कपास के कुछ सकारात्मक अनुभवों में शामिल हैं:

  • किसानों की आय में वृद्धि: बीटी कपास ने कपास कीटों, विशेष रूप से कपास बोलवर्म (bollworm) के कारण होने वाले नुकसान को कम करने में मदद की है, जिसके परिणामस्वरूप किसानों की आय में वृद्धि हुई है।
  • कीटनाशकों के उपयोग में कमी: बीटी कपास ने किसानों को कीटनाशकों पर निर्भरता कम करने में मदद की है, जिससे पर्यावरण पर बोझ कम हुआ है।
  • कपास उत्पादन में वृद्धि: बीटी कपास ने भारत को कपास उत्पादन में एक प्रमुख वैश्विक खिलाड़ी बनने में मदद की है।

हालांकि, बीटी कपास से जुड़ी कुछ चिंताएं भी हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं: कुछ लोगों को चिंता है कि बीटी कपास का सेवन मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। हालांकि, इन दावों का समर्थन करने के लिए कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।
  • पर्यावरणीय चिंताएं: कुछ लोगों को चिंता है कि बीटी कपास से गैर-लक्षित कीटों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, और यह कि इससे जीन प्रतिरोध का विकास हो सकता है।
  • आर्थिक चिंताएं: कुछ किसानों को चिंता है कि बीटी कपास के बीज महंगे हैं और इससे किसानों पर बड़ी बीज कंपनियों की निर्भरता बढ़ सकती है।

निष्कर्ष:

जी.एम. फसलें कृषि में क्रांति लाने की क्षमता रखती हैं। भारत में, बीटी कपास ने किसानों की आय और कपास उत्पादन में वृद्धि करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

हालांकि, जी.एम. फसलों से जुड़ी कुछ चिंताएं भी हैं जिनका सावधानीपूर्वक मूल्यांकन किया जाना चाहिए।

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