Election Commission of Indiaभारत निर्वाचन आयोग की कार्यप्रणाली पर वर्ष 1990 के बाद के चुनाव सुधारों के प्रभाव तथा लोकतांत्रिक शासन में उनके निहितार्थ का विश्लेषण कीजिये।

भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India, ECI) एक स्वायत्त संवैधानिक प्राधिकरण है जो भारत में चुनाव प्रक्रियाओं का प्रशासन करता है। इसमें लोकसभा, राज्यसभा, राज्य विधानसभाओं, और राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति के कार्यालयों के चुनाव शामिल हैं।

कार्यप्रणाली

  1. स्वतंत्रता और निष्पक्षता: ECI का मुख्य उद्देश्य स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना है। इसके लिए यह चुनाव की तारीखों की घोषणा, चुनाव आचार संहिता लागू करना, और चुनाव प्रक्रिया की निगरानी करता है।
  2. चुनाव आचार संहिता: चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के लिए आचार संहिता लागू की जाती है, जिससे चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनी रहे।
  3. इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) और VVPAT: ECI ने EVM और VVPAT (Voter Verifiable Paper Audit Trail) का उपयोग शुरू किया है, जिससे वोटिंग प्रक्रिया में पारदर्शिता और विश्वसनीयता बढ़ी है।
  4. चुनाव सुधार: ECI समय-समय पर चुनाव सुधारों की सिफारिश करता है और उन्हें लागू करता है।

वर्ष 1990 के बाद के चुनाव सुधार

  1. EVM का उपयोग: 1998 में EVM का उपयोग शुरू हुआ और 2004 के आम चुनाव में इसे व्यापक रूप से अपनाया गया। इससे मतगणना प्रक्रिया में तेजी और पारदर्शिता आई।
  2. VVPAT का परिचय: 2013 में VVPAT का उपयोग शुरू हुआ, जिससे मतदाता अपने वोट की पुष्टि कर सकते हैं।
  3. आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों की जानकारी: 2003 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद, उम्मीदवारों को अपनी आपराधिक पृष्ठभूमि, संपत्ति, और शैक्षिक योग्यता की जानकारी देना अनिवार्य हो गया।
  4. NOTA (None of the Above): 2013 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद, मतदाताओं को NOTA का विकल्प दिया गया, जिससे वे किसी भी उम्मीदवार को वोट न देने का विकल्प चुन सकते हैं।
  5. आधार लिंकिंग: मतदाता सूची को आधार से लिंक करने का प्रयास किया गया है, जिससे फर्जी वोटिंग को रोका जा सके।
  6. चुनाव खर्च की सीमा: उम्मीदवारों के चुनाव खर्च की सीमा निर्धारित की गई है, जिससे चुनाव प्रक्रिया में धनबल का दुरुपयोग रोका जा सके।

लोकतांत्रिक शासन के निहितार्थ

  1. पारदर्शिता और विश्वास: चुनाव सुधारों ने चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और मतदाताओं का विश्वास बढ़ाया है।
  2. मतदाता जागरूकता: ECI ने मतदाता जागरूकता कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया है, जिससे मतदाताओं की भागीदारी बढ़ी है।
  3. स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव: चुनाव सुधारों ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
  4. लोकतांत्रिक संस्थाओं की मजबूती: चुनाव सुधारों ने भारत की लोकतांत्रिक संस्थाओं को मजबूत किया है और लोकतंत्र की जड़ों को गहरा किया है।
  5. समानता और निष्पक्षता: चुनाव सुधारों ने सभी उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों के लिए समान अवसर सुनिश्चित किया है।

निष्कर्ष

भारत निर्वाचन Election Commission of India आयोग की कार्यप्रणाली और वर्ष 1990 के बाद के चुनाव सुधारों ने भारतीय लोकतंत्र को मजबूत और पारदर्शी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इन सुधारों ने न केवल चुनाव प्रक्रिया को अधिक विश्वसनीय और निष्पक्ष बनाया है, बल्कि मतदाताओं का विश्वास भी बढ़ाया है।

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