गुजरात के धोलेरा में भारत का पहला सेमीकंडक्टर प्लांट स्थापित किया जा रहा है| इसका निर्माण भारतीय कंपनी वेदांता और ताइवान की इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी फॉक्सकॉन के एक जॉइंट वेंचर के तहत किया जा रहा है|
पिछले तीन साल से सेमीकंडक्टर की कमी से दुनिया के कई देश जूझ रहे हैं। भारत भी इनमें से एक है। सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग में अमेरिका का योगदान 12% है, जबकि 80% सेमीकंडक्टर एशिया के देशों में तैयार होते हैं और अब इसमें और इजाफा होने जा रहा है।
इस जॉइंट वेंचर की स्थापना के बाद दुनियाभर में सेमीकंडक्टर निर्माण क्षमता में भारत की भागीदारी को भी महत्वपूर्ण स्थान मिलेगा|
इस ज्वाइंट वेंचर के तहत अहमदाबाद शहर के पास स्थित धोलेरा में मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट की स्थापना की जाएगी| इस जॉइंट वेंचर को कॉर्पोरेट इतिहास के एक सबसे बड़े निवेश के रूप में देखा जा रहा है|
क्या है सेमीकंडक्टर ?
कारों से लेकर मोबाइल तक में सेमीकंडक्टर का इस्तेमाल किया जाता है| यह एक चिप जैसा होता है| आसान भाषा में समझें तो बिजली जिस भी चीज से गुजरती है, वो गर्म हो जाती है, लेकिन सेमीकंडक्टर के होने पर ऐसा नहीं होता |यह बिजली को ऊष्मा के रूप में व्यर्थ नहीं होने देता| इसलिए इसका रोल अहम होता है|
वेदांता-फॉक्सकॉन ज्वाइंट वेंचर
यह भारत में सेमीकंडक्टर्स के निर्माण की पहली मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी होगी. गौरतलब है की भारत में के इलेक्ट्रॉनिक गैजेट का निर्माण तो हो रहा है, लेकिन अब इन इलेक्ट्रॉनिक गैजेट में उपयोग होने वाले सेमीकंडक्टर भी भारत में बनाये जायेंगे|
इस मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी से एक लाख से अधिक रोजगार के सृजन की उम्मीद है. साथ ही इसके संदर्भ में गुजरात के सीएम भुपेंद्र पटेल ने कहा था कि इस प्रोजेक्ट को सफल बनाने में सरकार पूरा सहयोग करेगी|
वेदांता और फॉक्सकॉन ने पिछले वर्ष, गुजरात सरकार के साथ इस सेमीकंडक्टर मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट के लिए एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए थे जो 1,54,000 करोड़ रुपये का था| जिसे स्वतंत्र भारत के इतिहास का सबसे बड़ा निवेश माना जा रहा है|
गुजरात सेमीकंडक्टर 2022-27 की क्या पॉलिसी है ?
गुजरात सरकार, ‘गुजरात सेमीकंडक्टर नीति 2022-27’ के तहत इस इस प्रोजेक्ट को सब्सिडी और प्रोत्साहन देगी | एक सरकारी अधिकारी के अनुसार, सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले फैब्रिकेशन सेक्टर के लिए इस तरह की समर्पित नीति रखने वाला गुजरात देश का पहला राज्य बन गया है|
इस पॉलिसी के तहत इस प्रोजेक्ट को कुल 75 फीसदी तक सब्सिडी मिलने की उम्मीद है और जमीन की खरीद पर जीरो स्टांप ड्यूटी लगेगी| साथ ही पहले पांच वर्ष तक प्लांट को 12 रुपये प्रति क्यूबिक मीटर पानी दिया जाएगा
मेक इन इंडिया को मिलेगा बढ़ावा
इस सेमीकंडक्टर्स मेकिंग फैसिलिटी से देश में मेक इन इंडिया पहल को एक नई पहचान मिलेगी| अब मेड इन इंडिया टैग के सेमीकंडक्टर्स दूसरे देशों में भी देखने को मिलेंगे| सरकार द्वारा इस तरह की पहल देश को, इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र का मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने में मदद करेगी|
केंद्र सरकार को उम्मीद है, इस कदम से देश में 1.35 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा| इसके साथ ही 85 हजार सेमीकंडक्टर इंजीनियर तैयार किए जाएंगे। हालांकि, इस किल्लत से निपटने में डेढ़ से 2 साल तक का समय लग सकता है| भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए यह एक बड़ा कदम साबित हो सकता है क्योंकि इससे रोजगार के नए मौके पैदा होंगे| आयात घटेगा, अर्थव्यवस्था और बेहतर हो सकेगी| इसके साथ ही सेमीकंडक्टर निर्यात करने वाले देशों पर भी दबाव बढ़ेगा|