भारत छोड़ो आंदोलन, भारतीय जनता द्वारा स्वतंत्रता प्राप्ति के लिये ब्रिटिश सत्ता के विरुद्ध किया गया आखिरी बड़ा सामूहिक संघर्ष था। किन कारणों से यह संघर्ष अपरिहार्य हो गया था? चर्चा करें।

भारत छोड़ो आंदोलन: एक अपरिहार्य संघर्ष

भारत छोड़ो आंदोलन, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक निर्णायक मोड़ था। यह आंदोलन ब्रिटिश शासन के विरुद्ध भारतीय जनता का अंतिम और सबसे बड़ा विद्रोह था। यह प्रश्न उठता है कि आखिर क्यों यह आंदोलन इतना महत्वपूर्ण था और इसे अपरिहार्य क्यों माना जाता है?

भारत छोड़ो आंदोलन के अपरिहार्य होने के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:

  • द्वितीय विश्व युद्ध का प्रभाव: द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, ब्रिटेन ने भारत से बिना शर्त समर्थन मांगा। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने युद्ध के प्रयासों में सहयोग करने की शर्त पर स्वराज की मांग की थी, लेकिन ब्रिटिश सरकार ने इस मांग को ठुकरा दिया। इससे भारतीयों में गहरा असंतोष पैदा हुआ और उन्हें लगा कि ब्रिटेन भारत की स्वतंत्रता के लिए गंभीर नहीं है।
  • क्रिप्स मिशन की विफलता: 1942 में, ब्रिटिश सरकार क्रिप्स मिशन भारत भेजी। इस मिशन का उद्देश्य भारतीय नेताओं को युद्ध के प्रयासों में शामिल करने और युद्ध के बाद भारत को स्वशासन देने का एक प्रस्ताव पेश करना था। हालांकि, यह मिशन विफल हो गया क्योंकि भारतीय नेताओं ने इस प्रस्ताव को अपर्याप्त माना।
भारत छोड़ो आंदोल
भारत छोड़ो आंदोल
  • भारतीय जनता में असंतोष: द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, भारतीय जनता अत्यधिक कठिनाइयों का सामना कर रही थी। खाद्यान्न की कमी, महंगाई और बेरोजगारी जैसे समस्याएं आम हो गई थीं। इस सबके बावजूद, ब्रिटिश सरकार भारतीयों की समस्याओं को हल करने में विफल रही। इससे भारतीय जनता में ब्रिटिश शासन के खिलाफ गहरा असंतोष पैदा हो गया।
  • गांधी जी का नेतृत्व: महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन को एक जन आंदोलन में बदल दिया। उनके नेतृत्व में, लाखों भारतीयों ने इस आंदोलन में भाग लिया। गांधी जी ने लोगों को अहिंसक तरीके से ब्रिटिश शासन का विरोध करने के लिए प्रेरित किया।
  • स्वतंत्रता की तीव्र इच्छा: भारतीय जनता स्वतंत्रता की तीव्र इच्छा रखती थी। वे ब्रिटिश शासन के अधीन रहना नहीं चाहते थे। भारत छोड़ो आंदोलन ने भारतीयों को अपनी स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने का एक अवसर प्रदान किया।

निष्कर्ष:

उपरोक्त कारणों से यह स्पष्ट है कि भारत छोड़ो आंदोलन अपरिहार्य था। द्वितीय विश्व युद्ध, क्रिप्स मिशन की विफलता, भारतीय जनता में असंतोष, गांधी जी का नेतृत्व और स्वतंत्रता की तीव्र इच्छा जैसे कारकों ने मिलकर इस आंदोलन को जन्म दिया। यह आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण अध्याय है और इसने भारत को स्वतंत्रता की ओर एक कदम और आगे बढ़ाया।

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