बौद्ध धर्म में महायान के उदय की परिस्थितियों की विवेचना कीजिये।

बौद्ध धर्म में महायान के उदय की परिस्थितियाँ:

बुद्ध की मृत्यु के पश्चात उनकी शिक्षाओं को लेकर वाद-विवाद शुरू हो गया। कनिष्क के समय में आयोजित चौथी बौद्ध संगीति में बौद्ध धर्म औपचारिक रूप से दो शाखाओं- ‘हीनयान’ और ‘महायान’ में विभाजित हो गया।

महायान बौद्ध धर्म, जो दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व से पहली शताब्दी ईस्वी के बीच विकसित हुआ, बौद्ध धर्म की एक प्रमुख शाखा है।

यह थैरवाद से भिन्न है, जो बौद्ध धर्म की एक अन्य प्रमुख शाखा है।

महायान के उदय के पीछे कई सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक परिस्थितियां थीं, जिनमें से कुछ प्रमुख

1. सामाजिक परिस्थितियां:

  • समाज में परिवर्तन: बुद्ध के महापरिनिर्वाण के बाद, भारतीय समाज में कई बदलाव हुए।
  • नगरीकरण में वृद्धि: व्यापार और वाणिज्य के विकास के साथ, नगरों का उदय हुआ, जिसके परिणामस्वरूप सामाजिक और आर्थिक असमानता बढ़ी।
  • जाति व्यवस्था का कठोर होना: जाति व्यवस्था और भी अधिक कठोर हो गई, जिसके कारण निम्न जातियों के लोगों में असंतोष बढ़ गया।

2. राजनीतिक परिस्थितियां:

  • मौर्य साम्राज्य का पतन: मौर्य साम्राज्य के पतन के बाद, भारत कई छोटे-छोटे राज्यों में विभाजित हो गया।
  • राजनीतिक अस्थिरता: इस राजनीतिक अस्थिरता ने लोगों को आध्यात्मिकता और मुक्ति के नए मार्गों की ओर प्रेरित किया।
  • राजशाही का उदय: कई शक्तिशाली राजाओं का उदय हुआ, जिन्होंने बौद्ध धर्म को अपना संरक्षण दिया।

3. धार्मिक परिस्थितियां:

  • संघ में विभाजन: बुद्ध के महापरिनिर्वाण के बाद, बौद्ध संघ दो प्रमुख निकायों, थेरवाद और महाविभाज्यवाद में विभाजित हो गया।
  • नए विचारों का उदय: बौद्ध धर्म में नए विचारों और दर्शनों का उदय हुआ, जिन्होंने थेरवाद के कुछ कठोर सिद्धांतों को चुनौती दी।
  • महायान ग्रंथों का विकास: महायान सूत्रों और ग्रंथों का विकास हुआ, जिन्होंने बौद्ध धर्म की समझ को विस्तारित किया।

इन परिस्थितियों ने महायान बौद्ध धर्म के उदय के लिए अनुकूल वातावरण तैयार किया।

महायान ने बौद्ध धर्म को अधिक सुलभ और समावेशी बनाने का प्रयास किया, जिसके परिणामस्वरूप यह पूरे एशिया में तेजी से फैल गया।

महायान बौद्ध धर्म की कुछ प्रमुख विशेषताएं हैं:

  • बोधिसत्व की अवधारणा: महायान में, बोधिसत्व एक ऐसा व्यक्ति होता है जो स्वयं की परवाह किए बिना सभी प्राणियों के उद्धार के लिए बुद्धत्व प्राप्त करने का प्रयास करता है।
  • करुणा और मैत्री: महायान करुणा और मैत्री (प्रेम) पर जोर देता है, जो सभी प्राणियों के प्रति दया और सहानुभूति की भावनाएं हैं।
  • बुद्ध की कई मूर्तियाँ: महायान में, बुद्ध की कई मूर्तियाँ और रूप हैं, जो विभिन्न गुणों और पहलुओं का प्रतिनिधित्व करते हैं।
  • अनेक बुद्ध क्षेत्र: महायान का मानना ​​है कि अनंत संख्या में बुद्ध क्षेत्र हैं, जो शुद्ध भूमि हैं जहाँ बुद्ध रहते हैं और सिखाते हैं।

निष्कर्ष:

बौद्ध धर्म में महायान का उदय कई सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक परिस्थितियों का परिणाम था।

महायान ने बौद्ध धर्म को अधिक सुलभ और समावेशी बनाने का प्रयास किया, जिसके परिणामस्वरूप यह पूरे एशिया में तेजी से फैल गया।

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