हरियाणा के महेंद्रगढ़ के गांव निंबी निवासी दिव्या तंवर जिनके पिता पिछले साल ही दुनिया को छोड़कर चले गए की कहानी आपको जोश से भर देगी जो अभावों में रहकर IAS बनना चाह रहे है उनके तैयारी के दरबाजे दिव्या की ये कहानी खोल देगी।
5वीं क्लास में नवोदय में एड्मिसन हुआ | 12TH गणित लेकर किया,इसके बाद B.Sc किया इसी दौरान उससे UPSC की पढ़ाई के लिए यूट्यूब पर TOPPERS के वीडियो देखे,उनके द्वारा बतायीं किताबें खरीदकर और पढ़ना शुरू किया जरूरत के अनुसार यूट्यूब से गाइडेंस लिया |
B.Sc होने के बाद एक स्कूल में बच्चों को पढ़ाया और घर पर बच्चों को टूशन भी दिया और अपनी IAS तैयारी भी करती रही इसी बीच उनके पिता जी का देहांत हो गया(2011 में)
यहाँ उनके परिवार का जिक्र भी कर देता हूँ वह एक कमरे के मकान में अपने माता-पिता और दो छोटे भाई बहन के साथ रहती थीं जो कि पहली मंजिल पर है खाना कमरे के बाहर गैस और चूल्हे पर बनता है यानि उनका परिवार बहुत साधारण है गुजर बसर हो जाता है बस, पिछले साल पिता जी के देहांत के बाद उनकी माँ ने भी दूसरों के खेतों में काम किया और अपने परिवार का पालन पोषण किया,दिव्या तो पढ़ा भी रही थी तो खाने के लिए और किताबों के खर्चे के लिए ज्यादा समस्या नहीं आयी
आखिरकार ऐसा कैसे हो गया कि एक तरफ दिल्ली रहकर तैयारी करने जा रहे लोगों का कई सालों में भी सिलेक्शन नहीं हो पाता वहीँ दिव्या का ऐसी परिस्थितियों में भी न केवल सिलेक्शन हुआ बल्कि पहले ही प्रयास में 438 वीं रैंक आयी और संभवतः IPS पोस्ट भी उन्हें मिल जायेगी। तो चलिए उन परिस्तितियों पर चर्चा करें जिसके कारण दिव्या ने पहले ही प्रयास में हिंदी माध्यम लेकर भी सफलता हांसिल की