“जलवायु परिवर्तन कूटनीति, अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के एक महत्त्वपूर्ण पहलू के रूप में उभरी है।” वैश्विक जलवायु वार्ता के संदर्भ में भारत की स्थिति एवं योगदान का मूल्यांकन करते हुए इससे संबंधित चुनौतियों तथा अवसरों पर प्रकाश डालिये। 

जलवायु परिवर्तन कूटनीति में भारत की भूमिका: चुनौतियाँ और अवसर

जलवायु परिवर्तन निश्चित रूप से अंतर्राष्ट्रीय संबंधों का एक केंद्र बिंदु बन गया है और भारत इस संदर्भ में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

वैश्विक जलवायु परिवर्तन वार्ता में भारत की स्थिति

जलवायु परिवर्तन एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था है और साथ ही जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से सबसे अधिक प्रभावित देशों में से एक है। इस दोहरी स्थिति ने भारत को वैश्विक जलवायु वार्ताओं में एक जटिल स्थिति में रखा है।

  • विकास बनाम पर्यावरण: भारत को अपनी अर्थव्यवस्था को बढ़ाना है और साथ ही कार्बन उत्सर्जन को कम करना है। यह एक कठिन संतुलन है।
  • ऐतिहासिक जिम्मेदारी: भारत का कुल ऐतिहासिक उत्सर्जन विकसित देशों की तुलना में बहुत कम है। जलवायु परिवर्तन , भारत का मानना है कि विकसित देशों को जलवायु परिवर्तन के लिए अधिक जिम्मेदार होना चाहिए।
  • अनुकूलन और शमन: भारत जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से अनुकूलन के लिए महत्वपूर्ण निवेश कर रहा है, साथ ही साथ उत्सर्जन को कम करने के लिए भी प्रयास कर रहा है।

भारत का योगदान

  • अक्षय ऊर्जा: भारत ने सौर और पवन ऊर्जा के क्षेत्र में काफी प्रगति की है।
  • अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन: भारत ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य सौर ऊर्जा को बढ़ावा देना है।
  • जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना: भारत ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए एक व्यापक राष्ट्रीय कार्य योजना तैयार की है।
  • अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर सक्रियता: भारत जलवायु परिवर्तन पर होने वाली अंतर्राष्ट्रीय वार्ताओं में सक्रिय रूप से भाग लेता है।
जलवायु परिवर्तन

जलवायु परिवर्तन चुनौतियाँ

  • विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन: भारत को अपनी विकास आवश्यकताओं को पूरा करते हुए पर्यावरण की रक्षा के लिए एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाना होगा।
  • वित्तीय संसाधन: जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए भारत को बड़े पैमाने पर निवेश की आवश्यकता है।
  • तकनीकी क्षमता: भारत को जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए आवश्यक तकनीकी क्षमता विकसित करने की आवश्यकता है।

जलवायु परिवर्तन अवसर

  • अक्षय ऊर्जा: भारत अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में एक वैश्विक नेता बन सकता है।
  • नई तकनीक: जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए नई तकनीकों का विकास भारत के लिए एक बड़ा अवसर है।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: भारत अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से जलवायु परिवर्तन से निपटने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

जलवायु परिवर्तन निष्कर्ष:

भारत जलवायु परिवर्तन से निपटने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। हालांकि, भारत के सामने कई चुनौतियाँ भी हैं। इन चुनौतियों के बावजूद, भारत के पास कई अवसर भी हैं। भारत को इन अवसरों का लाभ उठाते हुए जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए वैश्विक प्रयासों में योगदान देना चाहिए।

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