खुला बाज़ार परिचालन (OMOs) एक मौद्रिक नीति उपकरण है जिसका उपयोग केंद्रीय बैंक द्वारा मुद्रा आपूर्ति को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। OMOs में, केंद्रीय बैंक सरकार द्वारा जारी किए गए प्रतिभूतियों को खरीदता या बेचता है।
मुद्रा आपूर्ति पर प्रभाव
OMOs मुद्रा आपूर्ति को प्रभावित करने के लिए दो तरीकों से काम करते हैं:
- खरीद: जब केंद्रीय बैंक प्रतिभूतियों को खरीदता है, तो वह बैंकों को नकदी प्रदान करता है। इससे बैंकों के पास अधिक नकदी होती है, जिसे वे ऋण के रूप में वितरित कर सकते हैं। इससे मुद्रा आपूर्ति बढ़ती है।
- बिक्री: जब केंद्रीय बैंक प्रतिभूतियों को बेचता है, तो वह बैंकों से नकदी लेता है। इससे बैंकों के पास कम नकदी होती है, जिससे वे कम ऋण प्रदान कर सकते हैं। इससे मुद्रा आपूर्ति घटती है।
ब्याज दरों पर प्रभाव
OMOs ब्याज दरों को भी प्रभावित करते हैं। मुद्रा आपूर्ति में वृद्धि से ब्याज दरें कम हो जाती हैं। मुद्रा आपूर्ति में कमी से ब्याज दरें बढ़ जाती हैं।
उदाहरण
मान लीजिए कि केंद्रीय बैंक महंगाई को कम करना चाहता है। वह ऐसा मुद्रा आपूर्ति को कम करके कर सकता है। ऐसा करने के लिए, वह प्रतिभूतियों को बेच सकता है। इससे बैंकों के पास कम नकदी होगी, जिससे वे कम ऋण प्रदान कर सकते हैं। इससे मांग में कमी आएगी और कीमतें कम होंगी।
इसके विपरीत, मान लीजिए कि केंद्रीय बैंक आर्थिक विकास को बढ़ावा देना चाहता है। वह ऐसा मुद्रा आपूर्ति को बढ़ाकर कर सकता है। ऐसा करने के लिए, वह प्रतिभूतियों को खरीद सकता है। इससे बैंकों के पास अधिक नकदी होगी, जिससे वे अधिक ऋण प्रदान कर सकते हैं। इससे मांग में वृद्धि आएगी और अर्थव्यवस्था में विकास होगा।
निष्कर्ष :
अंततः किसी अर्थव्यवस्था में मुद्रा आपूर्ति और ब्याज दरों को ठीक करने के लिये OMO केंद्रीय बैंकों के लिये एक बहुमुखी और प्रभावी उपकरण है। ये केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति के उद्देश्यों को प्राप्त करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जिसमें मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना, आर्थिक विकास को बढ़ावा देना और वित्तीय स्थिरता बनाए रखना शामिल है।