भुगतान संतुलन
- भुगतान संतुलन का अभिप्राय ऐसे सांख्यिकी विवरण से होता है, जो एक निश्चित अवधि के दौरान किसी देश के निवासियों तथा विश्व के अन्य देशों के साथ हुए मौद्रिक लेन-देनों के लेखांकन को रिकॉर्ड करता है।
- BoP की गणना से किसी देश की वित्तीय और आर्थिक स्थिति का पता चलता है।
- यह निर्धारित करने के लिये इसे एक संकेतक के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है कि देश में मुद्रा के मूल्य में बढ़ोतरी हो रही है या मूल्यह्रास हो रहा है।
- यह राजकोषीय और व्यापार नीतियों पर निर्णय लेने में सरकार की मदद करता है।
- यह किसी देश के अन्य देशों के साथ आर्थिक व्यवहार का विश्लेषण और उसे समझने के लिये महत्त्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है।
भुगतान संतुलन के मुख्य घटक
चालू खाता
- चालू खाते का उपयोग देशों के बीच माल एवं सेवाओं के अंतर्वाह और बहिर्वाह की निगरानी के लिये किया जाता है।
- इस खाते में कच्चे माल तथा निर्मित वस्तुओं के संबंध में किये गए सभी भुगतानों और प्राप्तियों को शामिल किया जाता है।
- चालू खाता के अंतर्गत मुख्यत: तीन प्रकार के लेन-देन होते हैं-
- –वस्तुओं व सेवाओं का आयात-निर्यात
- II- कर्मचारियों व विदेशी निवेश से प्राप्त आय एवं खर्च
- III- विदेशों से प्राप्त अनुदान राशि, उपहार एवं विदेश में बसे कामगारों द्वारा भेजी जाने वाली विप्रेषण (Remittance) की राशि, को शामिल किया जाता है।
पूंजी खाता
- देशों के बीच सभी पूंजीगत लेन-देनों की निगरानी पूंजी खाते के माध्यम से की जाती है।
- पूंजीगत लेन-देन में भूमि जैसी गैर-वित्तीय संपत्तियों की खरीद और बिक्री को शामिल किया जाता है।
- पूंजी खाते के मुख्यतः तीन तत्त्व हैं-
- I- विदेश में स्थित निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों से लिया गया सभी प्रकार का ऋण
- II- गैर-निवासियों द्वारा कॉर्पोरेट शेयरों में किये गए निवेश की राशि
- III- अंततः विनिमय दर के नियंत्रण हेतु देश के केंद्रीय बैंक द्वारा रखा गया विदेशी मुद्रा भंडार
वित्तीय खाता
- रियल एस्टेट, व्यावसायिक उद्यम, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आदि में विभिन्न निवेशों के माध्यम से विदेशों से/को होने वाले धन के प्रवाह पर वित्तीय खाते के माध्यम से निगरानी की जाती है।
- यह खाता घरेलू परिसंपत्तियों के विदेशी स्वामित्त्व और विदेशी संपत्ति के घरेलू स्वामित्त्व में परिवर्तन को मापता है।
- इसका विश्लेषण करने से यह ज्ञात किया जा सकता है कि कोई देश अधिक संपत्ति बेच रहा है या प्राप्त कर रहा है।
क्या है बजट और संवैधानिक प्रावधान
बजट और संवैधानिक प्रावधान
- एक बजट भविष्य की योजनाओं और उद्देश्यों के आधार पर अनुमानित आय और व्यय का एक औपचारिक विवरण है।
- बजट एक दस्तावेज है जो प्रबंधन व्यवसाय के लिए अपने लक्ष्यों के आधार पर आगामी अवधि के लिए राजस्व और खर्चों का अनुमान लगाने के लिए बनाता है।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 के अनुसार, एक वर्ष के केंद्रीय बजट को वार्षिक वित्तीय विवरण कहा जाता है।
- यह एक वित्तीय वर्ष में सरकार की अनुमानित प्राप्तियों और व्यय का विवरण है (जो चालू वर्ष में 1 अप्रैल से शुरू होकर अगले वर्ष के 31 मार्च को समाप्त होता है)।
बजट में निम्नलिखित बिंदुओं को शामिल किया जाता है
- राजस्व और पूंजी प्राप्तियों का अनुमान।
- राजस्व बढ़ाने के तरीके और साधन।
- व्यय अनुमान।
- पिछले वित्तीय वर्ष की वास्तविक प्राप्तियों और व्यय का विवरण तथा उस वर्ष में किसी भी कमी या अधिशेष का कारण।
- आने वाले वर्ष की आर्थिक और वित्तीय नीति, अर्थात् कराधान प्रस्ताव तथा नई योजनाओं/परियोजनाओं की शुरुआत।
संसद में बजट छह चरणों से गुज़रता है
- बजट की प्रस्तुति।
- आम चर्चा।
- विभागीय समितियों द्वारा जाँच।
- अनुदान मांगों पर मतदान।
- विनियोग विधेयक पारित करना।
- वित्त विधेयक पारित करना।
- वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों का विभाग ‘बजट डिवीज़न’ तैयार करने हेतु ज़िम्मेदार केंद्रीय निकाय है।पहली बार 7 अप्रैल, 1860 को जेम्स विल्सन ने ब्रिटिश महारानी के समक्ष भारत का बजट पेश किया गया था।
- स्वतंत्र भारत का पहला बजट 26 नवंबर,1947 को पेश किया गया था तत्कालीन वित्त मंत्री आर के षण्मुखम चेट्टी ने यह बजट पेश किया था
- पीसी महालनोबिस को भारतीय बजट का जनक कहा जाता है।
- प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में जब यशवंत सिन्हा वित्त मंत्री बने तो उन्होंने यह परंपरा बदल दी। 27 फरवरी 1999 को उन्होंने पहली बार सुबह में भारत का बजट पेश किया तब से बजट को सुबह ही पेश किया जाता है