भारत में खाद्य मुद्रास्फीति के कारण
भारत में खाद्य मुद्रास्फीति के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:
परिचय:
खाद्य मुद्रास्फीति का तात्पर्य समय के साथ खाद्य पदार्थों की कीमतों में वृद्धि होने से है। इससे उपभोक्ताओं (विशेषकर समाज के गरीब और कमजोर वर्गों) की क्रय शक्ति और कल्याण पर प्रभाव पड़ता है। भारत में खाद्य मुद्रास्फीति को बढ़ावा मिल रहा है (सितंबर 2021 से अप्रैल 2022 के बीच उपभोक्ता खाद्य मूल्य मुद्रास्फीति 0.68% से बढ़कर 8.38% हो गई है)। भारत में खाद्य मुद्रास्फीति के मुख्य कारणों को मांग-पक्ष और आपूर्ति-पक्ष जैसे कारकों में वर्गीकृत किया जा सकता है। आपूर्ति पक्ष से संबंधित कारकों में से एक, आपूर्ति श्रृंखला का व्यवधान होना है।
- आपूर्ति श्रृंखला की बाधाएं: कोविड-19 महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण आपूर्ति श्रृंखला की बाधाएं बढ़ गई हैं। इन बाधाओं से खाद्य पदार्थों के आयात और वितरण में देरी हुई है, जिससे कीमतें बढ़ी हैं।
- उर्वरकों की बढ़ती कीमतें: उर्वरकों की बढ़ती कीमतें खाद्य उत्पादन लागत को बढ़ा रही हैं, जिससे खाद्य पदार्थों की कीमतों में वृद्धि हो रही है।
- जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन से मौसम की अनियमितताएं बढ़ रही हैं, जिससे फसलों के उत्पादन में कमी आ रही है। इससे भी खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ रही हैं।
- आर्थिक विकास: भारत की अर्थव्यवस्था में तेजी से विकास के कारण उपभोक्ता मांग बढ़ रही है। इससे भी खाद्य पदार्थों की कीमतों में वृद्धि हो रही है।
इनमें से प्रत्येक चुनौती के अपने विशिष्ट कारण हैं।
आपूर्ति श्रृंखला की बाधाएं
कोविड-19 महामारी के कारण बंदरगाहों, हवाई अड्डों और अन्य बुनियादी ढांचे में देरी हुई है। रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण खाद्य और अन्य वस्तुओं के आयात पर प्रतिबंध और शुल्क भी लगाए गए हैं। इन सभी कारकों से आपूर्ति श्रृंखला में बाधाएं पैदा हुई हैं, जिससे खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ी हैं।
उर्वरकों की बढ़ती कीमतें
उर्वरकों की बढ़ती कीमतें खाद्य उत्पादन लागत को बढ़ा रही हैं। उर्वरकों की कीमतों में वृद्धि के कई कारण हैं, जिनमें कच्चे माल की कीमतों में वृद्धि, ऊर्जा की बढ़ती लागत और व्यापार बाधाएं शामिल हैं।
जलवायु परिवर्तन
जलवायु परिवर्तन से मौसम की अनियमितताएं बढ़ रही हैं, जिससे फसलों के उत्पादन में कमी आ रही है। सूखा, बाढ़ और अन्य चरम मौसम की घटनाएं फसलों को नुकसान पहुंचा रही हैं। इससे खाद्य आपूर्ति कम हो रही है, जिससे कीमतें बढ़ रही हैं।
आर्थिक विकास
भारत की अर्थव्यवस्था में तेजी से विकास के कारण उपभोक्ता मांग बढ़ रही है। इससे खाद्य पदार्थों की मांग भी बढ़ रही है, जिससे कीमतें बढ़ रही हैं।
खाद्य मुद्रास्फीति के समाधान
खाद्य मुद्रास्फीति को कम करने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:
- आपूर्ति श्रृंखला में सुधार: सरकार को आपूर्ति श्रृंखला में सुधार के लिए कदम उठाने चाहिए। इसमें बंदरगाहों और हवाई अड्डों पर बुनियादी ढांचे में सुधार, शिपिंग शुल्क में कमी और व्यापार बाधाओं को कम करना शामिल है।
- उर्वरकों की पहुंच में सुधार: सरकार को किसानों को उर्वरकों की आसान और सस्ती पहुंच प्रदान करनी चाहिए। इसमें उर्वरकों पर सब्सिडी प्रदान करना और उर्वरकों के उत्पादन में घरेलू आत्मनिर्भरता बढ़ाना शामिल है।
- जलवायु परिवर्तन से निपटना: सरकार को जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कदम उठाने चाहिए। इसमें जलवायु-स्मार्ट खेती प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देना और जल संरक्षण उपाय करना शामिल है।
- उपभोक्ता मांग को नियंत्रित करना: सरकार को उपभोक्ता मांग को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाने चाहिए। इसमें सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) का विस्तार करना और उपभोक्ता जागरूकता अभियान चलाना शामिल है।
इन उपायों से आपूर्ति श्रृंखला की बाधाओं को कम करने, उर्वरकों की लागत कम करने, जलवायु परिवर्तन से निपटने और उपभोक्ता मांग को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। इससे भारत में खाद्य मुद्रास्फीति को कम करने में मदद मिलेगी।