UPSC NOTES:सविनय अवज्ञा आंदोलन भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था। महात्मा गांधी के नेतृत्व में 1930 में शुरू हुआ यह आंदोलन ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक प्रमुख असहयोग का प्रतीक बना। इसका उद्देश्य ब्रिटिश कानूनों की अवहेलना कर स्वदेशी और आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहित करना था। आंदोलन की शुरुआत गांधीजी के दांडी मार्च से हुई, जिसमें उन्होंने 12 मार्च 1930 को साबरमती आश्रम से दांडी तक 240 मील की यात्रा की और समुद्र किनारे नमक कानून को तोड़ते हुए नमक बनाया। नमक कानून के उल्लंघन का प्रतीकात्मक महत्व था क्योंकि यह अंग्रेजों के दमनकारी कर प्रणाली का प्रतीक था।
UPSC NOTES:सविनय अवज्ञा आंदोलन की मुख्य विशेषताएँ
- नमक सत्याग्रह: इस आंदोलन का प्रारंभ नमक सत्याग्रह से हुआ, जिसने जनता में आंदोलन की लहर फैलाई।
- ब्रिटिश कानूनों की अवहेलना: भारतीयों ने नमक कानून, जंगल कानून, और कर न देने जैसे कार्यों द्वारा ब्रिटिश कानूनों का उल्लंघन किया।
- गैर-हिंसात्मक प्रतिरोध: गांधीजी ने इस आंदोलन में सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों पर बल दिया, जिससे लोग बिना हिंसा के अपनी बात रख सके।
- महिलाओं की भागीदारी: इस आंदोलन में भारतीय महिलाओं ने बड़े पैमाने पर भाग लिया। सरोजिनी नायडू, कमला नेहरू, और अन्य महिलाएँ आंदोलन का नेतृत्व कर रही थीं।
- ग्रामीण और शहरी सहभागिता: यह आंदोलन केवल शहरों तक सीमित नहीं था, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी इसकी गहरी छाप थी।
आंदोलन के परिणाम
- राष्ट्रीय एकता का विकास: आंदोलन ने भारतीय समाज में जाति, धर्म, और वर्ग के भेद को कम कर एक राष्ट्रीय एकता की भावना को जन्म दिया।
- ब्रिटिश प्रशासन पर दबाव: इस आंदोलन से ब्रिटिश शासन पर आर्थिक और राजनीतिक दबाव बढ़ा। इससे सरकार ने पहली गोलमेज सम्मेलन आयोजित किया।
- गांधी-इरविन समझौता: मार्च 1931 में गांधीजी और तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन के बीच एक समझौता हुआ, जिसमें आंदोलन बंद करने और राजनैतिक बंदियों की रिहाई जैसे मुद्दों पर सहमति बनी।
- स्वराज की अवधारणा का प्रचार: सविनय अवज्ञा आंदोलन ने भारतीयों के बीच स्वराज या स्व-शासन की अवधारणा को लोकप्रिय बनाया, जिससे भारत को पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त करने की प्रेरणा मिली।
- अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव: आंदोलन ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान भारत के स्वतंत्रता संग्राम की ओर आकर्षित किया। दुनिया के अन्य देशों में भी इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ा, और ब्रिटिश साम्राज्यवाद के प्रति वैश्विक दृष्टिकोण में बदलाव आया।
निष्कर्ष
सविनय अवज्ञा आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण चरण था जिसने ब्रिटिश शासन के खिलाफ जनता को संगठित किया और भारत में राष्ट्रीय चेतना को जागृत किया। अहिंसात्मक तरीकों के माध्यम से जन समर्थन जुटाकर यह आंदोलन भारतीयों के आत्मसम्मान और स्वतंत्रता की आकांक्षा को बल देता है। इस आंदोलन की सफलता ने यह साबित कर दिया कि भारत अब स्वतंत्रता के प्रति दृढ़ संकल्पित है और ब्रिटिश शासन को अब लंबे समय तक बनाए रखना संभव नहीं था।