UPSC NOTES:पठारों को अक्सर ‘खनिजों का खजाना’ कहा जाता है। दुनिया के प्रमुख पठारों के संदर्भ में इस कथन पर चर्चा कीजिये।

UPSC NOTES:पठारों को ‘खनिजों का खजाना’ कहा जाना उनकी भौगोलिक संरचना और खनिज संसाधनों की प्रचुरता के कारण है। पठार...
UPSC NOTES

UPSC NOTES:पठारों को ‘खनिजों का खजाना’ कहा जाना उनकी भौगोलिक संरचना और खनिज संसाधनों की प्रचुरता के कारण है। पठार वे स्थलीय संरचनाएँ हैं जो आम तौर पर समतल और ऊँचाई वाली भूमि होती हैं। इनके निर्माण में ज्वालामुखीय गतिविधियों, पर्पटीगत संकुचन, और अपरदन की भूमिका होती है, जो खनिज संसाधनों के विशाल भंडार का निर्माण करती है।

पठार और खनिज संपदा:

  1. भौगोलिक संरचना:
    पठार क्षेत्रों में ज्वालामुखीय और अवसादी चट्टानों की प्रचुरता होती है, जो खनिजों के निर्माण के लिए अनुकूल होती है। इनमें लौह अयस्क, कोयला, तांबा, सोना, और बक्साइट जैसे खनिज पाए जाते हैं।
  2. खनिज दोहन में आसान पहुँच:
    पठारों में खनिज भंडार सतह के नजदीक होते हैं, जिससे इनका खनन सस्ता और सुलभ हो जाता है।
UPSC NOTES

प्रमुख पठार और उनके खनिज संसाधन:

  1. दक्कन का पठार (भारत):
    • खनिज: लौह अयस्क, मैंगनीज, बॉक्साइट, सोना।
    • क्षेत्र: कर्नाटक, महाराष्ट्र, और छत्तीसगढ़।
    • भारत के कुल खनिज उत्पादन में दक्कन का पठार महत्वपूर्ण योगदान देता है।
  2. आयरन ऑरे पठार (ब्राजील):
    • खनिज: लौह अयस्क, सोना।
    • यह ब्राजील के खनिज निर्यात का प्रमुख केंद्र है।
  3. अफ्रीकी पठार (अफ्रीका):
    • खनिज: हीरे, तांबा, और सोना।
    • कांगो, जाम्बिया, और दक्षिण अफ्रीका में खनिज संपदा समृद्ध है।
  4. साइबेरियन पठार (रूस):
    • खनिज: कोयला, प्राकृतिक गैस, और यूरेनियम।
    • यह पठार रूस की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करता है।
  5. कोलोराडो पठार (यूएसए):
    • खनिज: यूरेनियम, तांबा, और कोयला।
    • ऊर्जा उत्पादन और निर्माण उद्योग के लिए आवश्यक खनिज प्रदान करता है।
  6. तिब्बती पठार (चीन):
    • खनिज: सोना, लिथियम।
    • इसे ‘पृथ्वी का तीसरा ध्रुव’ भी कहा जाता है और यह खनिजों के साथ जल संसाधनों में भी समृद्ध है।

खनिज संसाधन और आर्थिक महत्व:

  • खनिज संसाधन औद्योगिक विकास, ऊर्जा उत्पादन, और राष्ट्रीय आय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • कई पठार क्षेत्र खनन गतिविधियों के माध्यम से रोजगार सृजन और निर्यात आय बढ़ाने में सहायक होते हैं।

चुनौतियाँ:

  1. पर्यावरणीय क्षति: खनन से भूमि क्षरण, प्रदूषण और पारिस्थितिक संतुलन का नुकसान।
  2. स्थानीय समुदायों पर प्रभाव: विस्थापन और सामाजिक समस्याएँ।
  3. टिकाऊ खनन: खनिज दोहन के लिए टिकाऊ प्रथाओं की आवश्यकता।

निष्कर्ष:

पठारों को ‘खनिजों का खजाना’ कहना उनके खनिज संसाधनों की प्रचुरता को दर्शाता है। ये संसाधन केवल आर्थिक विकास में सहायक नहीं हैं, बल्कि ऊर्जा और औद्योगिक विकास के लिए भी अपरिहार्य हैं। हालाँकि, इनके सतत उपयोग और पर्यावरणीय संरक्षण को ध्यान में रखते हुए खनन गतिविधियों को नियंत्रित करना आवश्यक है।

  • About
    admin

Leave A Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Last Post

Categories

You May Also Like