किसान सूर्योदय योजना
गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के नेतृत्व में गुजरात सरकार ने सिंचाई के लिये दिन में विद्युत की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये ‘किसान सूर्योदय योजना’ की घोषणा की थी।
गुजरात सरकार ने सिंचाई के लिए दिन के समय बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करने के मकसद से हाल ही ‘किसान सूर्योदय योजना’ की शुरुआत की है. इसके तहत किसानों को सुबह 5 बजे से रात के 9 बजे तक बिजली की सप्लाई किए जाने का प्रावधान है.
राज्य सरकार ने 2023 तक इस योजना के तहत पारेषण अवसंरचना स्थापित करने के लिए 3500 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है. परियोजना के तहत 220 किलोवाट क्षमता वाले सब स्टेशन के साथ ही 3490 सर्किट किलोमीटर लंबी के 234 ‘66 – किलोवाट क्षमता वाली पारेषण लाइनें लगाई जाएंगी.2020-21 के लिए दाहोद, पाटन, महिसागर, पंचमहल, छोटा उदेपुर, खेड़ा, तापी, वलसाड, आनंद और गिर-सोमनाथ को योजना के तहत शामिल किया गया है. शेष जिलों को 2022-23 तक चरणबद्ध तरीके से कवर किया जाएगा.
- गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के नेतृत्व में गुजरात सरकार ने सिंचाई के लिये दिन में विद्युत की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये ‘किसान सूर्योदय योजना’ की घोषणा की थी।
- इस योजना के तहत किसानों को सुबह पाँच बजे से रात नौ बजे तक बिजली की आपूर्ति की जाएगी।
- राज्य सरकार ने वर्ष 2023 तक इस योजना के तहत विद्युत संचार अवसंरचना (Transmission Infrastructure) स्थापित करने के लिये 3500 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया है।
- परियोजना के तहत 220KV सब-स्टेशन के अलावा कुल 3490 सर्किट किलोमीटर की लंबाई के साथ ’66-किलोवाट’ की 234 ट्रांसमिशन लाइनें स्थापित की जाएंगी।
- वर्ष 2020-21 के लिये योजना के तहत दाहोद, पाटन, महिसागर, पंचमहल, छोटा उदयपुर, खेड़ा, तापी, वलसाड, आनंद और गिर-सोमनाथ ज़िलों को शामिल किया गया है।
- शेष ज़िलों को वर्ष 2022-23 तक चरणबद्ध तरीके से शामिल किया जाएगा।
आसन संरक्षण रिज़र्व
आसन संरक्षण रिजर्व में दुर्लभ प्रजातियां पायी जाती हैं। यहां मछलियां अंडे देती हैं और यहां काफी संख्या में जैव विविधता है।’’ रामसर सूची का उद्देश्य ‘‘आर्द्रभूमि के एक अंतरराष्ट्रीय तंत्र का विकास और रखरखाव करना है जो वैश्विक जैविक विविधता के संरक्षण और उनके पारिस्थितिक तंत्र के घटकों, प्रक्रियाओं और लाभों के रखरखाव के माध्यम से मानव जीवन को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण हैं।’’ आर्द्रभूमि भोजन, पानी, फाइबर, भूजल रिचार्ज, जल शोधन, कटाव नियंत्रण और जलवायु विनियमन जैसे महत्वपूर्ण संसाधन और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करती है। वे वास्तव में, पानी का एक बड़ा स्रोत है और हमारे मीठे पानी की मुख्य आपूर्ति आर्द्रभूमि से होती है जो वर्षा जल को सोखने और भूजल को रिचार्ज करने में मदद करती है।
यह रिज़र्व हिमालयी राज्य उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में देहरादून ज़िले के पास यमुना नदी के तट पर स्थित है।आसन संरक्षण रिज़र्व 4.44 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है।आसन कई दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजातियों जैसे- रूडी शेल्डक (स्थानीय भाषा में सुर्खाब) और रेड क्रेस्टेड पोचार्ड (स्थानीय भाषा में लालसर) आदि का निवास स्थान है। कई लुप्तप्राय पक्षी भी यहाँ पाए जाते हैं, कुछ पक्षी प्रवास के दौरान यहाँ आते हैं जिसके चलते यह रिज़र्व पारिस्थितिक रूप से एक महत्त्वपूर्ण स्थल बन जाता है।
हाल ही में देहरादून स्थित आसन संरक्षण रिज़र्व को रामसर कन्वेंशन (Ramsar Convention) के तहत अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमि (Wetland of International Importance) का दर्जा दिया गया है।आसन संरक्षण रिज़र्व, उत्तराखंड का पहला रामसर स्थल है।इस रिज़र्व को रामसर द्वारा मान्यता मिलने के बाद भारत में रामसर स्थलों की संख्या 38 हो गई है जो कि दक्षिण एशिया में सबसे अधिक है।आसन संरक्षण रिज़र्व ने रामसर स्थल घोषित किये जाने के लिये आवश्यक नौ मानदंडों में से पाँच मानदंडों (प्रजातियों एवं पारिस्थितिक समुदायों, जल-पक्षियों तथा मछलियों से संबंधित) को पूरा किया जिसके बाद इसे अंतर्राष्ट्रीय आर्द्रभूमि के रूप में मान्यता दी गई।
यूरोपीय संघ के पर्यावरण मंत्रियों ने जलवायु कानून पर किया समझौता, वर्ष 2030 के लक्ष्यों पर बाद में होगी चर्चा
इस समझौते पर 23 अक्टूबर को लक्ज़मबर्ग की एक बैठक में, यूरोपीय संघ के पर्यावरण मंत्रियों द्वारा हस्ताक्षर किये गये और बुल्गारिया को छोड़कर, 27 सदस्यों में से किसी भी देश ने इस बिल को अस्वीकार नहीं किया. वर्ष 2050 तक शून्य गैस उत्सर्जन तक पहुंचने के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में इस ब्लॉक की सहायता करने के उद्देश्य से ही इस समझौते पर हस्ताक्षर किये गये हैं.
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